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मिस काल को न करें मिस

-माधवी रंजना अगर आपके पास मोबाइल है तो मिस काॅल भी आते होंगे। कई बार आप काॅल बैक करते हैं तो कई बार इग्नोर कर देते हैं। काॅल बैक करना या अटेंड करना इस बात पर निर्भर करता है कि काॅल किस व्यक्‍त‍ि का है। जो भी हो इस मिस काॅल की सुविधा ने मिस की ज़िंदगी में बहार ला ...

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सौंदर्य- कुछ उपयोगी टिप्स

सौंदर्य-  कुछ उपयोगी टिप्स गुलाब का इत्र शरीर पर लगाने से मन शांत व प्रफुल्लित होता है। शहद त्वचा से दाग़ धब्बे हटाता है और ज़ख़्मों को भरने के काम आता है। बालों को झड़ने से रोकने के लिए दोनों हाथों की अंगुलियों के नाखूनों को आपस में प्रतिदिन 10 मिनट तक रगड़ें यह प्रक्रिया आश्‍चर्यजनक रूप से फ़ायदा पहुंचाएगी। ...

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पति परमेश्‍वर

“तुम्हारे विचार भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं हैं। हमारे यहां पति को परमेश्‍वर मान कर उसकी पूजा का विधान है। पत्‍नी उसकी अनुगामिनी है। वह किसी भी दृष्‍ट‍ि से उसकी बराबरी नहीं कर सकती। मैं चाहता हूं कि तुम मुझे पति परमेश्‍वर के रूप में मान्यता दो।”

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नारी के हाथ में मोबाइल

-अनू जसरोटिया आज की युवा नारी यानी कॉलेज जाने वाली छात्राएं और ऑफ़िस में कार्यरत महिलाओं के हाथों में मोबाइल फ़ोन होना कहां तक उचित है। क्या ये उनकी आवश्यकता है? या फिर महज़ एक शौक़ या फिर स्टेटस सिम्बल? “नारी तेरी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी” इस बात को पूरी तरह ग़लत साबित कर ...

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ईश्‍वर की मुस्कान

”पापा मेरी बांहों में दुबक जाना चाहते थे, कुछ कहना चाह रहे थे मगर शब्दों को ध्वनि नहीं मिल रही थी। पापा का तड़पना उनके अन्तिम पलों का संकेत दे रहा था। “हाय मेरी मां यह सब कैसे सहन करेगी?”

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बहता पानी

“इस बार का जन्म दिन हम पाली के साथ नहीं किसी अन्य के साथ मिलकर मनायेंगे।” मनिन्दर मुझसे कह रही है। मैं हैरानी के साथ उसके चेहरे की तरफ़ देखता हुआ सोचता हूं कि यह त्रिकोण की चौथी कोण कौन हो सकता है? “बस यह तुम्हारे लिए सरप्राइज़ होगा- तुम पैसों वाले तोहफ़े पसंद नहीं न करते, इसलिए मैंने सब से ...

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देवता की मौत

जंगल में लगी आग की तरह यह ख़बर गली-मोहल्ले में फैलती चली गई कि ‘देवता चल बसे।’ कैसे ….? कब ….? क्या हुआ था? …. आदि प्रश्न लोगों के चेहरों पर तांडव-नृत्य कर रहे थे। हर कोई अपना काम अधूरा छोड़कर ‘देवता’ के घर की तरफ़ भाग रहा था। चेहरे पर बदहवासी व घबराहट …. उस परिवार के बारे में ...

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जीने का सहारा

-डॉ.प्रेमपाल सिंह वाल्यान एक चर्मकार था- जूता बनाने वाला। उसका नाम साइमन था। उसका न अपना मकान था न अपनी ज़मीन। वह अपनी पत्‍नी के साथ एक किसान के घर में रहता था। जूते बनाने से उसकी इतनी ही आय होती थी कि दोनों का शाम का भोजन चल जाए। रोटी महंगी थी। काम सस्ता था। साइमन के पास भेड़ ...

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