-जगजीत आज़ाद, हिमाचल प्रदेश
आधुनिकता का अभिप्राय वास्तव में मन, वचन और कर्म से आधुनिक होना है, न कि मुखौटा पहन कर अपने असली रूप को छिपाकर आधुनिक होने का नाटक करना। चर्चा करने पर आएं तो यह एक विस्तृृत विषय है। लेकिन हम आधुनिकता का अर्थ आज के सन्दर्भ में देखें तो वास्तव में हमें महसूस होगा कि हम केवल दिखावे के लिए आधुनिक बने हैं, वास्तव में नहीं।
आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन हो रहे हैं, जिनसे हम अछूते नहीं हैं। हमारे रहन-सहन, चाल-ढाल, आचार-व्यवहार, संस्कृति आदि सभी में परिवर्तन आया है। हर क्षेत्र में आधुनिकता का समावेश हो गया है।
आज हम इतने आधुनिक हो गए हैं कि खद्दर के स्थान पर जीन्स पहनने लगे हैं, सलवार-साड़ी के स्थान पर टॉपलेस और स्कर्ट पहन रहे हैं, शास्त्रीय संगीत की जगह पॉप सुनने लगे हैं, उन्मुक्त प्रेम सम्बन्धों को समाज मूक स्वीकृति देने लगा है। संक्षेप में हम देखें तो आज आधुनिकता का अभिप्राय यही है।
लेकिन क्या यही आधुनिकता है? नि:संदेह नहीं। इस प्रकार की आधुनिकता से रूढ़िवादी होना बेहतर है। इस तरह की आधुनिकता तो हमारी संस्कृति को नष्ट कर देगी, युवा-पीढ़ी को पथ भ्रष्ट कर देगी, नैतिक मान्यताओं को समाप्त कर देगी।
अगर हम आत्ममंथन करें तो हम क़तई आधुनिक नहीं हुए हैं, हम तो केवल आधुनिकता का मुखौटा पहने हुए हैं। हमारे विचार पहले की तरह दक़ियानूसी हैं। पुरानी लीक पर हमारी विचारधारा चल रही है। औरतों के प्रति हमारी सोच में लेशमात्र भी परिवर्तन नहीं आया है। अपने कर्त्तव्यों के प्रति हमारा दृष्टिकोण बदला नहीं है।
वास्तव में हम नकारात्मक रूप से आधुनिक हुए हैं, सकारात्मक रूप से नहीं।
Hello. And Bye.
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