-दीपक कुमार गर्ग

तीस साल की उम्र में आते-आते अक्सर ही हम चिंता, टैंशन, तनाव या डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं। हमें बात-बात पर गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने लगती है या हम उलझन में पड़ जाते हैं। बीमारियां, निराशा, उदासी जैसे नकारात्मक विचार हमें अपने शिकंजे में ले लेते हैं। हमको पता ही नहीं लगता कि हम कई गंदी आदतों के शिकार भी बन जाते हैं। अच्छा खाना पीना टॉनिक और दवाइयां भी हमारे ऊपर कम असर करने लगती हैं। परंतु यदि हम अपनी बुरी आदतों में सुधार कर लें और कुछ अच्छी आदतें और नियमों को अपने जीवन में जगह दें तो हम अपने तन-मन में नई हिम्मत और नई उम्मीद जगा सकते हैं। संभव है पहले-पहल हमें इन नियमों को अपनाने में असुविधा हो। पर अपनी सकारात्मक सोच के चलते हम आसानी के साथ इनको अपनी ज़िंदगी में शामिल कर सकते हैं। और तो और अपने रहन-सहन में लाए गए इस थोड़े से बदलाव से हम मामूली नज़ला-ज़ुकाम से लेकर हार्ट डिज़ीज़ और कैंसर जैसी नामुराद बीमारियों से अपने आप को दूर रख सकते हैं। क्या हो सकते हैं यह नियम आओ ज़रा इस पर नज़र डालें-

1. इस उम्र में आते-आते अक्सर हमें पता ही नहीं लगता कि हम अपने आप के बारे में सोचना छोड़कर दूसरों के बारे में अच्छा या बुरा सोचने लग जाते हैं क्योंकि हमारा विवाह हो चुका होता है। तब तक बच्चे भी हो जाते हैं। हमारी सकारात्मक सोच अपने जीवन साथी और बच्चों के प्रति केन्द्रित हो जाती है। नकारात्मक सोच हम अपने आसपास और व्यापारिक प्रतियोगी की तरफ़ लगाना शुरू कर देते हैं। यदि आप अपने जीवन में शांति का एहसास चाहते हो तो भूल जाओ इन सब के बारे में। पहले आप अपने ऊपर ध्यान दें। अपने आपको शारीरिक एवं मानसिक रूप से सेहतमंद महसूस करें। अपने भोजन और पहरावे की तरफ़ एक नज़र डालकर देखें यदि कुछ सुधार की ज़रूरत है तो उसमें भी सुधार लाएं।

2. इस उम्र में आते-आते अक्सर ही साइलेंट किलर के रूप में मोटापा घेरने लगता है। कुछ और बीमारियां भी अंदर ही अंदर हमारे शरीर में जगह ढूंढने लगती हैं। जिनसे बचने के लिए ज़रूरी है कि हम योगा, मेडिटेशन और कसरत को जीवन में अपनाने की शुरूआत कर दें। जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उसकी मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं। शरीर और हड्डियों की ताक़त घटने लगती है। कसरत, योगा और मेडिटेशन इनकी भरपाई करने का सबसे आसान और सस्ता उपाय है। शारीरिक कसरत आपको शरीर के साथ-साथ मानसिक रूप से भी सेहतमंद रखती है। पर कोई भी कसरत करने से पहले अपने पारिवारिक डॉक्टर से पूरा-पूरा चैकअप करवा लें। यदि संभव हो तो एरोबिक और तैराकी को अपने फिटनेस प्रोग्राम में शामिल करने की कोशिश करें। कुछ समय व्यापार और पैसे की प्रतियोगिता छोड़कर खेलों में प्रतियोगिता की शुरूआत करें। सुबह की सैर की और शाम को टहलने की आदत बनाएं।

3. यदि आप अब तक पानी के असली महत्त्व से अंजान रहे हो तो आज से ही इसके असली महत्त्व की तरफ़ ध्यान दें। इसको ज़िंदगी में महत्वपूर्ण स्थान दें। पानी शरीर को पोषक तत्त्व तो देता है साथ ही यह शरीर का तापमान भी संतुलित रखता है। हमारे पाचन को ठीक करने के साथ-साथ हड्डियों और जोड़ों के लिए चिकनाई पैदा करता है। शरीर की गंदगी को बाहर निकालकर चमड़ी को सेहतमंद, जवान और आकर्षक बनाता है। इसलिए आज से ही रोज़ाना आठ-दस गिलास पानी पीने का एक नियम ज़रूर बना लें। गर्मियों में पानी हमेशा ताज़ा पीयें न कि फ्रिज का। इसी तरह सर्दियों में ताज़ा पानी पिया जा सकता है। पानी का सही उपयोग हमें कई प्रकार की बीमारियों से दूर रखता है। जहां पानी मोटापे को दूर रखता है वहीं दुबले-पतले लोगों को सेहतमंद रखता है। यदि आप किसी समय अचानक ही किसी टैंशन के शिकार हो जाते हो तो तुरंत ही बाथरूम में जाएं यदि सर्दी है तो गर्म पानी के साथ स्नान करें और दूसरे मौसम में ताज़े पानी का उपयोग करें। यदि स्नान की सुविधा पास में न मिल सके तो बस मुंह हाथ ही धो लें। यह छोटा सा उपाय टैंशन दूर करने का बहुत ही बढ़िया तरीक़ा है।

4. क्या कुछ ईश्‍वर द्वारा दी गई कमज़ोरियां जैसे कोई सामाजिक कमज़ोरी, पैसे की कमी, रुतबे में कमी, अतीत में मिली असफलता ने आपको नकारात्मक सोचने का आदी बना दिया है? यदि यह सच है तो अब भी इसके ऊपर रोक लगा लें नहीं तो शारीरिक रूप से आपको कमज़ोर होने में देर नहीं लगेगी। नकारात्मक विचार एक छूत की बीमारी की तरह होते हैं। जिसको सकारात्मक सोच वाली दवाई ही क़ाबू कर सकती है। यदि आप इस बीमारी के शिकार हो गए हैं तो सबसे पहले तो अपने आसपास के अन्य ऐसे बीमार लोगों से दूर रहें। इसके उल्ट सकारात्मक सोच से युक्‍त लोगों की निकटता हासिल करें। आप अपनी अब तक की नाकामयाबियों को समय का फेर समझते हुए उनके कारण ढूंढने के लिए सकारात्मक सोच उत्पन्न करके आगे बढ़ सकते हैं। सबसे ज़रूरी है कि आप अपने जीवन में किसी ख़ास व्यक्‍त‍ि को अपना आदर्श बनाएं। उसके जीवन का अध्ययन करें। जैसे आप अमिताभ बच्चन के जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं कि किस तरह उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी थी। हर वस्तु के हमेशा दो पहलू होते हैं। एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक। आप अपने दिमाग़ में सकारात्मक सोच को सेट करके अपने अंदर की कमज़ोरियों को नज़रअंदाज़ करके अपनी अच्छाइयों को पहचानें और उन अच्छाइयों पर ध्यान दें। फिर देखेंगे कि आपके अंदर अच्छाइयां बढ़ती जा रही हैं। एक समय ऐसा आएगा यह इतनी ज़्यादा बढ़ जाएंगी कि आपकी कमज़ोरियां इसके आगे फीकी पड़ जाएंगी और आप भी एक स्टार बन जाएंगे।

5. जब आपकी नई-नई शादी होती है तो सेक्स और शारीरिक आकर्षण का एक ख़ास स्थान होता है। परंतु धीरे-धीरे ज़िंदगी के दूसरे पहलू, कारोबारी उलझनें, बच्चों के सवाल और पारिवारिक झमेले इसके ऊपर हावी हो जाते हैं। जिस कारण लंबे समय तक सेक्स और शारीरिक ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ करना टैंशन को जन्म देता है। यदि किसी समय आपको लगे कि आपकी सेक्स लाइफ़ अपना प्रभाव कम करने लगी है तो दोनों पति-पत्‍नी इस बारे में खुलकर बातचीत करें। टैंशन को दूर करने के लिए अपने रोमांस को नये सिरे से शुरू करें। ठीक उसी तरह जिस तरह पहली बार शुरू किया था। दोनों मिलकर हंसने मुस्कुराने के मौक़े ढूंढें, अपने दुःख-सुख बांटें, टी.वी. बंद कर दें, किचन का काम कुछ समय तक करना भुला दें और दोनों मिलकर एकांत का मज़ा लूटें। सेक्स का आनंद लें। डॉक्टरों के अनुसार सेक्स आपके दिमाग़ में ओडोफिलन के लेवल को बढ़ा देता है। इसमें मानसिक खुशी बढ़ाने वाला रसायन होता है जो डिप्रेशन को ख़त्म कर देता है।

6. शुरू-शुरू में कुछ बातें हमने शौक़-शौक़ में अपना रखी होती हैं। परंतु अब तक यह शौक़ हमारी बुरी आदतों में बदल चुका होता है। जो कि अक्सर तनाव का कारण बनने लगता है। इसलिए आज से ही फ़ैसला करें कि हम इन गंदी आदतों का त्याग कर देंगे। शराब, सिगरेट, जुआ शुरू में मनोरंजन के रूप में अच्छे लगते हैं परंतु बाद में धीरे-धीरे सभी शौक़ परेशानियों का कारण बन जाते हैं। शराब और सिगरेट हमारी सेहत के लिए हानिकारक है। इस बारे में ज़्यादा बताने की ज़रूरत नहीं है। वैसे जुआ भी तो आजतक किसी का नहीं हुआ है पर यदि कुछ लोगों को यह लाभ देता है तो याद रखो कि शॉर्टकट तरीक़े से कमाया गया पैसा हमेशा शॉर्टकट में ही चला जाता है।

7. अब तक आपने जो मन में आया वह खा लिया कोई परवाह नहीं। परंतु अब तो आपको भोजन की तरफ़ ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। भोजन केवल जीने के लिए ही ज़रूरी नहीं बल्कि आपको कई बीमारियों से भी बचाता है। अपने भोजन के लिए बेहतर है कि आप किसी डाइटीशियन की मदद लें। अपने रोज़ाना के भोजन में फल और हरी सब्ज़ियों को अधिक से अधिक स्थान दें। फल और सब्ज़ियों में उनको पहल दें जो आपको कैंसर आदि बीमारियों के विरुद्ध रक्षा कवच का काम देती हैं। पपीता और सोयाबीन को अपने दैनिक भोजन में शामिल करें। फल और सब्ज़ियां हमेशां ताज़े रूप में ही इस्तेमाल करना लाभदायक सिद्ध होता है। डॉक्टर या डाइटीशियन की सलाह से अपने भोजन में लोह तत्त्व शामिल करें। चाय और कॉफ़ी का इस्तेमाल कम करें। सीज़न में आंवला किसी भी रूप में हर रोज़ इस्तेमाल करें। आंवला में बुढ़ापा दूर भगाने की ताक़त होती है। पालक और गाजर का भी किसी भी रूप में अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। पालक और दही कभी भी एक साथ नहीं खाने चाहिए। भोजन को हज़म करने के लिए शरीर को ज़्यादा एनर्जी ख़र्च करनी पड़ती है। इसलिए यदि रात को पेट भर कर भोजन करोगे तो उस वक़्त आपके शरीर को मेहनत करने का कोई मौक़ा नहीं मिलता इसलिए आपकी नींद में ख़लल पड़ेगा। रात में दही या चावल तो कभी भी नहीं खाने चाहिए। दिनभर चुस्त-दुरुस्त बने रहने के लिए नाश्ता ज़रूर भारी करें। लंच ज़रूरत के मुताबिक़ करें पर डिनर हमेशा हल्का ही करना चाहिए।

8. यदि आपने अपने आपको आध्यात्मिकता की तरफ़ नहीं मोड़ा है तो आज ही आध्यात्मिकता को अपनाएं। हर रोज़ 15 मिनट के लिए अपने आपको अकेला करें। प्रकृति के क़रीब होते हुए लंबी और गहरी सांस लें। क़ुदरत को समझने की कोशिश करें। यह सबसे बड़ी पूजा है। मन ही मन परमात्मा से एक प्रार्थना करें। इंसानी जीवन देने के लिए धन्यवाद करें। इसके बाद कुछ समय के लिए मन को सांसारिक बंधनों से आज़ाद करें। अपने मन में कोई ऐसी शक्‍त‍ि या मंत्र को बैठा लें जो आपको ताक़त देती हो। ऐसा करने से आपका डिप्रेशन छू मंतर हो जाएगा। इसके बाद क़ुदरत को और क़रीब से होकर देखने के लिए पंछियों को दाना डालें, पेड़-पौधों को पानी दें। आपके जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आएगी।

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आध्यात्मता को हमेशा ज़िम्मेदारी के बीच रहकर ही अपनाना चाहिए। दुनियादारी भूलकर, चोला पहन लेना, आज के जीवन में यह आध्यात्मिकता नहीं बल्कि पाखंड है। आध्यात्मिकता को अपनाने के लिए कभी-भी किसी पाखंडी डेरे के महंत की मदद बिल्कुल न लें।

9. जीवन में टैंशन को दूर भगाने के लिए कभी भी एलोपैथिक दवाइयां, शराब या और किसी नशे की मदद न लें। यह आपकी बीमारी को घटाने की बजाए बढ़ाते हैं। यदि दवाई की ज़रूरत ही हो तो होम्योपैथिक दवाइयों की मदद लें। होम्योपैथी का ही एक और रूप बैजलावर रैमेडी भी तनाव घटाने में मदद कर सकती है। होम्योपैथी में कैंसर तक को ख़त्म करने की ताक़त है। परंतु यह दवाई हमेशा किसी योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की देख रेख में ही लेनी चाहिए। कुछ हर्बल दवाइयां जैसे जिंकसेन और अश्‍वगंधा भी डिप्रेशन दूर करने में सहायक होती है।

One comment

  1. very very nice and useful article. thanks for sharing

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