छुआ तक नहीं, हे री सीता, पाई सज़ा! हर साल, खुलेआम, रावण-दहन तमाशा, जनता देखती, ताली पीटती।
Read More »Uncategorized
एहसास
सौंप कर अपने दिल का टुकड़ा तुम्हें, मैं निश्चिन्त हो गई, पर कैसे? उग गये मेरे हदय पटल पर एक की जगह दो पौधे जिन्हें साथ-साथ बढ़ता, लहराता देखना चाहती।
Read More »पोटली
बड़े नाज़ों से पाल पोस मैंने पकड़ा दी अपने प्राणों की डोर किसी अनजान पथिक को, देना चाहती हूं समस्त संसार की खुशियां
Read More »ज़िन्दगी की सांझ में
ज़िन्दगी की सांझ में इक राग छेड़कर मुझे चूल्हे के पास अपनी कंबली में बिठा लेना। छोटी-छोटी लकड़ियां मैं लगाती जाऊंगी
Read More »जायदाद के वारिस कुत्ते
बूढ़े व्यक्ति ने 10 लाख पौंड से ज़्यादा अपनी जमा राशि की वसीयत कुत्तों की देखभाल करने वाली एक धर्मार्थ संस्था के नाम कर दी।
Read More »नारी सशक्तिकरण कैसे हो ?
कोई उसकी पुकार सुनने वाला नहीं है। प्रशासन क्यूं बेबस हो जाता है, कानून क्यूं घुटने टेक देता है, पुलिस क्यूं ख़ामोश रहती है पता नहीं।
Read More »गर्भवती महिलाओं को बिल्लियों से ख़तरा
बिल्लियां गर्भवती महिलाओं के लिए ख़तरनाक साबित हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं ने यदि बिल्लियां पाल रखी हैं तो उनको ध्यान रखना चाहिए कि बिल्लियां उनसे दूर ही रहें।
Read More »क्या पंजाबी भाषा का भविष्य धुंधला है ?
इसलिये इसका भविष्य अंधकारमय नहीं उज्जवल है। पंजाबी के विद्वान अपने निजी हितों को छोड़कर इसके उत्थान में सैमीनार लगा रहे हैं।
Read More »सुबह की बेवफ़ाई
रात भर चांद खड़ा रहा सुबह के इंतज़ार में सुबह आई साथ सूरज लाई मिट गया चांद उसके आने पर
Read More »नये अशआर
लांघ कर जिस दम रिवायत की हदों को आएगी देख लेना फिर वो बस्ती भर में पत्थर खाएगी चांद तारे मुंह छिपा लेंगे घटा की ओट में कोई गोरी अपनी छत पर ज़ुल्फ़ जब लहराएगी
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