-माधवी रंजना

आजकल जब कि रोज़गार की ज़्यादातर संभावनाए निजी क्षेत्रों में हैं। अक्सर लोगों को बेरोज़गारी का वक़्त देखना पड़ता है। एक वक़्त तो ऐसा होता है जबकि पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद रोज़गार की तलाश में होते हैं। वहीं जीवन में कई ऐसे मोड़ आते हैं जबकि एक नौकरी छूट जाने के बाद दूसरी नौकरी की तलाश करनी पड़ती है। दोनों तरह की बेरोज़गारी में भावनात्मक रूप से थोड़ा फ़र्क़ ज़रूर होता है पर इंसान को ऐसे समय में हिम्मत से काम लेना चाहिए।

बेरोज़गारी के दौर में आप जो अनुभव प्राप्त करते हैं उसका अपना अलग महत्त्व होता है। पहली बात तो इस दौर में व्यक्ति को रुपये का महत्त्व पता चलता है। आदमी मितव्ययता से जीने की कला सीख जाता है। सुनील जब एक अच्छी कंपनी में ऐग्ज़ेक्टिव था तब वह रुपये को पानी की तरह ख़र्च करता था। रेस्टोरेंट में खाना व शराब आदि में उसके काफ़ी रुपये ख़र्च हो जाते थे। जब उसे बेरोज़गारी के दिन देखने पड़े तब खाने को भी लाले पड़ गए। तब उसे रुपये की असली क़ीमत का एहसास हुआ। जब आप रोज़गार में हों तो थोड़े से रुपये बुरे दिनों के लिए अवश्य बचा कर रखें।

आप बेरोज़गारी के दिनों का सदुपयोग करें। अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ें। महानगरों के पुस्तकालयों का पूरा इस्तेमाल करें। अपने ऊपर निराशावादी विचारों को कदापि हावी न होने दें। याद रखें कि महान् व साफ़ लोगों की ज़िन्दगी में इस तरह के दौर आते रहे हैं। इस दौर को अपनी प्रेरणा बनाएं। ऐसे दोस्त जो आपका समय बर्बाद करते हों उनसे बचकर रहें। बेरोज़गारी के दिनों में अच्छे मित्रों की पहचान हो जाती है। इस दौर में आपको कई तरह के लोग मिलते हैं। एक ऐसे लोग जो आपको निराश करते हैं। दूसरे वैसे लोग जो आपको ढाढ़स बंधाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो झूठा दिलासा देते हुए आपकी बेरोज़गारी का मज़ाक उड़ाते हैं। इन सबसे आगे बढ़कर ऐसे लोग भी मिलेंगे जो आगे बढ़कर आपका हाथ पकड़ते हैं और आपको उचित मार्ग सुझाते हैं। ऐसे दौर में आप सही दोस्तों की पहचान करें। अगर आपको लगता है कि अमुक आदमी आपकी मदद कर सकता है तो उससे मिलने में कदापि संकोच न करें।

कई बार बेरोज़गारी नई संभावनाओं के द्वार भी खोलती है। एक नौकरी में रहते हुए आप जहां के लिए कोशिश नहीं करते, हो सकता है वहां आपको इस दौर में कोशिश करने पर रोज़गार मिल जाए। कई बार बेरोज़गारी के दौर में परिवार के लोग भी अच्छा व्यवहार नहीं करते। ऐसे दौर से गुज़र रहे निकट रिश्तेदारों में से किसी को निराश नहीं करना चाहिए। परिवार में ऐसा वातावरण कभी नहीं बनाना चाहिए जिससे कि व्यक्ति किसी भी तरह के डिप्रेशन का शिकार हो। समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को भी चाहिए कि बेरोज़गारों के साथ सद्भावना पूर्ण व्यवहार करें। हो सकता है कि आज जो व्यक्ति आपके सामने बेरोज़गार हैं कल किसी महत्वपूर्ण पद पर आसीन हों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*