Juthe kahkahon Ka Bojh Dhoti Yeh Haseenae File

-सिमरन

प्रत्यूषा की मौत … एक मासूम खिलखिलाहट का मौन हो जाना … यह महज़ एक ख़बर न थी। यह एक सदमा था तमाम लोगों के लिए। प्रत्यूषा यानी आनंदी यह वो नाम था जिसने हर दिल में अपनी एक अलग जगह बना रखी थी। एक वक़्त था जब वो हर घर का सदस्य हो गई थी। सभी की दुलारी थी वो। उसकी मासूम मुसकान जबरन हर किसी को अपना बनाती थी। इसीलिए उसकी मौत से टेलीविज़न इंडस्ट्री के लोग ही नहीं तमाम लोग सदमे में आ गए। जब सुना तो एक हूक सी उठी दिल में।

जहां उसकी मौत अपने पीछे दुःख छोड़ गई, सदमा छोड़ गई वहीं प्रश्न छोड़ गई। आख़िर ये हसीनाएं क्यूं छोटी सी उम्र में मौत के क्रूर पंजे का शिकार हो जाती हैं। प्रत्यूषा की ही तरह अमिताभ बच्चन के साथ पहली फ़िल्म निशब्द के साथ चर्चा में आई ज़िया खान की भी छोटी उम्र में ही ऐसे ही रहस्यमय तरीक़े से मौत हो गई थी। प्रत्यूषा के निजी रिश्ते की तरह ही ज़िया का निजी रिश्ता भी शक के दायरे में आया था। दोनों की आत्महत्या हुई या हत्या यह प्रश्न उठा। ज़िया खान की मौत का रहस्य अभी तक खुल नहीं पाया। अगर थोड़ी और पीछे जाएं तो दिव्याभारती की मौत भी घटना थी, दुर्घटना या साज़िश इस के पीछे कई अटकलें लगाई जाती रहीं। पर यह रहस्य कोई जान नहीं पाया।

उन्होंने आत्महत्या की हो या हत्या रिश्तों पर तो उंगली उठती ही है। प्रत्यूषा का रिश्ता सामान्य नहीं था यह उसके दोस्तों ने बताया। यह भी पता चला कि उसके घर से उसके रोने की आवाज़ें आती थी। कुछ महीनों से वो उदास रह रही थी। इससे पहले भी उसके एक रिश्ते का दुखद अंत हो चुका था। ऊपरी तौर पर देखने से एक ओपन सोसायटी के स्वच्छंद जीवन का आभास होता है जहां एक रिश्ते के टूटने से आसानी से दूसरे रिश्ते में प्रवेश पा लिया जाता है। लेकिन वास्तव में यह है टूटन, बिखरन एक व्यक्त‍ित्व की। कितनी भी लड़कियां अपने को ओपन समझ लें रिश्ते के टूटने से अंदर से टूटती हैं। लड़कियां प्राकृतिक तौर पर अधिक भावुक होती हैं इसलिए रिश्ते का टूटना उनके लिए असह्य होता ही है।

प्रत्यूषा का यह लिखना कि ‘जब आदमी के पास कोई जवाब नहीं रह जाता वो सिर्फ़ हंस सकता है।’ यह इन हसीनाओं के झूठे कहकहों के बोझ की सत्यता को ब्यान करता है। इस तरह ओपन रिश्तों में जाना शायद इस ओपन ज़िन्दगी की ज़रूरत है। घर से दूर अकेली लड़कियां जब इंडस्ट्री में स्ट्रगल शुरू करती हैं तो भावानात्मक सहारे की ज़रूरत रहती ही है। और फिर आस पास का ओपन माहौल भी उनको इस तरह के रिश्तों में बंधने को प्रेरित करता है।

इस बार जब बिगबॉस में लड़कियां एक दूसरे से बात करते हुए कह रही थी कि यह तुम्हारा कितनवां अफेयर था। और उन्हें अपने ब्यॉयफ्रैंड की तुलना पिछले ब्यॉयफ्रैंड से बड़ी खुशी-खुशी करते भी पाया गया। महानगरी में पश्चि‍मीकरण का पूर्णरूपेण दर्शन देखने को मिला। हालांकि यह सब पहले से भी जानकारी में था पर इससे पहले इतनी शरेआम एक्सेप्टन्स नहीं थी। इन बातों को पर्दे में रखा जाता था। छोटे कसबों की युवा पीढ़ी भी जो पर्दे और इन्टरनेट से प्रेरित है इस ओर बढ़ चुकी है यह तय है। लेकिन फिर भी छोटे कसबों और छोटे शहरों के लिए यह बातें आज भी सामान्य नहीं हैं। वहां अभी भी भारतीयता, भारतीय संस्कृति की आख़िरी सांसें बची हुई हैं। भारतीय संस्कृति में पूरी तरह से पाश्चात्यकरण की सेंध इन रिश्तों को कहां लेकर जाएगी यह तो पता नहीं। पर इतना तय है कि इतनी स्वच्छंद ज़िंदगी में सुकून नहीं है, यह इनसे प्रेरित पीढ़ी के लिए समझना ज़रूरी है।

बिगबॉस एक ऐसा शो है जहां लाख छुपाने के बाद भी लाख पर्दों के बाद भी व्यक्ति‍ का असली चेहरा सामने आ ही जाता है। जब प्रत्यूषा बनाम आनंदी ने बिगबॉस में प्रवेश किया तो सब की चहेती आनंदी को देख कर एक उत्सुकता भरी प्रसन्नता सब के चेहरों पर थी। हर कोई उसकी वास्तविक ज़िंदगी को, वास्तविक चेहरे को जानने का इच्छुक था। शायद वो सभी प्रतियोगियों में सब से जाना पहचाना चेहरा था। उसे देख कर कभी तो छोटी-सी उम्र में उपलब्धियों से सराबोर एक आश्वस्त लड़की का समझदार चेहरा सामने आता तो वहीं कभी उसका बचपना उसकी नासमझियां भी सभी बांध तोड़ कर सभी पर्दों से निकल कर सामने आ खड़ी होती। पारंपरिक वेशभूषा वाला आनंदी का किरदार निभाने वाली प्रत्यूषा वहां हमेशा पाश्चात्य वस्त्र पहने नज़र आई। बल्कि अपना स्वच्छंद किरदार जानबूझ कर दिखाने का प्रयत्न करती हुई दिखाई दी कहें तो अतिश्योक्त‍ि नहीं होगी। यह देख कर मुझे किसी की कही हुई बात याद आती थी कि अचानक ओपन हो चुकी हमारी सोसायटी में लड़कियां सामान्य नहीं हो पा रहीं। कई लड़कियां तो गावों से या छोटी जगहों से शहरों में आने पर अपनी वेशभूषा जानबूझ कर बदल लेती हैं ताकि उनको कोई पिछड़ा न कह सके और जिसकी उदाहरण बने हम अपने आसपास कई लड़कियों को देखते ही हैं। और दूसरी तरफ़ वे लड़कियां भी हैं जो बेहद सतर्क हो जाती हैं कि ओपन सोसायटी में होने से उनका ग़लत इम्प्रेशन न जाए। मैं इन दोनों ही बातों से सहमत थी। हालांकि दूसरी उदाहरण शायद इस इंडस्ट्री से हमारे सामने कोई नहीं आई।Juthe kahkahon Ka Bojh Dhoti Yeh Haseenae Image2

हम बात कर रहे थे बिगबॉस की। अपने आप को संभालती कभी आशावान और कभी निराश, कभी संभलती, कभी टूटती प्रत्यूषा को सबने देखा। बिगबॉस के सभी प्रतियोगियों को पुतलियों की तरह नचाने वाले सलमान खान द्वारा अपनी आदत अनुसार कितनी ही बार उसे झिंझोड़ते हुए और परिणाम स्वरूप उसके बचपने को बाहर निकलते देखा गया। जब सलमान ने उसे शो में दिखने की, कुछ करने की हिदायत दी तो वो बेवजह कुछ लोगों पर भड़की। हिदायत को सीरियसली लेते हुए जहां वो संग्राम पर भड़की वहीं अपनी प्रियसखी काम्या पर भी भड़की। उसकी इस हरकत पर जब उसके फेवरेट सलमान ने फटकार लगाई तो मासूम प्रत्यूषा को टूटते हुए भी देखा। उसके बाद उसका मन शो से उचट गया। वो हर हाल में शीघ्र बिगबॉस के घर से बाहर आना चाहने लगी और शीघ्र ही बाहर आ गई। इस तरह उसका बचपना उसकी मासूमियत बिगबॉस में सबके सामने आई।

बिगबॉस में ही प्रत्यूषा ने अपने पूर्व प्रेमी का ज़िक्र भी किया। अपनी हैसियत को अपने ब्यॉयफ्रैंड से सुपीरिअर मानने वाली प्रत्यूषा वाक़ई में टेलीविज़न का बड़ा चेहरा थी। सच में हैसियत के तौर पर उसका क़द ज़्यादा बड़ा दिखाई देता था। यही बात उसके दूसरे रिश्ते में भी क़ायम रही। हालांकि बालिका वधू के बाद उस तरह की सफलता उसे शायद नहीं मिल पाई पर आज भी वो पहचान उसके साथ जुड़ी हुई थी। अब भी उसका क़द, उसकी पहचान अपने ब्यॉयफ्रैंड से बड़ी थी।

बिगबॉस केवल प्रत्यूषा ही नहीं अन्य कितनी ही हसीनाओं के टूटते रिश्तों का गवाह बना है। प्रत्यूषा की ही तरह श्वेता, काम्या पंजाबी और मोनिका बेदी ने भी अपने टूटते रिश्तों की बात की लेकिन उन्होंने अपनी परिपक्वता के चलते नपे तुले शब्दों में अपनी बात रखी। श्वेता का रिश्ता तो शो के बाद भी चर्चा में रहा और उसके रिश्ते को टूटते हुए, रिश्ते का तमाशा बनते हुए लोगों ने देखा। डेलनाज़ का तो पूर्वपति उसके साथ ही शो में बना रहा। और अंत तक इस आशा से कि कुछ विशेष नज़र आए दोनों को शो में बनाए रखा गया। इसके अलावा डिम्पी और करिश्मा के टूटते हुए रिश्तों का भी शो गवाह बना। अपने अगले रिश्ते में जाने के बावजूद भी राहुल के शो में आने से डिम्पी को भावुक होते हुए, आंसू बहाते हुए देखा गया। करिश्मा का बिना अपना पहला रिश्ता तोड़े दूसरे रिश्ते में प्रवेश सब लोगों को चकित कर गया। डिम्पी के कहे अनुसार करिश्मा पहले ही उसे बता रही थी कि वो अपने रिश्ते में खुश नहीं है। बावजूद इसके वो पूरे शो के दौरान यह ऐलान करती दिखी कि वो किसी रिश्ते में है। इस तरह अचानक नए रिश्ते में उसका जाना सब को हैरत में डालता हैं। और ओपन सोसायटी के रिश्तों का एक नया रूप हमारे सामने लाता है। इन हसीनाओं की झूठी हंसी पर एक प्रश्नचिन्ह लगता है। किस तरह के रिश्तों का बोझ ढोते हुए, अपनी खूबसूरत हंसी बिखेरती, टूटते, बिखरते और फिर से संभलते वे प्रतिस्पर्धात्मक इंडस्ट्री में अनथक बढ़ती चली जाती हैं।

इन के अलावा बेहद विवादास्पद रहे दो रिश्तों की बात भी मैं यहां अवश्य करना चाहूंगी। वो हैं गौहर-कुशाल एवम तनीषा-अरमान के सो कॉल्ड रिलेशन्ज़। इन रिश्तों पर हमेशा सवाल उठता रहा है कि ये लोग वाक़ई सीरियस थे, क्या ये सब इन्होंने शो के लिए किया? क्या उस माहौल के तनाव में इनको भावनात्मक सहारे की ज़रूरत महसूस हुई? दोनों कॅपल्ज़ हर प्रकार से एक दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी बने नज़र आए। जितनी तेज़ी से ये रिश्ते बने उसी तेज़ी से ख़त्म हो गए हालांकि शो समाप्त होने के बाद दोनों कॅपल्ज़ ने अपने रिश्ते की सत्यता को सिद्ध करने की भरपूर कोशिश की। शो के बाद यहां वहां अपनी तसवीरें खींच कर सोशल मीडिया पर डालीं। लेकिन बाद में एक-एक करके अपने ब्रेकअॅप को स्वीकार किया। ऐसे रिश्तों के क्या मायने निकाले जाएं।

बहुत-सी हसीनाएं तो रिश्ते बनाती, फिर रिश्तों के टूटने पर खुद को संभालती अगले रिश्तों की ओर बढ़ती अनथक सट्रगल की दुनियां में चलती चली जा रही हैं। हालांकि उनके अन्दर की टूटन बिखरन को कोई देख नहीं पाता। या यूं कहें कि अपने झूठे कहकहों के पीछे वे सब छुपा कर दिन प्रति दिन सट्रॉन्ग हो जाती हैं। पर इस ग्लैमर वर्ल्ड की सभी हसीनाएं इतनी स्ट्रॉन्ग नहीं हो पाती। प्रत्यूषा जैसी कुछ लड़कियां नहीं झेल पाती इन झूठे कहकहों का बोझ और अलविदा कर जाती हैं इस फानी दुनियां को।   

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