-मिलनी टण्‍डन

आजकल बदन पर टैटू तथा पियर्सिंग का चलन बतौर शौक़, सौंदर्य-सज्जा बढ़ रहा है। यह आया है पश्च‍िम से। किन्तु हमारे यहां गोदना गोदवाने का चलन रहा है जो ग्रामीण इलाक़ो व जन-जातियों में आज भी है।

टैटू की ओर विशेषकर नगरों की युवा-पीढ़ी आकर्षित है। इसमें युवतियों के साथ युवक भी शामिल हैं। आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जीवन में और पर्दे पर भी।

शायद आपको याद हो कि अभिनेत्री रवीना टण्डन ने अपने नाज़ुक बदन पर बिच्छू गोदवाया था। फि‍र और अभिनेत्रियों पर भी इसका क्रेज़ हुआ। देखा-देखी युवा-वर्ग पर यह शौक़ चढ़ा और ब्लैक व कलर्ड टैटू होने लगे। अब तो स्पर्द्धा–सी है। टैटू पहले बांह व कलाई पर शुरू हुआ। अब तो शरीर का कोई अंग अछूता नहीं बचा। बांह, नाभि, नितम्ब, गाल, वक्ष, गरदन, पीठ, कलाई, पिंडली, एड़ी।

शरीर के अंग का चुनाव अपने शरीर की आकृति के अनुसार यह सोचकर करना चाहिए कि टैटू कहां सुन्दर लगेगा और दूसरों को आकर्षित करेगा।

टैटू में आकृति का चुनाव आप करें – कोई फूल, अक्षर, हाथ, पशु, पक्षी, रेखाचित्र, छल्ले, इमारत की आकृति आदि।

टैटू शरीर के खुले हिस्से पर कराएं या ढके हिस्से पर। ढके हिस्सों के खूबसूरत टैटू आपके अर्द्धनग्न-नग्न होने पर दिखेंगे और आपका प्रिय निहाल हो जाएगा।

टैटू स्थायी भी हो सकता है जो मिटे नहीं और अस्थायी भी जो मिट जाए। अस्थायी रंगों से पेंट होता है। स्थायी टैटू सुइयों के सहारे बनते हैं।

सबसे आसान, प्रियकर और सुखकर है अपने प्रिय का नाम। यह काफ़ी चलन में है। यह प्रेम-प्रदर्शन की शैली या रीति है।

अपने इस भारत में अब मेहंदी टैटू खूब लोकप्रिय है। सुईवाला, इसमें दर्द नहीं होता। मेहंदी टैटू विदेशों में भी लोकप्रिय हुआ है। सुई वाले टैटू से संक्रमण की संभावना रहती है। मेहंदी टैटू में नहीं। इसे पूरे शरीर में कहीं भी कराया जा सकता है।

टैटू का एक रूप पियर्सिंग है। अधर, नाभि, जिहवा, भौं पर यह प्रायः कराई जाती है। यह पुरानी चीज़ है, पर इसे अब नई शैली, नया अंदाज़ मिल गया है।

टैटू या पियर्सिंग अपना स्वास्थ्य देख कर कराएं। दर्द सह लीजिएगा? संक्रमण का भी ख़तरा हो सकता है। यदि उसे मिटाना चाहें तो आपको कॉस्मेटिक सर्जरी करानी पड़ेगी जिसमें काफ़ी ख़र्च आता है। खूब सोच-समझ कर फ़ैसला लें।

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