-संदीप कपूर

विष्णुसंगिनी देवी लक्ष्मी के अनेक रूप तथा नाम हैं। हमें यह जानकर खुशी होनी चाहिए कि इस धरा पर भी लक्ष्मी अनेक रूपों में मौजूद हैं। आमतौर पर लोग धन को लक्ष्मी मानते हैं, पर दूसरी तरफ़ पैसे को हाथ का मैल भी माना जाता है सो धन और लक्ष्मी के संबंध में कुछ मतभेद-सा है।

जिनकी प्रेयसी का नाम लक्ष्मी है, वे तो उसे ही लक्ष्मी मानते होंगे। यह बात कुछ हद तक सही है, किन्तु नाम में क्या रखा है? बुज़ुर्ग सदा नवनवेली बहू को लक्ष्मी कहते आए हैं, हमारा आशय तो इसी लक्ष्मी से है। आज की प्रत्येक विवाहिता गृहलक्ष्मी है।

वैसे भी देवी लक्ष्मी विष्णुप्रिया हैं। देवलोक वासिनी हैं। वह इस राजनीति के अखाड़े में क्यों आएंगी भला? यहां तो उसी लक्ष्मी के एक रूप गृहलक्ष्मी का राज चलता है। मेरा निजी अनुभव है कि देवी लक्ष्मी की अपेक्षा गृहलक्ष्मी को पूजकर आप मनोवांछित फल पा सकते हैं।

मैं आपको अपना एक अनुभव बताता हूं, जिसे पढ़कर आपको वास्तव में यक़ीन आ जाएगा कि गृहलक्ष्मी भी देवी लक्ष्मी के मुक़ाबले कुछ कम नहीं। हुआ यों कि एक दिन बस में किसी पॉकेटमार ने हमारा बटुआ उड़ा लिया। हम परेशान थे क्योंकि हमें एक दिन पहले वेतन मिला था जो उसके भीतर था।

जब घर जाकर अपनी गृहलक्ष्मी को यह बात बताई तो वह गर्व से मुस्कुराई। बोली, “आप क्यों चिंता करते हैं? आपकी ‘पे’ तो मैंने रात को बटुए से निकाल ली थी। दीवाली पर कुछ शॉपिंग जो करनी थी।”

यह सुनकर हम खुश हो गए और तब से हम उनके भक्त हैं, क्योंकि उन्होंने वास्तव में लक्ष्मी बनकर हमें उबार लिया था। हमारी ‘पे’ अगर जेब कतरा ले जाता तब हम आंसुओं में डूब जाते पर अब तो घर की बात थी। अब तो हम खुद ही वेतन उनके हाथ में धर देते हैं और हमारी गृहलक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती हैं।

एक बात और है जो गृहलक्ष्मी के विष्णुप्रिया से श्रेष्ठ सिद्ध करती है। देवी लक्ष्मी के पास तलवार, धनुष-बाण जैसे प्रचीन शस्त्रास्त्र हैं, जबकि गृहलक्ष्मी के पास एक ऐसा अचूक हथियार है, जो अस्त्र भी है और शस्त्र भी। नाम बेलन है उसका। अस्त्र या शस्त्र के रूप में इसके द्वारा चोट की जाए तो यह लाज़िमी है कि इसका वार सहने वाला त्राहि-त्राहि कर उठेगा। किसी को बताइएगा मत, यह भी हमारे अनुभव की बात है।

जब अनेक गृहलक्ष्मियां आपस में मिलती हैं तब उनके सुकोमल मुखों में ऐसे लंबे-लंबे वेद तथा पुराण जन्म लेते हैं कि पूछिए मत! पति पुराण, पड़ोसन वेद और चुगली चालीसा तो सर्वप्रचलित हैं। हम तो ठहरे एक सीधे-सादे, साधारण से सेवक। हम भला ऐसा ज्ञान कहां पचा सकते हैं। लेकिन अगर आपकी पंडिताई में रूचि है तो गृहलक्ष्मी आपको सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी बना सकती है।

एक बात क़ुदरत ने काफ़ी अच्छी रखी, जो उसने देवी लक्ष्मी की भांति गृहलक्षमी के अनेक हाथ नहीं बनाए। अगर होते तो हम और आप जैसे गृहसेवक मुसीबत में पड़ जाते। फिर तो गृहलक्ष्मी के एक हाथ में बेलन, दूसरे में पर्स, तीसरे में फरमाइशी चिटें, चौथे में बिल और भी न जाने क्या-क्या होता?

हम पहले भी लिख चुके हैं कि ‘गृहलक्ष्मी की जो करेगा सेवा, उसको मिलता रहेगा मेवा’ सो अगर आप गृहलक्ष्मी की आराधना करके उसे खुश कर दें तो आपके गृह में शांति का वास रहेगा। हां गृहलक्ष्मी की पूजनविधि, देवी लक्ष्मी की पूजन विधि से थोड़ी भिन्न अवश्य है, पर कठिन नहीं। अगर आप साहस और धैर्य से गृहलक्ष्मी की पूजा करते रहें तब आपको नितफल, केवल मीठे फल मिलेंगे।

पूजा के स्थान के लिए आपको किसी ‘फाइव स्टार’ होटल का चुनाव करना पड़ेगा। वंदना सामग्री के रूप में आपको लड्डू-जलेबी के स्थान पर चाइनीज़ डिश, सिंदूर की जगह सोने की माला या बूंदे तथा धूप-अगरबत्ती के स्थान पर विलायती नेल पालिश, बिन्दी या इत्र से गृहलक्ष्मी की पूजा करनी पड़ेगी। चढ़ावे के रूप में यदि एक-दो क़ीमती साड़ियां भी हों, तब सोने पे सुहागा होगा। आपकी यह पूजा अवश्य सफल होगी। ऐसे दावे के पीछे हमारा तर्क यह है कि देवी लक्ष्मी तो कभी सामग्री ग्रहण करती नहीं, जबकि गृहलक्ष्मी हर बार खुश होकर आपकी वंदना-सामग्री स्वीकार कर लेगी और हो गई आपकी पूजा सफल।

दीवाली के मौक़े पर आपकी पूजा दिवाले से बची रहकर सफल हो, इस कामना के साथ मैं आपसे विदा लेता हूं क्योंकि गृहलक्ष्मी जी बाज़ार से घर में प्रवेश कर चुकी हैं और मेरे द्वारा उनकी सेवा हेतु गैस पर रखा चाय का पानी खौल रहा है।   

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*