बलबीर बाली

युवाओं में आकर्षण का केन्द्र बनी आधुनिकता

क्या है आधुनिकता? जो युवाओं को आकर्षित करती है। आधुनिकता विभिन्न प्रकारों की होती है जैसे- आधुनिक व्यवहार, आधुनिक विचार, आधुनिक जीवन शैली, आदि।

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आख़िर किसे बनाएं युवा अपने जीवन का आधार

लड़कियां जब 14 से 18 वर्ष की आयु में होती हैं तो यह एक अति विशेष परिस्थितियों वाला समय होता है। हम केवल लड़कियों की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि नारी जाति को ही गृहस्थ धर्म का आधार माना जाता है

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एक कदम आगे

क्योंकि ये हमारी भावनाएं ही हैं जो अपनी सीमा को तोड़ती हैं, उल्लंघन करती हैं और शुरू कर देती हैं ऐसा खेल जहां उल्लंघन होता है नीतियों का,

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रिश्तों की पुकार

यूं तो इन्सान का सम्बन्ध बचपन से ही किसी दूसरे के साथ होता है। जन्म के समय मां के साथ, बचपन में भाई बहन व साथियों के साथ परन्तु असली समझ का सम्बन्ध बनता है, जब वह किशोर अवस्था में होता है।

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सपनों का राजकुमार

-बलबीर बाली जब सपना से उसके सपने के बारे में पूछा गया तो मुंह पर हाथ धर कर वो ऐसे दौड़ी जैसे पी.टी. उषा 100 मीटर की दौड़ दौड़ती है। हम यह सोचने लग पड़े कि आख़िर हमने ऐसा क्या पूछ लिया। जब हमने इस उलझन को अपनी मां से पूछा तो वह हंसने लगी और कहने लगी, बेटा.. वो ...

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आज भी असहाय है नारी एक कटु सत्य

-बलवीर बाली भारतीय नारी की सदा यह विशेषता रही है कि भारतीय पुरुष समाज तथा नारी समाज में नारी अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति की मानी गई है। यद्यपि धार्मिक भावना दोनों में प्रबल रूप से विद्यमान् है। कहते हैं न जैसे हर सफल पुरुष के पीछे स्त्री का हाथ होता है ठीक उसी प्रकार यद्यपि सभी धार्मिक कार्य पुरुष समाज द्वारा ...

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हमारी संस्कृति और प्रेम भावना

  -बलबीर बाली आज के इस भौतिकवादी युग में समाज मात्र एक वस्तु सी बन कर रह गया है। कुछ समय पहले की बात है कि हम अमरीका जैसे राष्ट्र को भौतिकवादी राष्ट्र समझते थे, जहां मानवीय मूल्यों की कोई महत्ता नहीं, प्रत्येक व्यक्‍ति को अपनी पड़ी होती है, दूसरा अन्य चाहे वह जिये या मरे, किसी को उससे कोई ...

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क्या आकर्षण ही प्रेम है

  –बलबीर बाली बात हमारे मित्र पंकज की है। मित्र क्या वो तो हमारे छोटे भाइयों की तरह है। शायद इसलिए ही वह हमसे कोई बात नहीं छिपाता था परन्तु उस दिन तो पंकज के रंग-ढंग ही बदले हुए थे। समय दोपहर लगभग 12 अथवा 12.30 का होगा। हम अपने ऑफ़िस के लिए तैयार हो रहे थे, कि अचानक हमारे ...

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शून्य महाशून्य या परिपक्वता

जब नारी परिपक्वता की ओर क़दम बढ़ाती है यह पुरुष जाति शून्य की ओर क़दम बढ़ाती है।जब नारी परिपक्वता की तरफ़ अग्रसर होती है तब यह पुरुष जाति महाशून्य की ओर

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