हर पल बिन बुलाए मेहमान की भांति दिल में चुपके-चुपके से घर कर जाती हैं अक्सर तुुम्हारी स्मृतियां।
Read More »काव्य
तुम्हारी स्मृतियां
अतीत की स्मृतियों से जब भी मैं कुछ क्षण चुराता हूं तो आज भी अपने क़रीब ही पाता हूं
Read More »July 9, 2016 Leave a comment
हर पल बिन बुलाए मेहमान की भांति दिल में चुपके-चुपके से घर कर जाती हैं अक्सर तुुम्हारी स्मृतियां।
Read More »July 6, 2016 Leave a comment
अतीत की स्मृतियों से जब भी मैं कुछ क्षण चुराता हूं तो आज भी अपने क़रीब ही पाता हूं
Read More »May 13, 2016 Leave a comment
May 13, 2016 Leave a comment
May 10, 2016 Leave a comment
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