-मिलनी टंडन रसिकप्रिया

जीवन में, विशेषकर किशोरावस्था और जवानी में दोस्ती का चक्कर खूब चलता है। कभी-कभी यह नशे की तरह होता है। लेकिन दोस्त को स्वयं पर हावी न होने दें। आपका अपना व्यक्तित्व बरकरार रहे। दोस्त अच्छा हुआ तो आप को बना सकता है, ख़राब हुआ तो बिगाड़ सकता है। यह बात लड़के-लड़कियों दोनों पर आधारित है और दोस्ती समलिंगी हो या विषम-लिंगी, दोनों में सच है। भले के लिए लें टिप्सः-

1. दोस्ती में सारा समय बर्बाद न करें।

2. दोस्त की ग़लत सलाह, बुरी आदतें न अपनाएं।

3. दोस्त की सलाह लें, निर्णय स्वयं करें।

4. अपना कैरियर स्वयं तय करें।

5. किसी मामले में दोस्त की नक़ल, अनुकरण न करें। अपनी ज़िंदगी, अपना व्यक्तित्व स्वयं बनाएं।

6. किसी मामले में दोस्त की ज़रूरत से ज़्यादा दख़लंदाज़ी बर्दाश्त न करें।

7. दोस्त का विश्वास करें, अन्धविश्वास नहीं, प्रेम करें तो प्रेम मिलेगा।

8. तर्क करें, विवाद और झगड़ा नहीं।

9. दोस्तों के आगे परिवार की, परिजनों की सलाह की उपेक्षा न करें। दोस्त सर्वोपरि नहीं।

10. दोस्त की अच्छाइयों-बुराइयों को पहचानें फिर उनसे दूर रहें या अपनाएं।

11. विपरीत लिंगी दोस्त से उचित दूरी बनाकर रहें। प्रलोभनों चिकनी-चुपड़ी बातों में न फंसे। अपना शरीर उसे न सौंपें।

12. दोस्त के चुनाव में सतर्कता रखें। अच्छे, सच्चे, शुभचिन्तक, सहायक दोस्त की पहचान करें।

13. दोस्त को अपने राज़ समझ-बूझ कर दें, सब न उगल दें यदि वह विश्वस्त नहीं। विवेक, संयम से काम लें।

14. दोस्तों को पारिवारिक बनाएं, परिवार में लाएं। परिवार के लोगों से मिलें-मिलाएं।

15. दोस्त को जीवनसाथी बनाने का निर्णय खूब सोच विचार कर लें। अभिभावकों की सहमति ज़रूरी है। उसके लिए परिवार से विद्रोह न करें।

16. दोस्त को बराबरी का दर्जा दें, अपनी सफलता आदि का गर्व न करें, समानता का व्यवहार आदर्श है।

17. दोस्त के लिए त्याग करें पर कभी खुद के पैर पर कुल्हाड़ी न मारें।

18. कभी दोस्त के दबाव में न आएं।

19. दोस्त के लिए ख़र्च करें, उसे भी ख़र्च करने दें, मिलजुल कर ख़र्च करना अच्छा है।

20. दोस्त का हमेशा सम्मान करें।

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