विजय रानी बंसल

वर्जित सम्बन्धों की छटपटाहट क्यों?

-विजय रानी बंसल वर्जित सम्बन्ध यानी कि विवाहेत्तर सम्बन्ध! एक विवाहित का दूसरे विवाहित से चोरी छिपे लुका-छिपी का खेल। चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, पर-पुरुष या पर-स्त्री से चोरी छिपे वह सम्बन्ध रखने को लालायित जिसे समाज में वर्जित माना जाता है। इसे मजबूरी कहें या स्टेटॅस सिम्बल या फिर मात्र संयोग। शताब्दियों पुराने वैवाहिक सम्बन्धों को आधुनिकता ...

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अग्नि परीक्षा

घर मेहमानों से खचाखच भरा था। तिल रखने की भी जगह न थी। सभी के चेहरे पर एक अनोखी चमक व चित्त में उल्लास था। और हो भी क्यूं न? घर में पहली शादी जो थी- सुषमा और आलोक की लाड़ली बेटी कंचन की। ढोलक की थाप के बीच सुहाग गीतों से वातावरण गूंज रहा था। शहनाइयों की गूंज हवा ...

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महत्वाकांक्षा का पलड़ा ममता पर भारी क्यूं?

 -विजय रानी बंसल प्राचीन काल में महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक ही सीमित थी। घर-गृहस्थी सँभालना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु वक़्त के साथ-साथ विचारधाराएँ बदलीं, मान्यताएं बदलीं। महिलाएं घर की चारदीवारी से निकल कर बाहर की दुनियां में आयीं और उन्हें मिला शिक्षा, आज़ादी और कुछ कर दिखाने वाली सम्भावनाओं का विस्तृत आकाश। इसमें सबसे ...

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जब तन महके तो मन बहके

–विजय रानी बंसल जहां एक ओर आज की नारी घर की चारदीवारी से बाहर निकल बाहर की दुनियां में ज़्यादा व्‍यस्‍त हो गयी है, वहीं अपने सौंदर्य तथा व्यक्तित्व के प्रति ज़्यादा जागरूक भी हो गयी है। अपने को अधिकाधिक सुन्दर दर्शाने के लिए वह तरह-तरह के ज़ेवर, कपड़े व सौन्दर्य प्रसाधनों का इस्‍तेमाल भी करने लगी है। जब इन ...

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युवा बेटी को दें दोस्ती का उपहार

  -विजय रानी बंसल याद कीजिए वो पल जब आपकी लाडली ने हौले से आपकी अंगुली को अपनी मुट्ठी में दबा लिया था। वो नन्हा, कोमल स्पर्श जो खुद को आश्‍वस्त-सा करता था जैसे-हां मम्मी-पापा मेरे पास हैं। आपसे बेहतर कौन है जो उसे सही-ग़लत में फ़र्क़ करना सिखाएगा, जो उसे विश्‍वास में ले उसके हित की बातें बताएगा और ...

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