-प्रो. शाम लाल कौशल

मां-बाप अपने बेटों को बचपन से ही आज्ञाकारी होने की सीख देते हैं परन्तु जब वे जवान होते हैं तब सभी प्रकार के सबक़ भूलकर अपनी पत्नी तथा अपने बच्चों को अपनी मर्दानगी दिखाने लगते हैं जिससे घर में हमेशा झगड़ा-फ़साद, कलह-कलेश, मार-पीट तथा गाली-गलौज आदि का ही साम्राज्य होने लगता है। इन्दिरा गांधी, गोल्डा मायर, मार्गेट थैचर, बेनज़ीर भुट्टो जैसी वीरांगनाओं ने दुनिया को आदमियों से भी बढ़िया तरीक़े से हकूमत करके दिखा दिया है कि औरतें भी किसी से कम नहीं। वो दिन लद गए जब आदमी कुंडलदार या तलवार मार्का मूंछें रखकर औरत पर रौब डाला करता था अब वो या तो सात बज कर बीस मिनट टाइम दिखाने वाली घड़ी की सूइओं की तरह या फिर अमिताभ बच्चन की तरह बकरा ब्रांड दाड़ी-मूंछ रखता है जिसका सीधा मतलब औरत पर किसी प्रकार से रौब डालने से तौबा करना ही है। जब से हमें यह महसूस हुआ है कि श्रीमती जी के आगे हमारी किसी भी मामले में दाल नहीं गलती, हमने तो अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए मूंछे ही सफ़ाचट करा ली हैं। घर में चौधरी बनकर तथा भद्द पिटवाने से तो अच्छा है कि हर काम में मैडम को ही आगे रखो। इससे एक तो पत्नी का मनोबल बना रहता है और दूसरे अगर काम बिगड़ जाए तो हर प्रकार की छींटाकशी व तानाकशी से भी बचा जा सकता है। वैसे भी आजकल जब से महिला आयोग ने स्त्रियों के पक्ष में कमर कसी है तथा सरकार ने महिला उत्पीड़न कानून पास किया है हमारा यह मत और भी दृढ़ हो गया है कि हर आदमी को घर में पत्नी का आज्ञाकारी ज़रूर होना चाहिए, करवा चौथ का व्रत खुद रखना चाहिए, पत्नी को ब्यूटी पार्लर ले जाना चाहिए, उसको किट्टी पार्टियों में जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, सुबह उठकर बेड-टी पिलानी चाहिए, बच्चों को स्कूल जाने लिए तैयार करना चाहिए तथा उनका लंच-बॉक्स तैयार करना चाहिए, होमवर्क कराना चाहिए, पत्नी की साड़ियां-ब्लाउज़, सलवार-कमीज़ प्रैस करने चाहिए, पत्नी के मायके वालों की वफ़ादार कुत्ते की तरह पूंछ हिलाकर आवभगत करनी चाहिए, उन्हें उपहार देकर उनकी तारीफ़ों के पुल बांधने चाहिए। इससे घर का माहौल खुशनुमा बनाने में काफ़ी मदद मिलेगी अन्यथा पत्नी देवी पति का सत्यानाश करने के कई तरीक़े इस्तेमाल कर सकती है जैसे सब्ज़ी में नमक-मिर्च ज़रूरत से ज़्यादा डालकर साहब को दफ़्तर भूखे ही जाने पर मजबूर करना, प्रैस किए गए कपड़ों पर सब्ज़ी का दाग़ लगा देना, बटन तोड़ देना, टाई गुम कर देना आदि। भइया इसलिए पत्नी से पंगा हमेशा सभी को ही महंगा पड़ता है वैज्ञानिकों ने काफ़ी खोज करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि आपसी लड़ाई-झगड़े में स्त्रियों के मुक़ाबले में पुरुषों को ही ज़्यादा अल्सर, कैंसर, ब्लॅड प्रैशर, हाईपरटैंशन तथा डिप्रैशन होते हैं। फिर घर की महामाई, दुर्गा व महाकाली के टकराव से जीवन को ख़तरे में डालने का क्या फ़ायदा? हर घर में मियां-बीवी में किसी न किसी बात पर लड़ाई-झगड़ा तो होता ही रहता है लेकिन मैंने आज तक यह नहीं सुना कि आदमी ने कभी यह लड़ाई जीती हो। हार की नाकामी से बचने का सिर्फ़ यही एक तरीक़ा है कि पत्नी की हां में हां तथा ना में ना मिलाकर बढ़िया तरीक़े से जीवन बिताया जाये। हमारे इन विचारों का हमारे लाड़ले पर इतना कमाल का प्रभाव पड़ा कि हम जानकर गद्गद हो गए। हमारा लाड़ला विवाह के पश्चात् जब अपनी पत्नी के साथ शिमला हनीमून पर गया तो जब वे दोनों एक बाग़ में घूम रहे थे तो वहां एक डस्टबिन पर लिखा हुआ था ‘कृपया यहां थूकिए’ पत्नी के परमेश्वर पति महोदय ने वहां थूक दिया, आगे एक और डस्टबिन पर भी वैसा ही लिखा हुआ था ‘कृपया वहां ही थूकिए।’ उसने इस तरह पांच-छः डस्टबिनों पर ‘कृपया यहां थूकिए’ के मुताबिक़ थूका। जब आगे चलकर एक और डस्टबिन पर भी वहीं लिखा था ‘कृपया यहां थूकिए’ तो हमारे लाड़ले ने बहुत ही विनम्रता से अपनी पत्नी को देखते हुए कहा, ‘भागवान! अब और नहीं थूका जाता।’ हमारे लाड़ले ने आज्ञाकारी होने की सारी हदें ही पार कर दीं। जितने भी मंत्री, संत्री या आला अफ़सर अपने मातहतों पर रौब डालते हैं इनमें से अधिकांश ‘जोरू के ग़ुलामों’ की घरों में इनकी बीवियों ने जितनी लगाम कस रखी होती है उसका सारा बदला ये बाहर के लोगों से लेकर ही हिसाब बराबर करते हैं, कभी किसी बेचारे शरीफ़ आदमी को सस्पैंड कर देते हैं या ट्रांसफ़र कर देते हैं या फिर किसी चपड़ासी को पीट देते हैं या किसी को गाली देते हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि घर या बाहर शान्ति बनाए रखने के लिए पति को पत्नी का आज्ञाकारी होना बहुत ज़रूरी है। उसके सामने दब्बू, लल्लू-पंजू, गूंगा, बहरा तथा अंधा होना भी ज़रूरी है। उसके साथ कोई बहस नहीं करनी चाहिए। नहीं तो घर गृहस्थी का ‘बर्निंग ट्रेन’ जैसा हाल होगा। इस तरह जिसने पत्नी को जीता वह सिकंदर और जिसने मार-पीट, गाली-गलौज, धक्का-मुक्की की वह जेल के अंदर। इसलिए हर आज्ञाकारी पति को सुबह-शाम ‘पत्नी देवी की जय’ का ही जाप करना चाहिए।

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