दरस दिखादे तरस तू खा ले मुझपे मेरे कन्हैया उम्र बीत गयी अब तो पार करदे मेरीी नैया हर प्राणी के स्वर में मोहन बजती तेरी मुरलिया मेरे मन के भाव भी समझो कृपा करो सांवरिया
Read More »काव्य
क़त्ल
मां तेरी महानता की परिधी के ओर-छोर आस-पास तक कहीं भी नहीं थी निर्दयता फिर तू निर्दयी बनी कैसे?
Read More »अभागी मां
एक आवाज़ फूटी- वह जल मरी भीड़ भरे शोर में दादी की भरोई आवाज़ गूंजी
Read More »बंदूकें और कंटीली तार
आज की इस सरहद के पास ही था मेरा घर कभी बेशक था छोटा सा मगर था, थे कुछ खेत और खलिहान बसता था एक खुशहाल गांव भी
Read More »मां
मैंने प्रथम बार जब स्वयं में तुम्हारे होने के संकेत पाए तो लगा मैं आकाश हो गई हूं
Read More »चिट्ठियां
आज भी संजोये हुए हूं वो पुरानी चिट्ठियां धुंधले पड़ गए हैं शब्द नर्म पड़ चुके और गले हुए काग़ज़ बचाए हुए हैं अपना वजूद जैसे-तैसे
Read More »हे प्रकृति मां
अपनी तृष्णा की चाह में मैंने भेंट चढ़ा दिए हैं, विशालकाय पहाड़ ताकि मैं सीमेंट निर्माण कर बना सकूं, एक मज़बूत और टिकाऊं घर, अपने लिए
Read More »भावुक लोग
इस प्रजाति के लोग हर कस्बे में मिल जाते हैं ये लोग बड़े भावुक होते जल्दी ही पसीज जाते हैं
Read More »मां सच कहती थी
अब पता चला मां जो कहती थी सच ही था उसका कहना कि दुनियां में रखना संभल-संभल कर क़दम
Read More »पल दो पल
पल दो पल रुक जाएं चलते-चलते मुड़कर देखें.... लगे किसी ने पुकारा है....!
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