मां मैं महकती ही रही बासमती के गंध-सी कितने ही वर्षों तेरे आंगन और जब छोड़ जाऊंगी चिड़ियों सा महकता-सा यही तेरा आंगन
Read More »रमेश सोबती
श्रद्धा-सौंदर्य एवं लक्ष्मी है नारी
भारतीय नारी सौंदर्य की अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन माध्यम भी है। सत्यं, शिवं के साथ ईश्वर की तीसरी विशेषता सुन्दरम् है। ईश्वर को सुन्दरता बहुत प्रिय है और उस का अंश होने के कारण जीवात्मा भी प्रत्येक सुन्दर वस्तु को देख कर आकृष्ट होती है।
Read More »नारी पुरुष का पूरक रुप है
-रमेश सोबती इस देश में स्त्रियों के प्रति हिंसा गर्भ से ही आरम्भ होती रही है, जो जीवन भर रहती है। जन्म से पहले ही लिंग चयन और इस के परिणाम स्वरूप बालिका-शिशु भ्रूण की हत्या हिंसात्मक हद तक बढ़ जाती थी, जिस से महिलाओं की स्थिति दिन-ब-दिन दूभर होती गई। लैंगिक आधार पर हिंसा का कोई कृत्य जिस से ...
Read More »नारी एक कविता या व्यथा
चुप कर कुड़िये, क़तरा-क़तरा न रो इन मोटी-मोटी खूबसूरत आंखों से झड़ते मोतियों को ऐसे मत खो
Read More »हिन्दी में नारी स्वचेतना एवं सृजनात्मकता
-रमेश सोबती पुराने ज़माने में नारी को पूजनीय स्थान प्रदान किया गया था। स्त्रित्व-मातृत्व एवं देवत्व, इन तीनों को एक श्रेणी में रख कर सम्मान करना भारत की पारंपरिक संस्कृति है। भारत की प्राकृतिक संपदा और महत्व को हमारे पूर्वजों ने स्त्री के रूप में ही रखा, यहां तक कि उन्होंने विद्या के लिए ‘सरस्वती‘ को वन-संपत्ति के लिए ‘देवी-लक्ष्मी‘ ...
Read More »प्रेम पराकाष्ठा में नारी परमात्मा स्वरूप
–रमेश सोबती ढाई अक्षरों का शब्द प्रेम जितना सीमित है इस का अर्थ उतना ही विराट है। प्रेम की व्याख्या है-“जो प्रसन्नता प्रदान करे।” प्रेम में संतुष्टि का तत्व निहित है, यही संतुष्टि प्रेम अथवा प्रणय की प्रेरक शक्ति है। इस चरम तृप्ति-प्रद प्रेम भावना का मूल स्थान हमारी आत्मा में है, क्योंकि आत्मिक प्रेरणा के अभाव में कोई भी ...
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