महिला शख्सियतें

सानिया मिर्ज़ा पराइड ऑफ़ द नेशन

सानिया को लोकप्रिय बनाने में मीडिया का भरपूर हाथ रहा है। जहां उसके लिए मीडिया अच्छा साबित हुआ वहीं समय-समय पर कई विवादों को भी मीडिया ने खूब उछाला। सानिया मीडिया के साथ अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहती हैं कि मीडिया का उसके साथ लव-हेट रिलेशनशिप रहा है।

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देश व नारी जाति का गौरव बढ़ाया कल्पना ने

-मुकेश विग इतिहास रचने वालों को कब किसी की इजाज़त मिलती है। वक़्त उसके साथ न था, घरवालों का सहयोग भी न था। घरवालों को कहां अंदाज़ा होगा उसकी क़ाबिलीयत का! एक बार अपने सपने पूरे कर कल्पना मंगल ग्रह तक पहुंची तो दुनियां भर को नाज़ हो आया उसकी क़ाबिलीयत पर! कल्पना ने अपना इतिहास खुद लिखा ये बता ...

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सांसों के हिस्से की खुशबू अमृता प्रीतम

-जसबीर भुल्‍लर हौज़ ख़ास की सुरमई शाम हरी कचूर बेलों पर फैल गई। इमरोज़ के चंबे में चिड़ियों की रौनक बढ़ गई थी। उसके हाथों से बनाये घौंसलों में चिड़ियां तिनके चुनने लगीं थीं।     दोस्तों के उस घर में मैं बेपनाह परवाज़ की पनाह देखता रहा था।     उस दिन अमृता प्रीतम ने दूधिया पन्नों वाली एक डायरी मुझे ...

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भारत की प्रथम महिला पुलिस अधिकारी-किरन बेदी

          भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री स्व. इन्दिरा गांधी के कार्यकाल में ही 1972 में डाॅ. किरन बेदी भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्‍त होने वाली प्रथम महिला पुलिस अधिकारी बनी। अपने कार्यकाल के दौरान वे एक सुपर कोप-परम पुलिस कर्मी के रूप में विश्‍व प्रसिद्ध हुईं। जब 26 जनवरी, 1973 को गणतन्त्र दिवस के अवसर पर दिल्ली पुलिस के ...

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नम शब्दों की आबशार-दलीप कौर टिवाणा

मुझे अंदेशा-सा हुआ, जिसे मैं मिलकर आया था, शायद यह कोई दूसरी दलीप कौर थी। वहां दीवारों पर लटकती हुई पेंटिंगज़ नहीं थी। वहां पर न तो कोई काग़ज़ था और न ही कोई पैॅन।

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एक खुशबू थी अमृता प्रीतम

अमृता ने अपनी जीवन की अन्तिम कविता जो उसने 2002 में अपने हर पल के साथी इमरोज़ के लिए लिखी थी, में उससे अपने पुनर्मिलन की हार्दिक इच्छा यूं अभिव्यक्‍त की है:- “मैं तुझे फिर मिलूंगी कहां? कैसे? मालूम नहीं

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