-सुषमा

मुन्ना भाई। अपुन डॉ. बनने से तो रहे, अब क्या करें कि दुनियां में नाम-दाम के साथ इज़्ज़त भी मिले। अपुन बोले तो आई.ए.एस. बन जाएं क्या….? काम करें, लाल बत्ती गाड़ी सारे ऐशो-आराम और सारी मालदार असामियां सुबह-शाम सलाम बजाएंगी, बारी-बारी झाड़ लेंगे। बोले तो….। ऐ…. सर्किट तू भी मामू है यार…. अमां आई.ए.एस बन कर क्या करेगा….? हां…. अनपढ़ नेताओं के तलवे चाटूं उनके लिए भांड बनता फिरूं। अपुन को सुबह-शाम सलाम ठोकने का आदत नईं रे….। तो क्या धंधा करें मुन्ना भाई…. ? इधर तो खाट खड़ी होइली है। सारा स्टाफ़ भूखा मर रहा है।

अपुन को सिद्ध योगी बनने का रे…. मतलब…. ? अपुन को योग, निरोग और भोग को साधने का रे….। मैं समझा नहीं मुन्ना भाई….। तेरे को समझाने की नईं रे कुछ करने का। क्या करने का भाई….? प्रचार। ये आचार तो कई दफ़ा सुना था म-ग-र…. प्रचार…. ? देख तेरे को आम जनता के भेजे में यह बात उतारने का कि हमारे गुरू महाराज को योग, निरोग और भोग में सिद्धियां प्राप्त हैं। उससे क्या होगा भाई…. ? योग शिविर, निरोग शिविर और भोग शिविर यानी सभी संतों का हिन्दी फ़िल्मों की तरह मिक्स फ़ार्मूला। योग, निरोग और भोग के नाम पर दवाइयां, पेय, टोटके-नुस्खे बिकेंगे। हर चैनल पर गुरू जी की जय-जयकार होगी। बड़े से बड़े नेता भीड़ देख कर अपनी ओर लपकने के लिए लालायित रहेंगे। धनवान्-धन वर्षा करेंगे और दुनियां भर की सुन्दरियां गुरू जी के दिव्य प्रकाश पुंज से प्रकाशमान होंगी। नेता, अभिनेता, सम्मान समारोहों में बुलायेंगे।

वाह मुन्ना भाई। अपुन तो सब की बाट लगा देंगे। मुन्ना भाई… नहीं रे सर्किट ‘मौनी महाराज’ बोल आज से मैं ‘मौनी महाराज’ और तू सर्किट नहीं सिर्कटेश्वर महाराज। आज से तू मेरा पी.ए. नहीं प्रचार एवं प्रसार अधिकारी। जब तक मैं दो-चार धर्मों को घोंट कर जनता के लिए घुट्टी बनाता हूं। तू तब तक ‘मौनी महाराज’ का इस धरा पर प्रकट होने का प्रचार कर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*