-संगीता गोयल

बदलते मौसम का असर तो हर प्राणी पर पड़ता ही है लेकिन गर्मी का मौसम तो अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है और ख़ासतौर से बच्चे तो इस मौसम में तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो ही जाते हैं। गर्मी के दिनों में बच्चों को अतिसार, पीलिया, बुख़ा़ार, ज़ुकाम, लू लगना, उल्टी, दस्त आदि व्याधियां अक्सर देखने में आती हैं। ज़रा सी लापरवाही बरतने से ही इस मौसम में बच्चे बड़ी आसानी से उल्टी, दस्त डायरिया, हैजा, क़ब्ज़, पेट दर्द, एसीडिटी इत्यादि रोगों के शिकार हो सकते हैं। छोटे बच्चों को ज़्यादा उल्टी दस्त लगने से कई बार तो उनके प्राणों पर ही संकट के बादल मंडराने लगते हैं और बहुत से ऐसे बच्चे हर साल देखभाल के अभाव में और समय पर सही उपचार न मिलने के कारण असमय ही काल के ग्रास भी बन जाते हैं। अतः छोटे बच्चों का गर्मी से विशेष तौर पर बचाव किया जाना चाहिए।

1. गर्मियों में प्रचंड धूप और तेज़ हवाओं के कारण लू लगने का ख़तरा सर्वाधिक रहता है और थोड़ी-सी असावधानी के कारण लू लगने से बच्चों के प्राण भी जा सकते हैं। इसलिए बच्चों को तेज़ धूप में बाहर न निकलने दें। लू का सर्वाधिक प्रकोप प्रातः 10 बजे से सायं 4 बजे तक होता है, इसलिए स्कूल से आने के बाद उन्हें धूप में न खेलने दें बल्कि दोपहर में सुला दें तो बेहतर है।

2. ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बच्चे अधिकांश समय घर में ही रहते हैं और दिनभर कुछ न कुछ खाते ही रहते हैं। घर से बाहर भी कई तरह की ऐसी चीज़ें खाते हैं, जो इस मौसम में उनके स्वास्थ्य को बहुत ही नुक़सान पहुंचाती हैं और उन्हें पेट संबंधी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतः उनके खान-पान पर पूरा ध्यान रखें और ध्यान रखें कि वे भूख से ज़्यादा भी न खाएं।

3. अगर बच्चे को लू लग जाए अथवा वह पीलिया रोग से ग्रस्त हो जाए या शरीर में भीषण गर्मी की वजह से जलन होने लगे तो प्रतिदिन नियमित रूप से दो-तीन गिलास गन्ने का ताज़ा और बिना बर्फ़ डाला रस उसे अवश्य पिलाएं। गन्ने का रस गर्मी से राहत दिलाने के साथ-साथ मन-मस्तिष्क को शीतलता प्रदान कर तृप्तता का एहसास कराते हुए इन रोगों से मुक्ति दिलाता ही है, इससे पेशाब भी खुलकर आता है और गन्ने का रस पाचक होने के कारण दस्त भी साफ़ आता है।

4. चूंकि ज़्यादा गर्मी की वजह से भोजन ठीक से नहीं पच पाता, इसलिए बच्चों को भूख भी कम ही लगती है। अतः ध्यान रखें कि बच्चों के आहार में हल्के और पौष्टिक तत्वों का समावेश हो ताकि उन्हें उचित पोषण मिलता रहे। गर्मी के दिनों प्रचंड धूप बच्चों की शारीरिक ऊर्जा का भी क्षय करती है, इसलिए उनके आहार में पौष्टिक तत्वों का समावेश किया जाना बहुत ज़रूरी है।

5. बच्चे आइसक्रीम के तो दीवाने होते हैं लेकिन ध्यान रखें कि आइसक्रीम के सेवन से एकबारगी तो ठंडक मिलती है किन्तु इनकी तासीर ठंडी नहीं होती। ज़्यादा आइसक्रीम के सेवन से बच्चों के दांतों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, गला भी ख़राब हो सकता है, बच्चे खांसी-ज़ुकाम के शिकार भी हो सकते हैं और उनकी पाचन शक्ति भी कमज़ोर हो सकती है। इसलिए इस बात का पूरा ध्यान रखें कि बच्चे ज़्यादा आइसक्रीम का सेवन न करें। घर में बर्फ़ का इस्तेमाल भी कम से कम करें क्योंकि बर्फ़ भी पीने में तत्काल तो ठंडक देती है किन्तु उसकी ठंडक स्थायी नहीं होती बल्कि नुक़सान ही पहुंचाती है।

6. पेप्सी, कोका-कोला इत्यादि बाज़ारू कोल्ड ड्रिंक्स तो बच्चों के लिए ज़हर के समान हैं। इनके स्थान पर बच्चों को ठंडी तासीर वाले पेय पदार्थों जैसे दही, लस्सी, ठंडाई, मौसमी फलों का ताज़ा रस, गन्ने का रस, आमरस, आम का पना, जौ या चने का सत्तू, नींबू की शिकंजी, कच्चे आम का पना, ग्लूकोज़, बेल का शर्बत तथा घर के बने अन्य शर्बत इत्यादि दें। इनसे उनके शरीर में तरावट तो आएगी ही, ये बच्चों को प्रचंड गर्मी के आघात से बचाने के साथ-साथ शरीर में नई शक्ति का संचार करने में भी सहायक होंगे।

7. दही का इस्तेमाल गर्मियों में बच्चों के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है किन्तु दही का इस्तेमाल करते समय विशेष सावधानी बरतें। क्योंकि तापमान की अधिकता के कारण दही जल्दी जम जाता है और तापमान की अधिकता के कारण दही में मौजूद बैक्टीरिया का प्रसार भी तेज़ी से होता है, इसलिए बासी दही का उपयोग न करें।

8. बच्चों को घर से बाहर, धूल-मिट्टी में या खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थ न खाने के लिए प्रेरित करें। ये उनके स्वास्थ्य को बहुत नुक़सान पहुंचा सकते हैं।

9. साफ़-सफ़ाई के अभाव में भी इस मौमस में बीमारियां ज़्यादा पनपती हैं, इसलिए खुद तो साफ़-सफ़ाई के प्रति सजग रहें ही, बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करें कि वे अपने आसपास कूड़ा-कचरा न फैलायें। उन्हें अपने साथ-साथ दूसरों के स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहने के लिए प्रेरित करें।

10. घर में सभी पदार्थों को अच्छी तरह ढककर रखें। उन पर मक्खियां न भिनकने दें। खाद्य पदार्थों पर मक्खियां भिनभिनाने से संक्रमण का ख़तरा तो रहता ही है, खुले खाद्य पदार्थों पर कीटाणु भी जल्दी पनपते हैं और इस तरह बच्चे जल्द ही इनके संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। तापमान की अधिकता के कारण हवा में मौजूद बैक्टीरिया भोजन में जल्दी पनपते हैं और भोजन को सड़ा देते हैं। इस प्रकार का दूषित भोजन ‘फूड पॉइज़निंग’ की समस्या को भी न्यौता दे सकता है। अतः दूषित खाद्य पदार्थ बच्चों को हरगिज़ न दें।

11. भोजन बैक्टीरिया मुक्त हो, इसके लिए ज़रूरी है कि उसे अच्छी तरह पकाएं और पकाने के बाद भोजन दूषित न हो, इसके लिए उसे संरक्षित करने पर भी विशेष ध्यान दें। कच्चे फल-सब्ज़ियां भी गर्मी की प्रचंडता के कारण जल्दी ख़राब होते हैं, अतः बासी फल-सब्ज़ियों का इस्तेमाल करने से बचें।

12. इस मौसम में बच्चे कभी भी दस्त, उल्टी, अतिसार, डायरिया, हैजा आदि के प्रकोप के शिकार हो सकते हैं, इसलिए फर्स्ट एड बॉक्स, उल्टी-दस्त की आवश्यक दवाएं घर में हर समय रखें ताकि अचानक इनकी ज़रूरत पड़ने पर समय नष्ट न हो और स्थिति समय रहते ही नियंत्रण में आ सके। घर में ग्लूकोज़, इलैक्ट्रॉल, पुदीन हरा आदि भी ज़रूर रखें।  

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