-नीलम मेहरोत्रा

हम अगर अपने आस-पास नज़र दौड़ाएं तो हमें बहुत-सी चीज़ें ऐसी मिलेंगी जिन्हें हम फ़ालतू समझकर ऐसी-सी पड़ी रहने देते हैं। लेकिन अगर हम थोड़ी-सी मेहनत तथा दिमाग़ का इस्तेमाल करें तो हम इन्हीं फ़ालतू चीज़ों से अपने घर को सजा तथा संवार सकते हैं। आइए हम आपको इन फ़ालतू तथा बेकार पड़ी चीज़ों के अच्छे इस्तेमाल के बारे में बताएं।

सूखी टहनियां, अनाज की बाली और बनावटी फूलों से घर की सजावट

रोज़ाना हर कोई ताज़े फूल प्राप्त नहीं कर सकता और बहुत बार गृहिणियों के पास इतना समय भी नहीं होता कि रोज़ाना ताज़े फूलों का गुलदस्ता बना सकें। इसलिए इन सूखी वस्तुओं से सजावट बहुत लाभप्रद है, यह न तो रोज़ाना बदलनी पड़ती हैं और न ही इस पर कोई मूल्य ख़र्च करना पड़ता है। इस में बांस, काने, बाजरा, मकई और गेहूं की बालियां, बया के घोंसले इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है।

फुलकारियों और बागों द्वारा घर की सजावट

यह बाग और फुलकारियां पंजाबी कला और निपुणता का जीता-जागता नमूना है। इन पर बिखरे क़िस्म-क़िस्म के रंग और नमूने हमेशा आंखों को अच्छे लगते हैं। इन बाग और फुलकारियों को दीवारों पर लगा कर सजाया जा सकता है, या पर्दे के स्थान पर या फिर दीवान के रूप में या कोई मेज़ को ढकने के लिए प्रयोग किया जाए तो कमरों की सजावट में वृद्धि होती है।

मटकों तथा पुराने बर्तनों से सजावट

घरों में बहुत बार पुरानी पीतल की मटकियां, डोल, लोटे और छन्ने इत्यादि कई ऐसे बर्तन होते हैं जोकि अब आपके प्रयोग में नहीं आते हैं। इन वस्तुओं से घर की सजावट में अपना योगदान डाल सकते हैं। इन छोटे बर्तनों को फूलदान की जगह पर भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

दरियों द्वारा सजावट

बहुत से घरों में ऐसी दरियां होती हैं जोकि रंगों तथा नमूनों के चुनाव के आधार पर गलीचों को भी पीछे छोड़ जाती हैं। इस तरह की दरियां जो देखने में सुन्दर होती हैं बैठक में गलीचे की जगह प्रयोग करने पर कमरे की शानो-शौक़त में वृद्धि करेंगी।

पेटियों के साथ सैटी बनाना

बैठक में सैटी बड़ी आसानी से घर में ही बनाई जा सकती है, कोई भी कम प्रयोग में लाए जाने वाले ट्रंक जो भारी हों या फिर फलों की ख़ाली पेटियों में थोड़ा-सा वज़न रख दें ताकि बैठने पर वे हिले नहीं, जो इस कार्य के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं। इनको भारी वस्त्रों (खेस, कंबल) की पांच-छः तहें लगा कर ढक दें और इस पर सुन्दर तथा साफ़ कढ़ाई की हुई चादर या फुलकारी बिछाएं ताकि सैटी को दीवार वाली तरफ़ छोड़ कर तीनों तरफ़ से पूरी तरह ढका जा सके। लटकी हुई चादर को मोड़कर दोनों तरफ़ सुई से टांका लगा दें। इस पर गद्दियां तथा कुशन रख कर बैठने का काम भी लिया जा सकता है और कमरे की शान भी बढ़ाई जा सकती है।

तस्वीरों से दीवारों की सजावट

दीवारों की सजावट के लिए तस्वीर, क्लेंडर, फ़ोटो और घड़ियों का प्रयोग किया जा सकता है। यह वस्तुएं बहुत ऊंचाई पर नहीं टंगी होनी चाहिए जिसे देखने के लिए मुंह को ऊपर उठाना पड़े। तस्वीर के रंग और फ़्रेम भी कमरे के अनुसार अच्छे लगने वाले होने चाहिए। यह वस्तुएं कमरे के प्रयोग और पसंद के अनुसार होनी चाहिए जैसे बच्चों के कमरे में जानवरों की तस्वीरें और ऐसी तस्वीर जिन को वे पसंद करते हैं, देखकर खुश होते हैं वही तस्वीरें चाहिए। एक ही दीवार पर जोड़-जोड़ के बहुत ज़्यादा तस्वीरें लगाई सुन्दर नहीं दिखती। एक दीवार पर चुनी हुई एक-दो तस्वीरें ही ठीक लगती हैं। तस्वीरों का आकार भी दीवार की लम्बाई के अनुसार होना चाहिए। बहुत बड़ी दीवार पर छोटी-सी तस्वीर नहीं जंचेगी।

पर्दों का प्रयोग

पर्दे जहां कमरे की सजावट बढ़ाते हैं, वहां पर वे कमरे को ज़्यादा धूप, रोशनी और धूल से भी बचा कर रखते हैं। पर्दे मेहमानों से घर की आन्तरिक हालत को भी छुपाते हैं। पर्दो का रंग और कपड़ा आपके कमरे के मुताबिक़ मेल खाता होना चाहिए। ज़्यादा प्रयोग में आने वाले कमरों के पर्दे सस्ते भी लिए जा सकते है जोकि जल्दी बदले जा सकें।सिलाई करते समय उनमें दबाव रखना चाहिए। ताकि दूसरे कमरे में लगाते समय यदि लम्बा करने की ज़रूरत पड़े तो किया जा सके।

यदि रुपए नहीं ख़र्च करने हों तो पुरानी फटी हुई चादरों में से कपड़ा निकाल कर ज़रूरी पर्दे लगाए जा सकते हैं। अच्छे पर्दों की उम्र बढ़ाने के लिए पुरानी पगड़ियां और पतली चादरें उनके पीछे लाइनिंग के रूप में लगाई जा सकती हैं।

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