-गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी

गिद्धा और भंगड़े की तरह किकली भी पंजाब का प्रसिद्ध लोक नृत्य था। परन्तु आधुनिक समय में यह लोक नृत्य कहीं दिखाई नहीं देता। लड़कियां बड़े उत्साह के साथ शाम के समय इस लोक नृत्य का आनंद मानती थी। वह अपने आंगन, गली, वृक्ष के नीचे या बाग़-बगीचों में किकली डालती थी। गांव की लड़कियों के लिए यह मनोरंजन का साधन था। किकली दो-दो लड़कियों की जोड़ियां बना कर डाली जाती है। किकली डालते समय लड़कियां एक हाथ के ऊपर दूसरे हाथ के अंगूठों को पकड़ कर एड़ियों के ऊपर घूमती हैं। शरीर के भार को पीछे रखकर तेज़ी के साथ गोल चक्कर बनाकर घूमती हैं और मुंह से बोलती है:- किकली कलीर की, पग मेरे वीर की, दुपट्टा भरजाई का, फिट्टे मुंह जवाई का, वह बहुत हंसती है और किलकारियां भरती हैं। वह इस खेल में मस्त रहती थी।

एक और गीत की लय पर वेे मदमस्त हो जाती थी। जैसे – दीवार फांद के गुलाबी फूल किसने तोड़ा फिर दूसरी लड़की बोलती है सासूू गालियां न देे फूल मैंने तोड़ा। इस तरह नाचते-नाचते अन्धेरा हो जाता और उन्हें मालूम तब होता जब घर की बूढ़़ी मां उन्हें आवाज़ मारती घर आओ लड़कियों। आज कल की नव-विवाहित लड़कियों को किकली के बारे में कुछ पता ही नहीं वह पूछती हैं कि किकली क्या होती है? तो मां बताती है कि तुम्हें क्या पता किकली का स्वाद क्या होता है। हम सभी सहेलियां आधी रात तक नाचती कूदती रहती और किकली डालती।

लेकिन आज के समय ने लड़कियों से यह नाच छीन लिया है। रेडियो, टेलीविज़न, मोबाइल, कंप्यूटर, फिल्मों और नाटकों का दौर चल रहा है। लड़कियों के पास समय ही नहीं है। इस महंगाई के समय में रोज़ी-रोटी कमाने के लिए जवान लड़कियों को काम करना पड़ता है। विज्ञान ने दुनिया को मशीन बना दिया है। नाचने कूदने का समय किसी के पास नहीं।

तीसरी बात यह है कि युग को आग लगी हुई है। लड़कियों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। किस समय किसी भी लड़की के साथ क्या दुर्घटना हो जाए पता नहीं, गली, बाज़ार और दफ़्तर में वह कहीं भी सुरक्षित नहीं भयानक वातावरण बना हुआ है। परन्तु डर कर लड़कियों को घर के अंदर ही नहीं घुस जाना चाहिए। दिलेर बन कर हालातों का सामना करना चाहिए। इसके साथ ही गुम हो रही सभ्यता की ओर नज़र मारनी चाहिए। इसके साथ सुखद अनुभूूूूति होती है।

साधारण ज़िन्दगी में नहीं लेकिन किसी कल्चरल प्रोग्राम या अन्य किसी फंक्शन इत्यादि में किकली द्वारा सभी का मन मोहा जा सकता है। यक़ीनन यह आकर्षित करने वाला सुखद अनुभव होगा। सच में आनंद विभोर करते हैं बोल – किकली कलीर की, पग मेरे वीर की, दुपट्टा भरजाई का, फिट्टेे मुंह जवाई का।

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