-आकाश पाठक
शादी की वर्षगांठ। कुछ दम्पति तो इसे उत्सव से कम नहीं मानते हैं। घर में पार्टी का आयोजन, तमाम मेहमान, घर में चहल पहल एवं खुशी बेशक प्रदान करती है लेकिन इसमें भी किसी प्रकार का संदेह नहीं रह जाता है कि इस प्रकार के दम्पति एक ‘शो’ करते हैं और शुभ कर्म में अंत तक ‘शो पीस’ बने हुए रह जाते हैं। साथ ही परिवार में हुआ ख़र्च महीने का सम्पूर्ण बजट बिगाड़ देता है। सवाल यहां बजट का नहीं है, हम या दम्पति वास्तव में चकाचौंध में गुम हो जाते हैं और गुम हो जाता है वह लम्हा जो शेष जीवन को मीठी यादें देने का होता है।
जीवन में सुखद लम्हें न बीते हों तो ज़िन्दगी में कोई रस नहीं बचता, वो भी ख़ासतौर पर दाम्पत्य जीवन में यदि सुखद पल न गुज़रे। सालगिरह, त्योहार या शादी की भांति ‘मैरिज एनवर्सरी’ को उत्सव का रूप खुशी प्रदान कर सकता है पर परिपक्वता अछूती रह जाती है।
खुशी को बांटा जा सकता है। परन्तु यादें बंटवारा नहीं चाहती हैं। देखा जाये तो ‘मैरिज एनवर्सरी’ वास्तव में यादों में इज़ाफ़ा करने का स्त्रोत है, एक ज़रिया है यादगार लम्हें बटोरने का या बनाने का। और यादगार पल के निर्माण के लिए कुछ भी किया जा सकता है मसलन लम्बी यात्रा पर निकला जा सकता है। जब एकान्त में ठंडी हवा की फुहार शरीर के रोम में प्रवेश करती है तब अन्तर्मन तक भीग जाते हैं। वह क्षण अमूल्य होता है।
मेरे दोस्त का कहना है कि ‘मैरिज एनवर्सरी’ पर मैं अपनी पत्नी के लिए सिंगार का सामान ले जाता हूं और दो दिन की छुट्टी लेकर हनीमून मनाने चले जाते हैं। वह भी खुश रहते हैं और हमें भी एकांत मिल जाता है। प्रताप सिसौदिया का मानना है- ‘भागम-भाग की ज़िन्दगी और आवश्यकताओं के पीछे दौड़ता इन्सान दाम्पत्य जीवन से धीरे-धीरे कटता चला जाता है। ‘मैरिज एनवर्सरी’ पुनः मिलन का बाहें फैलाये स्वागत करती है।’
‘मैरिज एनवर्सरी’ पर पति-पत्नी को चाहिए कि वह याद रखें कि यह दिन सिर्फ़ आपका और उनका दिन है दो मोतियों से बनी वह माला है जिसे हर वर्ष गूंथते रहना होता है साथ ही सहेज कर रखना होता है। यह बात ग़ौर करने वाली है कि वर्षगांठ वाले दिन शिकायतों और उपेक्षा की चिट्ठी को मध्य में न आने दें। हां संकल्प दोहराये जा सकते हैं। दाम्पत्य में सामंजस्य के लिए या कुछ कमियों को दूर करने के लिए संकल्प का दोहराव सुखद मोड़ लाता है।
कुल मिलाकर अगर यूं माना जाए कि पति-पत्नी के बीच ‘मैरिज एनवर्सरी’ वाले रोज़ सिर्फ़ स्पर्श हो बातों का, यादों का। यादों को ताज़ा करने के लिए शादी की कैसिट या एलबम बेहतर साधन साबित हो सकते हैं।