final editorial 2कुछ उलझनें हैं दिल में कुछ अरमां भी पल रहे हैं

 चंचल जो हुई हवाएं कुछ हम भी बदल रहे हैं

बदलावों को ज़िन्‍दगी में हम जगह दे रहे हैं

रफ्‍़ता रफ्‍़ता अब कुछ ऐसी चाल चल रहे हैं 

नए दौर में, नए ज़माने में…… सरोपमा ने दस्‍तक दी है नए मुहाने में। नई सोच, नए तौर तरीकों की नई पीढ़ी के लिए सरोपमा प्रिंट मीडिया से निकल कर इंटरनेट की दुनियां में प्रवेश करते हुुए…. नई सोचों, नई उड़ानों पर पहरा देने के लिए एक बार नए सिरे से…. नई शक्‍ति, नई उर्जा के साथ नए आसमानों में परवाज़ भरने को तैयार है।

पहले तेज़ी से बदल रहे युग को देख कर एक नज़रिया बना था। ऐसा नहीं कि दूरदर्शिता की कमी थी । ऐसा नहीं था कि बदल रहे समय में सब समझने में हम अक्षम थे। पर हर बात हर सोच समयानुकूल ही सही होती है।

तब युग बदल रहा थ्‍ाा। अब युग बदल चुका हैै। अब कुछ बदला सा नज़रिया है हमारा भी। सोच का विशाल होना अत्‍यंत आवश्‍यक होता है। समय के साथ न बदला जाए तो व्‍यक्‍ति ठहर जाता है। समय समय पर ठहर के सोचा। कुछ रोकने के प्रत्‍यन किए गए तो वो पिछड़ापन नहीं समझदारी थी। भीड़ के पीछे लगकर बदलने से बेहतर होता है सोच समझकर, देखपरख कर बदला जाए।

तेज़ रफ्‍़तार से आने वाले बदलाव के परिणाम भयंकर होते हैं। हर बदलाव कुछ समय मांगता है। ऑनर किलिंग जैसे केस तेज़ी से आने वाले बदलाव के ही परिणाम तो हैं। पर शायद यह सब किसी के इख्‍़तियार में भी नहीं था।

अब जब सब बदला बदला सा है। नई दास्‍तानों की इबारत दर्ज़ करने का समय है।

जब बदलाव आते हैं अकसर चिंतन होते हैं। शिकवे होते हैं, शिकायतें होती हैं। पर यथार्थ तो यही है कि यह प्रकृति का नियम है। कभी भी सब एक समान नहीं रह सकता।

जब बदलाव आने होते हैं आकर रहते हैं। 13471658213_dc03978441_b

              समय चक्र बदलता है,

                           युग बदलते हैं,

                                 संसार बदलते हैं,

                                       संसकार बदलते हैं,

      पुरानी संस्‍कृतियां लुप्‍त हो जाती हैं, नई संस्‍कृतियां जन्‍म लेती हैं।

जैसे बदलाव स्‍वाभाविक है वैसे ही चिन्‍तन भ्‍ाी स्‍वाभाविक है और आवश्‍यक भी। ज़रूरत होती है बदलाव के समय में कुछ अच्‍छी चीज़ें संभाल ली जाएं।

आज नए मंज़र हैं, नई आशाएं हैं, नई उम्‍मीदें और बेहिसाब ख्‍वाहिशें हैं।

          नई फिज़ा है नई हवा है।

इस नए बदले हुए परिवेश में कुछ नई बातों पर गौर करना आवश्‍यक है। अब फिर से नया कारवां बनाना है। नए हाथ जुड़ेंगे उम्‍मीद है और पुराने सहयोगी भी साथ रहेंगे यह विश्‍वास भी है।

-सिमरन

2 comments

  1. शानदार, अदभुत, विलक्ष्ण,सुरजीत। सिमरन, आप वैबसाईट के काम में बहुत देर से लगी हुई थी। आपकी तकनीकी क्षमताओं का मैं भी वाकिफ हूं। मुझे माफ करें, जो आपने दिया है मुझे आपसे एेसी आशा न थी। सच कहूंगा, हालांकि सावर्जनिक मंच है। मुझे लगता था कि सिमरन जी भी इस वैबसाईट के दौर में अपनी वैबसाईट बना लेंगी जिसकी तारीफ करनी ही पड़ेगी। पर आपने जो बनाया है, वो मेरी सोच से बहुत आगे का है। मैने आपसे जो आशा रखी थी वो मेरी भूल थी। आपने उससे कहीं ज्यादा बढ़ कर दिखाया है। आपकी कलम में एेसा ओज़ बरकरार रहे। आपके भीतर का संपादक अब बहुत परिपक्व हो गया है। इस वैबसाईट के लिए खुले मन से ढेरों शुभकामनाएं।

  2. [four_fifth_last]Simran ji

    Abhinandan

    Es pg ke liye aap ko anek pg-baadhein paar krni pdi hongy .. bhagerthy yoon hee awtrit nhi hua krti…
    aap ne ahindi prdesh se hindi sahitya ki jo dhvjaa uthaayi us ke liye kotish: saadhuvaad..

    Deepzirvi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*