सेक्स सहज और कोमल एहसास है। यह जटिल तब बन जाता है, जब व्यक्‍त‍ि अपनी यौन-शक्‍त‍ि पर संदेह करने लगता है और फलस्वरूप उत्तेजक एवं यौन-शक्‍त‍िवर्द्धक औषधियों का आँख मूंद कर इस्तेमाल करने लगता है। उसे इस बात का बोध नहीं होता कि इन औषधियों का यौन उत्तेजना पर क्षणिक ही प्रभाव पड़ता है।

संगीता के पति यौन-संबंधों के मामले में दक्ष नहीं थे। वह यौन शक्‍त‍िवर्द्धक औषधियों का सेवन भी नियम से प्रतिदिन करते थे फिर भी संगीता को पूर्ण तृप्‍ति नहीं दे पाते थे। एक दिन संगीता ने लाज-शर्म छोड़कर उनसे यह कह दिया, ‘मेरा कहा मानिए, शाकाहारी भोजन ही यौन-शक्‍त‍ि के लिए लाभदायक है। ये उत्तेजक औषधियां बड़ी ही गरम होती है। इनका दुष्प्रभाव सम्पूर्ण शरीर पर पड़ता है। आप सहवास के मामले में सहज ही क्यों नहीं बने रहते? स्थायी और आनंददायक सहवास की अनुभूति तो पौष्‍ट‍िक आहार के सेवन से ही संभव है।’

संगीता की बातें उसके पति की समझ में आ गई। उन्होंने वाजीकरण-योगों और औषधियों का सेवन अगले दिन से ही बंद कर दिया। उसका मन अब अपने कार्य और संतुलित शाकाहारी भोजन में नये सिरे से दिलचस्पी लेने लगा।

सहवास के समय सहवास, काम के समय काम और भोजन के समय भोजन के बारे में ही सोच-विचार करना वास्तव में ही यौन शक्‍त‍ि को एक नया पड़ाव देता है और यह एक प्रभावशाली नुसख़ा भी है। सहवास के विषय में ही दिन-रात सोचते रहना और अपनी यौन क्षमता पर अकारण ही शक कर कोई न कोई यौन शक्‍त‍िवर्द्धक औषधि का सेवन करते रहना सचमुच ही अपनी सेक्स पॉवर को कम करने के लिए एक नकारात्मक पहल है।

इससे उबरना बहुत ज़रूरी है सेक्स पॉवर हर स्वस्थ स्त्री-पुरुष में होती है। भले ही यह बात अलग है कि वे इसे ठीक से महसूस नहीं कर पाते हैं। अपने आप में इस कोमल एहसास को टटोलकर यह महसूस कीजिए कि हम में जो यौन क्षमता है वह एक-दूसरे को चरम आनंद की अनुभूति कराने के लिए पर्याप्‍त है? इस तथ्य को यौन-विशेषज्ञ भी मानते हैं कि रचनात्मक भाव ही इच्छा शक्‍त‍ि को और अधिक सुदृढ़ करते हैं और व्यक्‍त‍ि में एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति ही यौन-जीवन में पूर्ण संतुष्‍ट‍ि की अनुभूति करवाती है। रचनात्मक सोच और दृढ़ इच्छा शक्‍त‍ि जिस तरह से यौन इच्छाओं को एक उत्तेजक धरातल देती है, उसी तरह से शाकाहारी भोजन हमें प्रभावशाली यौन-शक्‍त‍ि देता है और संपूर्ण शरीर को भी स्वस्थ रखता है।

मासाहारी व गरिष्‍ठ भोजन से यौन-शक्‍त‍ि में वृद्धि नहीं होती, क्योंकि वे खाद्य पदार्थ सुपाच्य नहीं होते हैं और ये अधिक समय तक अपच पड़े रहकर पाचन संस्थान पर दुष्प्रभाव छोड़ते हैं, जो श्रेष्‍ठ यौन-शक्‍त‍ि के लिए हितकारी नहीं हैं। इससे शरीर दुर्बल भी होता है, क्योंकि गरिष्‍ठ भोजन को पचाने में शरीर को अतिरिक्‍त‍ ऊर्जा ख़र्च करनी पड़ती है। इसी तरह शराब भी क्षणिक उत्तेजना पैदा करती है, जिसे स्वाभाविक यौन-उत्तेजना भूलकर भी नहीं कहा जा सकता है। सेक्स में स्थायित्व के लिए तो सादा व शाकाहार ही उत्तम भोज्य पदार्थ है; क्योंकि यह सुपाच्य एवं विटामिनयुक्‍त‍ होता है। शाकाहार एक प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है, जिससे यह व्यक्‍त‍ि की यौन शक्‍त‍ि को भी उसके अनुकूल बनाए रखता है। ताज़े मौसमी फल, कच्ची सब्ज़ियां, अंकुरित अनाज, गुड़, दहीं, शहद, दूध, मट्ठा आदि सुपाच्य एवं निरोगी भोज्य पदार्थ हैं। इनको पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्‍त ऊर्जा ख़र्च नहीं करनी पड़ती। निःसंदेह इनके सेवन से शरीर स्वस्थ व निरोग बना रहता है और एक श्रेष्‍ठ यौन-शक्‍त‍ि के स्वामी वही स्त्री पुरुष हो सकते हैं, जो तन-मन से पूर्णतः स्वस्थ हों। शाकाहार एक स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद एवं विज्ञान सम्मत आहार है। इसमें यौन शक्‍त‍िवर्द्धक सभी तत्त्व मौजूद होते हैं। फलों व सब्ज़ियों के रसों में कामोत्तेजक शक्‍त‍ि पायी जाती है। मस्तिष्क भूख-प्यास, यौनेच्छा आदि प्रेरणाओं का केन्द्र बिन्दु रसाहार से लिम्बिक सिस्टम बेहतर कार्य करता है यौन हारमोनों के समुचित संश्‍लेषण के लिए विटामिन ‘ए’ की ज़रूरत पड़ती है। जो पालक, गाजर, मूली, पत्ता गोभी, पपीता, केला आदि से प्राप्‍त होता है। कामशक्‍त‍ि में नवजीवन फूंकने का कार्य कद्दू का रस करता है। प्याज़, लहसुन, अनार, सेब आदि अनेक सब्ज़ियों व फलों के रस में यौन शक्‍त‍िवर्द्धक गुण, तत्त्व पाये जाते हैं। विटामिन ‘ई’ भी यौन शक्‍त‍िवर्द्धक है। अंकुरित अनाज, दालों, केले आदि के सेवन से मानसिक उदासीनता छटती है और साथ ही काम में बढ़ोतरी होती है। फल, सब्ज़ियों के अतिरिक्‍त गेंहू के चोकर तथा अंकुरित गेंहू के रस में विटामिन ‘ई’ अधिक मात्रा में होती है। इसके अभाव में व्यक्‍त‍ि नपुंसक तक भी हो सकता है।

प्रोस्टेंट ग्रंथि की भूमिका यौन-जीवन को कार्यशील बनाए रखने में महत्वपूर्ण होती है- ककड़ी, प्याज़, पालक, गोभी के रस में मौजूद जिंक प्रोस्टेंट ग्रंथियों को क्रियाशील बनाए रखता है।

स्वास्थ्य एवं यौन क्षमता में सुधार व विकास के लिए वास्तव में ही प्राकृतिक भोजन एवं फल, सब्ज़ियाँ अति आवश्यक हैं। प्राचीन काल में भी काम क्षमता में अभिवृद्धि के लिए विविध साग, सब्ज़ियों व फलों का उपयोग किया जाता था। मनुष्य प्रकृति की देन है और साग, सब्ज़ी एवं फल भी प्रकृति की प्रदत्त चीज़ें हैं। निःसंदेह रूप से शाकाहार ही मानव शरीर के अनुकूल होगा, वह ही सच्चे अर्थों में यौन-शक्‍त‍ि प्रदान कर सकता है।

इस सच्चाई को हम सभी स्वीकार कर चुके हैं कि विटामिन एवं खनिज लवण अधिक मात्रा एवं वास्तविक रूप में सिर्फ़ शाकाहार से ही प्राप्‍त किए जा सकते हैं और इस प्रकार लम्बे समय तक अपना यौन-जीवन केवल शाकाहार से ही क़ायम रख सकते हैं। इसलिये हमें दैनिक भोजन में प्राकृतिक भोज्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। क्योंकि यौन-शक्‍त‍ि एवं स्वास्थ का ख़ज़ाना इसमें ही निहित है। सिर्फ़ प्राकृतिक आहार में ही वह दम और गुण हैं, जो यौन-शक्‍त‍ि को युवावस्था से वृद्धावस्था तक एक-सा ही बनाए रख सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*