-कर्मवीर अनुरागी

मिलावट के इस युग में कई तरह के रोगों ने भी जन्म लिया है। खान-पान की तरफ़ बराबर सावधानी न बरतने से ‘अम्लपित्त’ (एसिडिटी) हो जाता है। अम्ल होने के मूल कारण हैं मस्तिष्क में तनाव का रहना, दूषित भोजन करना और शराब, चाय, कॉफी व सिगरेट का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करना। इन्हीं कारणों से हमारी पाचन शक्ति ठीक नहीं रहती

अम्लपित्त रोग घरेलू महिलाओं की अपेक्षा नौकरीपेशा महिलाओं में जल्दी पनपता है क्योंकि वे अपने खान-पान की सीमा को लांघ जाती हैं।

अमेरिकन ट्रिब्यून के अनुसार अमेरिका में पिछले एक दशक में 35 प्रतिशत महिलाओं को अम्लपित्त ने अपना शिकार बनाया है। वैसे पुरुष वर्ग में भी अम्लपित्त के ख़तरे दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। इस रोग से बचने के लिए अपने आहार पर ध्यान देना होगा।

अम्लपित्त से कैसे बचें

.चार चम्मच मूली के रस में एक-दो चम्मच चीनी मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें।

.करेले का रस खाना खाने के उपरांत सेवन करें।

.प्रातः शुद्ध हवा में घास पर नंगे पैर भ्रमण करें।

.आलू को रेत में भून कर सुबह-शाम खाएं।

.एक प्याला गर्म पानी व एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर दोपहर व रात को पिएं।

.किसी तरह का तनाव न पालें।

.एक केले को भली प्रकार मथ कर, दो छोटी इलायची के बीज पीसकर, साथ में एक चम्मच चीनी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।

.बाज़ारू चाट-पकौड़ों से दूर रहें।

.मौसम के मुताबिक़ फलों का सेवन करें।

.देह पर खादी या सूती कपड़े पहनें।

.पैरों पर चमड़े के जूते चप्पल न पहनें।

.कंघी व साबुन अपनी ही इस्तेमाल करें।

.खट्टे-दाहकारक पदार्थ, जैसे उड़द या मट्ठा का प्रयोग न करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*