अपने बेटे के विवाह के लिए दहेज़ मांगने पर जब प्रशांत की सामाजिक प्रतिष्ठा गिरने लगी।
तब उसने यह मांग छोड़कर नयी शर्त रखी कि लड़की सरकारी नौकरी करती हो।
अपने पिता के इस फ़ैसले पर हैरान बेटे ने पूछा, “पिताजी, लड़की नौकरी करे न करे, हमें क्या?”
“अरे! टिंकू, तू भी निरा घोंचू है। दहेज़ तो एक बार आता है पर नौकरीशुदा लड़की तो हर महीने हमें दहेज़ देगी यानी उम्र भर क़िस्तों में दहेज़। अब बता, है न पते की बात!”
बेटे ने भी अपने पिता की दूरदर्शिता पर खुशी-खुशी सिर हिला दिया।