-सिमरन

यूं तो मनोरंजन मीडिया का अहम हिस्सा है इस में कोई दो राय नहीं। लेकिन आज बाज़ारवाद के युग में मनोरंजन सर्वोपरि हो गया है। आज तो हर चीज़ पेश करते समय प्रतिस्पर्द्धा को ध्यान में रखा जाता है। जैसे ही न्यूज़ चैनल्ज़ का ज़माना आया समाचारों का रूप ही बदल गया। हर समाचार को मनोरंजक तरीक़े से पेश करने की होड़ सी लग गई। जहां फ़िल्मी चैनल्ज़, म्यूज़िक चैनल्ज़ और अन्य मनोरंजक चैनल्ज़ की धूम थी वहीं न्यूज़ चैनल्ज़ इन सब से बाज़ी मारने लगे। और लोगों की फेवरिट चैनल्ज़ की ऊपर की लिस्ट में अपना स्थान पाने में काफ़ी न्यूज़ चैनल्ज़ क़ामयाब भी हो गए।

न्यूज़ चैनल्ज़ का एक बेहद मनोरंजक विषय है सेलिब्रिटीज़ की ज़िन्दगी में ताक झांक जिसको दर्शक भी चटखारे लेकर देखने में आनंद महसूस करते हैं। लेकिन कभी-कभी तो ये चैनल्ज़ वाले अति कर देते हैं। सभी चैनल्ज़ वाले किसी की भी ज़िन्दगी के किसी अहम निजी मसले को राष्ट्रीय समस्या बना डालते हैं। इन चैनल्ज़ के साथ-साथ सभी देशवासी भी जैसे इन्हीं समस्या के साथ उलझ जाते हैं। अभी हाल ही में विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के रिश्ते को तो राष्ट्रीय मुद्दा जैसे घोषित किया ही जा चुका था। उनका रिश्ता ठीक चल रहा है, उनका झगड़ा चल रहा है या उनकी सुलह हो गई यह सभी चैनल्ज़ की चिन्ता का विषय था।

हालांकि बहुत से सितारों की शादी के लिए चिन्तातुर तो ये मीडिया वाले अक्सर रहते ही हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन कुछ वर्ष पहले अभिषेक बच्चन की शादी के मुद्दे को भी राष्ट्रीय मुद्दा घोषित किया गया था। जहां गाहे बगाहे उस की शादी के क़यास लगाए जाते थे वहीं विकल्प भी बताए जाते थे कि कौन-सी हीरोइन उस के साथ जंच सकती है। यह मीडिया ही था जिसने अभिषेक बच्चन को मोस्ट एलिजबल बैचलॅर घोषित किया था और बड़े पैमाने पर उसकी शादी की चिन्ता भी जताई थी। बाकायदा उसकी शादी को लेकर लोगों में सर्वे तक किया जाता था कि कौन-सी हीरोइन के साथ उसकी शादी होनी चाहिए। अब बताओ वो जाने या हीरोइन। इसमें लोगों की राय का क्या काम। लेकिन ये भी नहीं कि यह सब दिलचस्प नहीं लगता था। इस मुद्दे में लोगों की दिलचस्पी इस प्रकार बना दी गई थी कि सर्वे को देखना दिलचस्प लगता था। और जब हमारी पसंद की हीरोइन को ज़्यादा लोग पसंद करते थे तो यूं लगता था जैसे हम मैच जीत गए हों।

एक और दिलचस्प क़िस्सा यहां मुझे याद आ रहा है। यह जॉन अब्राहम और बिपाशा के ब्रेकअॅप के काफ़ी पहले की बात है। उन दिनों में भी ऐसे क़यास लगाए जा रहे थे कि दोनों का झगड़ा चल रहा है। ज़ाहिर है पूरा मीडिया चिंतित था। जॉन को किसी प्रोग्राम की लॉन्च पर जाना था। उधर किसी चैनल ने पूरा प्रोग्राम इस पर चला दिया कि जॉन अपने रिश्ते पर बोलेंगे। अभी उससे बात नहीं हुई थी। वहां रिपोर्टर जॉन से बात करने के लिए मौजूद थी इधर अनाउंसर बोल रही थी – “देखिए पहली बार जॉन बताएंगे अपने रिश्ते की सच्चाई। पहली बार इसी चैनल पर – वग़ैरह वग़ैरह।” काफ़ी इंतज़ार के बाद आख़िर रिपोर्टर की जॉन के साथ बात हो पाई। जैसे कि लॉन्च का वक़्त था तो उसी के बारे में बात करनी बनती थी। उसी के बारे में उसने बात की। उधर अनाउंसर को टैंशन जो इतनी देर से राज़ फाश करने का अनाउंस कर रही थी। अनाउंसर ने रिपोर्टर को जॉन से उनके रिश्ते के बारे में पूछने की हिदायत दी। रिपोर्टर के पूछने पर जॉन का जवाब था कि जो प्रोग्राम यहां है हम उसी के बारे में बात करें तो बेहतर होगा। यह इग्ज़ैक्ट वर्डिंग नहीं पर उसका जवाब कुछ ऐसा ही था। यानी उस मुद्दे पर उन्होंने बात नहीं की बल्कि ज़्यादा वक़्त न देते हुए वो वहां से चलते बने। और चैनल पर अनाउंसर ने फिर कहना शुरू किया “तो दर्शकों ने देखा किस सफ़ाई के साथ जॉन अपने रिश्ते की बात को टाल गए।” मुझे चैनल पर बैठी मोहतरमा और रिपोर्टर की हालत पर जहां हंसी आई वहीं उनकी मजबूरी के बारे में भी मैं सोचने पर मजबूर हो गई।

अभिषेक बच्चन की शादी की चिन्ता ही नहीं उनका शादी का क़िस्सा भी दिलचस्प है। शादी में मीडिया आमंत्रित नहीं था। ज़ाहिर सी बात है कि जहां पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री एकत्र हुई हो वहां मीडिया न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। पूरे मीडिया ने पूरे ताम झाम के साथ उनके बंगले के सामने सुबह से ही अपने खेमे गाड़ रखे थे। दर्शक वर्ग जिनमें हम भी शामिल थे वो भी टी.वी. के सामने बिराजमान थे क्यूंकि मीडिया ने हमें अच्छी तरह से याद दिला दी थी शादी की तारीख़। कौन-कौन सी फ़िल्मी हस्तियां पहुंच रही हैं यह जानने का भरपूर प्रयत्न हो रहा था। इन्तज़ार था तो बारात के वहां से चलने का ताकि कुछ दिखाई दे सके। वहां पास जाने की शायद इजाज़त नहीं थी इस लिए दूर से ही सब नज़रें यानी कैमरे गड़ाए हुए थे। और फिर नज़र आई सामने बसों की लाइन। एक दिलचस्प बात यह है कि दर्शक आम तौर पर अपने आप को कैमरामैन की पोज़ीशन में महसूस करता है। कैमरामैन कभी ऊंचे हो कर, कभी इधर से कभी नीचे से देखने का प्रयत्न कर रहे थे उसी पोज़ीशन में हम अपने आप को महसूस कर रहे थे। दिखाई तो कुछ दे नहीं रहा था। बस पता चल रहा था कि अभिषेक की बारात रवानगी को तैयार है। अरे…. अरे इधर से वो पीछे से नज़र आए अमिताभ बच्चन। लगा जैसे सारा इंतज़ाम संभाल रहे हों। लगा तो क्या लगवाया गया। अब इतने से सीन को सभी चैनल्ज़ ने अलग अलग अंदाज़ में पेश किया। स्पष्ट न दिखने वाले चेहरे पर ज़िम्मेदारी के भाव भी नज़र आए। और फिर अरे उधर से तो देखो अभिषेक बच्चन भी नज़र आए। मेहनत रंग लाई। उन्होंने तो हमारी तरफ़ हाथ भी हिलाया। बस ज़रा इधर टेढ़े हो कर बस के पीछे से देखना पड़ा। और इनके चेहरे पर तो सच में खुशी की झलक दिखाई दी। ये दो सीन शादी देखने की कोशिश में हमने दिन में कितनी ही बार देख डाले। उस दिन तो कैमरामैन के साथ-साथ जो हमने ऊपर नीचे दाएं बाएं हो कर शादी देखने का प्रयत्न किया वो हम ही जानते हैं। खैर शाम तक किसी चैनल ने ऐश्वर्या के पिछले दिन की कुछ तसवीरें दिखा कर इतनी तसल्ली दिलाई कि चलो शादी का कोई हिस्सा तो हम देख पाए।

आमिर खान की शादी को दिखाने की मीडिया की कोशिश के तो क्या ही कहने। शादी को गुप्त रखा गया था। मीडिया को पास जाने की इजाज़त नहीं थी। लेकिन यहां भी मीडिया के प्रयत्न जारी थे। उन लोगों को जिस तरह से वहां से हटाया जा रहा था वो वास्तव में दिलचस्प नहीं था। जिस तरह से रिपोर्टर्ज़ बार बार कोशिश कर रहे थे और उन की इन्सल्ट करके उन्हें भगाया जा रहा था। यह देख कर दुःख हो रहा था उनकी जॉब की मजबूरी के लिए। हालांकि किसी की निजी ज़िन्दगी में ताक झांक करना क़तई सही नहीं है लेकिन फिर भी उनकी इस कोशिश में मुझे उनकी दिलचस्पी कम नौकरी की मजबूरी अधिक नज़र आ रही थी। असलियत न जानते हुए भी मुझे इस वाक़या ने उन के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया।

खैर यदि हम ताक झांक के क़िस्सों की बात करें तो अनगिनत क़िस्से दिमाग़ में कौंध जाते हैं। सलमान खान की गर्लफ्रैन्डज़ की गिनती और अमिताभ रेखा के प्रेम प्रसंग का क़िस्सा तो चैनल्ज़ पर इतनी बार दोहराया जा चुका है कि इन के बारे में बात करते हुए लगता है किसी घिसे पिटे क़िस्से को दोहरा रहे हों। यहां मुझे सलमान खान की एक बात याद आ रही है। जब उन से प्रश्न पूछा गया कि क्या सभी रूमॅर्ज़ सच होते हैं तो उन्होंने कहा था कि काफ़ी सच भी होते हैं लेकिन कई बार आने वाली फ़िल्म की प्रमोशन के कारण फ़िल्म वालों की तरफ़ से भी ऐसा किया जाता है। उनका यह कहना काफ़ी सच लगा और हैरत भी हुई। मैंने कई बार नोट किया है कि जब किसी कलाकार की फ़िल्म आने वाली होती है उन्हीं दिनों या तो उसके अफेयर की या ब्रेकअॅप की ख़बरें आने लगती हैं। तो इस प्रकार भी जन्म होता है कई दिलचस्प क़िस्सों का। इस तरह दर्शकों की दिलचस्पी बनाने वाले सितारों की ज़िन्दगी के दिलचस्प किस्सों पर हम यहीं विराम लगाते हुए कामना करते हैं कि मीडिया और सितारों का यह लुका-छिपी का खेल आगे चल कर थोड़ा मैचिओरिटी की ओर बढ़ेगा। और दर्शकों का मनोरंजन भी बना रहेगा।

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