-धर्मपाल साहिल शाम 6 बजे-(ग़ैर छुट्टी वाला दिन) हम दफ़्तर से लौटे तो ज्वालामुखी सी फटने को तैयार पत्नी ने हमें पानी के गिलास की जगह बिजली का बिल पकड़ाते हुए खूंखार अंदाज़ में गुर्राते हुए कहा, “देख लो, बिजली का कितना बिल आया है हमारा?” “कितना आया है माड़ू की मां?” “पूरा हज़ार रुपये।” “फिर क्या हुआ, पहले भी ...
Read More »साहित्य सागर
भाभी
“मैं उसके बिना नहीं रह सकती चाचू। मैं उसे बहुत प्यार करती हूं। आप प्लीज़ मुझे उससे दूर मत करिये। चाचू आप मुझे ज़हर लाकर दे दो। मैं मर जाऊंगी मगर उसके बिना नहीं रह पाऊंगी। प्लीज़ चाचू प्लीज़” कहकर वह मेरे गले में बाहें डालकर रोने लगी थी। दरअसल मैं ही उसका चाचा हूं और मैं ही उसकी ...
Read More »अल्लाह मार डाला फ़ैशन ने
-रिपुदमन जीत ‘दमन’ आज के दौर में फ़ैशन का तो यह आलम है कि आज एक फ़ैशन तो कल दूसरा। सुबह कोई और तो शाम को कुछ और। हमारे पड़ोसी वर्मा जी का बेटा, हाथ में कपड़ों का बैग थाम बदहवासी की दशा में भागता आ रहा था। पूछने पर बोला कि दर्ज़ी के यहां से कपड़े लेकर आया ...
Read More »जब हमने भी खाया बूफे
कवि-गोष्ठी का सुनकर मन कसैला हो उठा। पर क्लब जाने की कल्पना से रोम-रोम खिल उठा। मेरे पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे। चाय पीकर मैं क्लब जाने की धुआंदार तैयारी में जुट गई और जो तैयारी मैंने तब की उसे याद करके अपनी बेवकूफ़ी पर आज भी हंसी आ जाती है।
Read More »पहाड़ी पर घर
पत्थर तोड़ती औरत
चुप रहने की सज़ा
-मीरा हिंगोरानी कभी-कभी इंसान हालात के हाथों मजबूर हो जाता है। हालात उस पर इस क़दर हावी होने लगते हैं कि वो बस पिंजरे में क़ैद परिन्दे-सा फड़फड़ा कर रह जाता है। हमने बहुत चाहा पत्नी हमारे विचारों से सहमत हो। हमारी हर बात में हां में हां मिलाकर चले। क्या है कि हमें लिखने की बेहद बुरी बीमारी है। ...
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