‘तंग राहें तपती रेत नंगे पांवों में छाले’ यूं भी रास्तेे काटे जाते हैं।

ये ज़िंदगी के रास्ते सब के लिए अलग-अलग रंग लिए होते हैं। किसी को तो ये एक इम्तिहान जैसे मिलते हैं और किसी को इबादत जैसे। किसी के रास्ते मुहब्बत के कारवां से भरे-पूरे होते हैं तो किसी के रुसवाई जैसे। कहीं प्रेम, प्यार सदभावना से भरी राहें भी होती हैं और कहीं खुदगर्ज़ी से लबालब।

मन मुताबिक़ रास्ते भी हरेक के नसीब में नहीं होते। हम में से बहुत से लोग तो तमाम उम्र उन्हीं रास्तों पर चलते रहते हैं जहां शुरू में उंगली पकड़ कर उन्हें छोड़ दिया जाता है। वे कभी सोचने की कोशिश ही नहीं करते कि उनके मन की दिशाएं किधर जाती हैं। और बहुत से ऐसे हैं जिनको मन की दिशा तो मालूम है, लेकिन कुछ मजबूरियों के कारण या हिम्मत न होने के कारण वो ऐसे ही किसी पथ पर चल देते हैं जिधर ज़िंदगी उनको ले चलती है। यूं भी जब तक हम यह सोचने के क़ाबिल होते हैं कि हमने कौन-सी दिशा में जाना है, हमारे कौन-से रास्ते होने चाहिए, हम उम्र का बहुत-सा हिस्सा तो तय कर ही चुके होते हैं और बचे-खुचे वक़्त में तो दिशाएं तय करने का ही वक़्त मुश्किल से बन पड़ता है।

यूं भी हर किसी के मुक़द्दर में मंज़िल कहां होती है। कुछ तो रास्तों को संवारने का भी काम करते हैं। मंज़िल दूर सही, दिल मजबूर सही, रास्तों को पुख़्ता बनाते चलो। चले जब कोई ज़मीन पर तो सोचे ज़रूर इन रास्तों से कौन हो के गुज़रा है। खुशक़िस्मत होते हैं वे लोग जो अपनी इच्छानुसार चल सकते हैं। रास्तों को खुशगवार बनाते हुए चल देते हैं।

ऐसे लोगों से अकसर पूछा जाता है तुम्हारी मंज़िल क्या है।

उन्होंने तो मंज़िलों को ताक़ पे रख दिया है,
वो तो ऐसे रास्तों पे हैं जो कभी ख़त्म नहीं होते।

वास्तव में जिन्हों ने रास्ते संवारने हों वो क़िस्मत के जागने का इन्तज़ार नहीं करते। वे किसी मजबूरी या हादसों के बारे शिकवे, शिकायतें करते वक़्त नहीं गुज़ार देते। न ही हादसों से बच कर निकल जाने की कोशिश करते हैं, बल्कि खुद जा कर हादसों की आंखों में आंखें डाल कर एक माहिर खिलाड़ी की तरह हर वार बचा पाने में समर्थ होना सीखते हैं। जब ऐसी महारत मिल जाए तो फिर किसी रास्ते से क्या डरना। ऐसे ही लोग दूसरों के लिए रास्ते संवार पाते हैं इनकी हिम्मत की रोशनाई दूसरों के काम आती है।

दरिया के ऊपर पुल और
पर्वतों के बीच से सड़कें बना कर
किसी ने रास्ते संवारे होंगे, दिशायें बनाई होंगी।

-सिमरन

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