-दिनेश राणा

‘निर्मला, मां जी का गांव से पत्र आया है। वह दस तारीख़ को एक महीने के लिए यहां आ रही हैं।’ श्रीधर ने ऑफ़िस से घर आते ही सोफ़े पर पत्र फेंकते हुए कहा। 

‘ओफ़! ओह! अब एक और नयी समस्या। मां जी के पास टेलीग्राम करके कह दो कि अपना प्रोग्राम कैंसल कर दें, कह देना कि हम लोग नौ तारीख़ को पंद्रह दिन के टूर पर बाहर जा रहे हैं।’ श्रीधर की पत्नी निर्मला ने ग़ुस्से से भरकर कहा। ‘पर निर्मला ऐसे कैसे मैं मां जी को जवाब दे सकता हूं, जब गांव वालों को इस बात का पता चलेगा तो क्या सोचेंगे?’ श्रीधर ने अपनी समस्या बताते हुए कहा।

तभी श्रीधर की पत्नी को एक उपाय सूझा और वह बोली ‘अपनी नौकरानी दस तारीख़ से एक महीने की छुट्टी पर जा रही है, हम ऐसा करेंगे कि जो थोड़ा-बहुत काम है मां जी को कह दिया करेंगे, इससे न तो मां जी का प्रोग्राम कैंसल होगा और न ही हमें एक महीना दूसरी नौकरानी रखनी पड़ेगी।’ 

‘हां यह ठीक रहेगा।’ 

‘श्रीधर ने उत्तर दिया। अब श्रीधर की समस्या का समाधान हो चुका था।’

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