-माधवी रंजना
‘आंसुओं से धुली खुशी की तरह, रिश्ते होते हैं शायरी की तरह।‘ किसी शायर ने रिश्तों के बारे में कुछ इस तरह से बयां किया है। चाहे वह भाई बहन का रिश्ता हो या दोस्तों का, रिश्तों को लम्बे समय तक निभाने के लिए कुछ कायदे आवश्यक हैं। भारत में व विदेशों में रिश्तों की अहमियत को याद दिलाने के लिए त्योहार बनाए गए हैं। रक्षाबंधन, भैया दूज, फ्रैंडशिप डे, वेलेंटाइन डे, टीचर्स डे, फादर्स डे आदि सभी दिवस रिश्तों की अहमियत को याद दिलाने के लिए आते हैं।
बना रहे संवाद:-जीवन में ऐसे कितने वक़्त आते हैं जब रिश्तों में किन्हीं कारणों से दरार आ जाती है। भाई-भाई में लड़ाई होती है। पति-पत्नी अलग हो जाते हैं। दोस्तों की राहें बदल जाती हैं। इन सब घटनाओं में दोनों पक्ष ज़िम्मेवार होते हैं। पर एक समझदार व्यक्ति इस सिद्धांत पर चलता है कि मतभेद होने पर मनभेद न होने पाए। वैचारिक तौर पर दो लोग अलग-अलग धरातल पर भी खड़े हो सकते हैं, संवाद चलता रहना चाहिए। साथ चलने से सफ़र आसान हो जाता है साथ ही जीवन में प्रगति की असीमित संभावनाएं खुल जाती हैं। अगर दो दोस्तों में संबंध लम्बे समय से ख़राब हो गए हों तो एक नई कोशिश करनी चाहिए।
‘मुमकिन है सफ़र हो आसान, अब साथ चल कर देखें,
थोड़ा तुम भी बदल कर देखो, थोड़ा हम भी बदल कर देखें।’
अनमोल हैं रिश्ते:- याद रखें एक रिश्ता लाखों रुपयों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। इसे धन के तराजू पर नहीं तोला जा सकता है। इसलिए कोई भी रिश्ता टूटने के कगार पर आ जाए तो कई बार सोचें। किसी शायर ने लिखा है- ‘सिर्फ़ एक ग़लत क़दम उठा था राहे शौक में, तमाम उम्र ज़िन्दगी मेरा पता पूछती रही।’
अगर किसी भी तरह से किसी रिश्ते को संभालना मुश्किल हो तो आप एक सुरक्षित दूरी बनाने की कोशिश करें पर रिश्ते को ख़त्म न करें। आप एक टेबल बनाकर देखें कि इस रिश्ते से आपको कितना लाभ-हानि हो रहा है। अगर आपको लगता है कि कोई रिश्ता बोझ ही बन गया है तो तब उसे तोड़ डालें। ताल्लुक अगर बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना बेहतर है। पर तोड़ने के बाद भी इतनी जगह बचा कर रखें कि अगर जीवन के किसी मोड़ पर फिर मिलना हो तो शर्मिन्दा न होना पड़े। किसी शायर ने लिखा है-‘चाहा था कभी हमने ज़िन्दगी की तरह, वो अपना मिला मुझे अजनबी की तरह।’
याद रखिए कि जिस व्यक्ति‘ से आप आज रिश्ता तोड़ रहे हैं हो सकता है उसी व्यक्ति की आप जीवन के किसी मोड़ पर बहुत ज़रूरत महसूस करें। हो सकता है किसी समय आवेश में आकर लिए गए निर्णय पर बाद में आपको पछतावा हो। बकौल शायर-‘फूलों की तरह दिल में बसाए हुए रखना, यादों के चरागों को जलाए हुए रखना, लंबा है सफ़र इसमें ही रात तो होगी।’
रिश्ते जोड़े तो निभाएं भी:– कुछ लोग दोस्त बड़ी तेज़ी से बनाते हैं पर उनकी दोस्ती बड़ी तेज़ी से टूटती है। पर अगर आप दोस्त बनाते हैं तो दोस्ती निभाना भी सीखें। जीवन में अच्छे दोस्त सफ़र को आसान बना देते हैं वहीं बुरे दोस्त मुश्किलें खड़ी कर देते हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप जीवन में किस तरह के दोस्तों का चयन करते हैं। समझदार व्यक्ति को इसका भी समय-समय पर मूल्यांकन करना चाहिए। कोई भी नया रिश्ता जोड़ने में आप सावधानी बरत सकते हैं। दोस्ती करें तो ठोक बजा कर। पर जब किसी को दोस्त बनाएं तो कोशिश करें कि इस दोस्ती को लम्बे समय तक निभाया जाए।
क्षमा करना सीखें:- बहुत छोटी-छोटी बातों को लेकर रिश्ते ख़राब होते हैं। इसलिए आप रिश्तों में क्षमा करना सीखें। वास्तव में कोई भी इन्सान परफेक्ट नहीं होता। वह कुछ न कुछ ग़लतियां करता है। आप भी कुछ ग़लतियां करते होंगे। हर इन्सान में कुछ स्वाभाविक बुराइयां भी हो सकती हैं। अगर आप अपने दोस्त को सुधार नहीं सकते हैं उसे उसकी ग़लतियों के साथ ही स्वीकार कीजिए। यह ज़रूरी नहीं कि जो बुराइयां उसके अंदर हों वही बुराइयां आपके अंदर भी आ जाएं। पर छोटी-छोटी बातों को लेकर रिश्तों में दरार नहीं आने दें। दोस्त को छोटी-छोटी ग़लतियों के लिए क्षमा करना सीखें। क्षमा करने से आदमी हमेशा बड़ा होता जाता है। अच्छा दोस्त वह है जो अपने दोस्त की छोटी-छोटी बुराइयों को छिपा कर उसके अच्छे रूप को किसी के सामने प्रकट करता है। यानी दोस्त की भूमिका आधुनिक शब्दों में कहें तो एक जन संपर्क अधिकारी सी है।
स्वाभिमान को भूल जाएं:- दोस्ती में छोटी-छोटी बातों को लेकर स्वाभिमान को आड़े न लाएं इससे आपकी दोस्ती लम्बे समय तक बनी रहेगी। दोस्त की बहुत-सी बातें अच्छी नहीं लगती हो फिर भी उसे सुनने का प्रयास करें। अक्सर छोटे-छोटे स्वाभिमान के मुद्दे ही रिश्तों को ख़राब करते हैं। इसलिए एक सीमा तक स्वाभिमान से समझौता करें। एक सीमा तक हर रिश्ते में लिहाज़ करें। कहीं ऐसा न हो- ‘कुछ तुम खिंचे-खिंचे रहो, कुछ हम खिंचे-खिंचे, ऐसे में टूट गया रिश्ता चाह का।’
रिश्तों को संभालना सीखें:- प्यार के रिश्ते न टूटें, सलामत बने रहें इसके लिए पानी देना पड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे किसी वृक्ष को बढ़ने के लिए उसमें पानी देना पड़ता है। मित्रता उसी वृक्ष के समान है। दूसरे शब्दों में रिश्तों को संभालना पड़ता है। नायिका नायक से कहती है- ‘अब न टूटे ये प्यार के रिश्ते हमें रिश्ते संभालने होंगे। एक बार तुमको मेरे पांव के कांटे निकालने होंगे।’ ठीक इसी तरह आपको अपने दोस्त के राह के कांटे साफ़ करने होंगे तभी रिश्तों को लम्बी उम्र दी जा सकती है। याद रखिए जीवन रेल सीधी रेखा पर नहीं चलती। उसकी राहें तो कंटीली और उबड़-खाबड़ हैं। इसमें नई नदियों और पहाड़ों को भी लांघना पड़ता है।
छोटी-छोटी बातें ही मिलकर बड़ी बन जाती हैं। इसलिए छोटी-छोटी बुरी बातों को भूल जाएं। किसी रिश्ते में ढेर सारी छोटी-छोटी अच्छी बातें भी होती हैं। इन अच्छी बातों को ही आप जोड़ने की कोशिश करें यह खुश रहने का अच्छा तरीक़ा हो सकता है।