-मुकेश विग

एक लावारिस की अर्थी को कन्धा देने के लिए चार लोगों की ज़रूरत पड़ी तो मानो पूरी तमाशबीन भीड़ को जैसे सांप सूंघ गया हो।

यदि किसी को सत्संग या नेक कार्य में हाथ बंटाने को कहा जाए तो जवाब मिलता है क्या करें टाईम ही नहीं है इतने बीज़ी हैं। यदि कोई बस्ती जलानी हो, बसें फूंकनी हों, धरना या प्रदर्शन करना हो, बीच चौराहे पर गुण्डागर्दी दिखानी हो तो यही लोग माहिर खिलाड़ी की तरह न जाने बड़ी संख्या में पल भर में कहां से इकट्ठे हो जाते हैं। आधे से ज़्यादा को तो इसका कारण भी मालूम नहीं होता।

चलो अच्छे काम में न सही बुरे कामों में तो हम एक हो जाते हैं यही क्या कम है। गब्बर सिंह ने कहा था, “अब मज़ा आएगा इस खेल में ठाकुर, तुम जैसा खिलाड़ी मुझे आज मिला है।”

ऐसे ही तोड़फोड़ करवा के दंगे भड़का के कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने का भरपूर प्रयास करते हैं क्योंकि इनकी नज़र केवल अपने वोट बैंक पर ही होती है कोई बेगुनाह मरता है तो बेशक़ मरता रहे।

आज हर शहर में तूफ़ान मेल शेन बाॅंड थोक में मिल जायेंगे जिनकी गेम किसी को भी समझ नहीं आ सकती। क्रिकेट में बल्लेबाज़ को एक रनर मिलता है लेकिन कोई तोड़फोड़ व लूटपाट करनी हो तो केवल एक व्यक्ति को आगे बढ़ना होता है, हज़ारों की संख्या में रनर अपने आप साथ आ मिलते हैं।

ऐसे खेल व खिलाड़ी अभी केवल भारत में ही हमें मिल सकते हैं, हो सकता है कि कुछ समय बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा सम्भव हो जाए।

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