विभा प्रकाश श्रीवास्तव

क्या वास्तव में रावण मर गया?

गौरतलब है कि रावणत्व का वृक्ष फल-फूल रहा है, इसका शिखर आकाश में व जड़ पाताल में है। केवल शाखाएं तोड़ देने या प्रांकुर काट देने से इसकी समाप्ति मुमकिन नहीं।

Read More »

गृहलक्ष्मियां हिंसा की शिकार कब तक होती रहेंगी

भारत में शादीशुदा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ दशकों में ऐसी महिलाओं की संख्या में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है, जो अपने पतियों और ससुराल वालों के ख़िलाफ़ खुलकर शिकायत कर रही हैं।

Read More »

महिलाओं की भी यशस्वी परम्परा रही है

यह सत्य है कि नारी की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता, पुरुष की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता से मिलकर अनन्तगुनी प्रभावशाली हो जाती है। इतिहास से अगर नारी की भूमिका हटा दी जाए तो उसका स्वरूप ही बदल जाता है।

Read More »

महिला की असली स्वतंत्रता ‘महिलापन’ में है

-विभा प्रकाश श्रीवास्तव प्रात: स्मरणीय अहिल्याबाई का मूल वाक्य था, ‘मैं अपने प्रत्येक कार्य के लिए ज़िम्मेदार हूं।’ इसी प्रकार महिला की तथाकथित ग़ुलामी, बेबसी, परतंत्रता, दोयम दर्जा इन सबके लिए कहीं न कहीं महिला स्‍वयं भी ज़िम्मेदार है, क्योंकि पारंपरिक रूप से उसे कोमलांगी, सुकुमारी, घर की रानी आदि कहा गया और उसने बड़े प्रसन्न होकर इन क़ैद करने वाले ...

Read More »