ज़िन्दगानी, ये जवानी यूं ही गुज़र जाने का नाम नहीं

हादसों का नाम है ये, एक रवानी-सी है। ज़िंदगी का मतलब यह नहीं कि जो हो रहा है उसे वैसे ही होता रहने दो। जो गल-सड़ चुका है उसे बदल दो। कुछ नया करो, कुछ बढ़िया करो।

हमने अपनी ज़िंदगी का बहुत-सा वक़्त तो सीखने में और सीखी हुई ज़िंदगी जीने में ही गुज़ार दिया। क्या आपने कभी सोचा है कि हम में से बहुतों ने ज़िंदगी में कभी कुछ नया जोड़ा ही नहीं, नया सोचा ही नहीं। बस यूं ही एक भेड़ चाल में शामिल हो गए। बड़ों ने जो कहा अच्छा है वो अच्छा, जो कहा सच है वो सच है। लेकिन यदि ऐसा ही होता तो क्या वास्तव में इन्सान तरक्क़ी करता? क्या हम अपने देवता चांद पर पांव रखने की जुरअत करते? वक़्‍त के साथ नया सोचने की हिम्मत करो, अपने को बदलो। वरना वक़्त से हम बहुत पीछे रह जाएंगे।

कुछ न करने के बहुत से कारण हैं हमारे पास। भगवान् जो करता है अच्छा ही करता है जैसा भगवान् चाहेंगे वैसा ही होगा। अरे भले लोगो, अगर भगवान् के ज़िम्मे ही सब छोड़ दोगे तो तुम क्या करोगे?

हमने एक धारणा-सी बनाई है कि आदमी को जो है, जैसा है उसी में संतुष्ट रहना है लेकिन इतना सन्तोष भी ठीक नहीं कि सब ठहर जाए। बुरा देखो तो आंख बंद न कर लो। उसे बदलने की हिम्मत पैदा कर लो। संतुष्टि की धारणा ने ही हमारी मुसीबतें बढ़़ा दी हैं हमारे यहां ग़रीबी है पर हम संतुष्ट हैं। महंगाई है, भ्रष्टा़चार है पर हम पूरी तरह से संतुष्ट हैं। अब भगवान् की करनी को कौन टाल सकता है। एक शेयर याद आ रहा है

                                            हमने भी सीख ली है ये नज़ाकत वक़्त की
                                            दर्द ही होता नहीं है तीर अब खाने के बाद

हम सीख गए हैं सारी मुसीबतों के साथ जीना और पूरे संतोष से जीना। आख़िर इन सारी मुश्किलों को हटाएगा कौन? मनुष्य बना ही है संघर्ष करने के लिए। संघर्ष न करे तो जीवन बोझिल हो जाए। कभी भी ज़िंदगी के सुख, खुशियां परोस के नहीं मिल सकते। इन के लिए खुद संघर्ष करना पड़ता है। कोई दूसरा हमारे अधिकारों के लिए संघर्ष क्यूं करे।

अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करते हुए जीवन को उसकी परिपूर्णता में जीओ। परिपूर्णता में जीने का अर्थ है कुछ करने की हिम्‍मत, कुछ करने की आकांक्षा। कोई साफ़ स्पष्ट रास्ता, मंज़िल को नहीं जाता। मंज़िल तक पहुंचने के लिए टेढ़े-मेढ़े रास्तों से गुज़रना ही पड़ता है। हर बुराई को देख कर आंखें मूंदने की बजाए खुद नए रास्ते तलाश करो। ये जान लो कि स्वर्ग इसी धरती पर है। इसी ज़मीं को स्वर्ग बनाया जा सकता है यदि नया सोचने की, लड़ने की, संघर्ष करने की हिम्मत जुटाई जा सके।

आज्ञाकारी बनो, बड़ों की बात ध्यान से सुनो पर अन्धे, मत बनो। अपना इतिहास खुद लिखो।

-सिमरन

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