-डॉ.प्रेमपाल सिंह वाल्यान

सभ्यता के विकास के साथ आधुनिक समाज ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है लेकिन प्रगति के नाम पर अनजाने में कुछ कुप्रवृत्तियां भी समाज में व्याप्त हो गई हैं। इन्हीं में एक है विवाह पूर्व उन्मुक्त यौन सम्बन्ध आइए देखें इसके दुष्परिणाम किस रूप में हमारे समक्ष प्रकट हो रहे हैं। एक सरकारी गर्भपात केन्द्र की निर्देशिका स्वीकार करती हैं कि गर्भपात कराने आई 58 प्रतिशत महिलाएं अविवाहित होती हैं तथा उनकी उम्र 20 वर्ष से कम होती है। आजकल किशोरावस्था में विवाह पूर्व सेक्स सम्बन्ध बढ़ रहे हैं। सारिका जो कि खूबसूरत व जवान है प्रेम में पड़ गई। उसके मां-बाप नौकरी पेशा हैं। जिन्होंने उसे ज़रूरत से ज़्यादा स्वतन्त्रता दे दी। पिछला वर्ष बहुत ही मज़ेदार बीता। दोस्त, पार्टियां और सेक्स का उत्तेजक संसार।

लेकिन एक दिन उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो गई। डॉक्टर की रिपोर्ट ने उसकी आशंका को सच कर दिया कि वो गर्भवती है। सारिका को बहुत बड़ा झटका लगा। हालांकि उसे पता था कि सेक्स करने से वह गर्भवती हो सकती है लेकिन इस पर उसने कभी गंभीरता से नहीं सोचा था। जिस समय वह गर्भवती हुई उसकी उम्र मात्र 17 साल थी। इस बात को वह अपने मां-बाप से कहने से डर रही थी। अब वह क्या करे?

उसके बॉय फ्रेंड को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वे उन विपरीत परिस्थितियों में क्या करें। कुछ घनिष्ट मित्रों ने आत्महत्या की भी सलाह दी। कुछ ने गर्भपात की तथा कुछ ने कहा कि वह तुरन्त एक लड़का देखकर शादी कर ले। कुछ न हुआ। एक समय ऐसा भी आया कि सारिका का राज़ राज़ न रहा। उसके मां-बाप को पता चला तो उन्हें बहुत सदमा पहुंचा। किन्तु उन्होंने बजाय विलाप करने के स्थिति को अपने अधिकार में ले लिया। सारिका को अन्य शहर में ले जाया गया वहां सारिका ने बच्चे को जन्म दिया और आश्चर्य की बात थी, उसके मां-बाप ने अपने “धेवते” को गोद ले लिया।

सारिका जैसा केस हज़ारों में एक होता है। हरेक अभागी लड़की को ऐसे मां-बाप नहीं मिलते अधिकतर लड़कियों को अपनी समस्या स्वयं ही हल करनी पड़ती है। वे नहीं जानती कि उन्हें कहां से सहायता अथवा निर्देशन मिलेगा। अधिकांशत: गर्भपात करा लेती हैं जो मेरी स्टोप्स की सहायता लेती हैं। धनिक लड़कियां प्राइवेट क्लीनिकों में अपना गर्भपात करा लेती हैं कुछ दाइयों से ही अपना गर्भापात करा लेती हैं ।

अनचाहे गर्भधारण के केस भारत की अन्य जगहों एवं दिल्ली में कॉमन नहीं हैं। मेरी स्टोप्स स्वीकार करती है कि गर्भपात कराने वाली 20 प्रतिशत युवतियों की उम्र 12 से 15 के बीच होती है तथा 30 प्रतिशत युवतियों की 16 से 20 वर्ष के बीच होती है तथा वह अविवाहित होते हैं। अध्यापकों, अभिभावकों, डॉक्टर, शिक्षाविदों तथा समाज शास्त्रियों की धारणा है कि सेक्स के मामले में खुलापन बढ़ रहा है। युवाओं में विवाह पूर्व सेक्स सम्बन्ध बढ़ रहे हैं। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि स्कूली बच्चों में सेक्सुअल फ्रीक्वेन्सी बढ़ रही है। एक विचार यह है कि 90 प्रतिशत से अधिक व्यस्क अपने मां-बाप से सेक्स शिक्षा नहीं पाते एवं सेक्स मैटीरियल हेतू 60 से 70 प्रतिशत लोग अपने मित्रों पर निर्भर रहते हैं। उक्त से स्पष्ट है कि बड़े लोग बच्चों को सही शिक्षा नहीं देते हैं। स्कूली बच्चों से किए गए प्रश्नोत्तर से पता चला कि यौन रोगों के बारे में जानकारी रखने वाले बच्चों की संख्या जगह के अनुसार 11 से 16 प्रतिशत से अधिक नहीं जबकि वर्तमान में यौन रोग तथा एडस् जैसे ख़तरनाक रोगों के बारे में जानकारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

डॉ. प्रोमिला कपूर जो कि जानीमानी समाज सुधारक सलाहकार तथा शोधकर्ता हैं का कहना है कि सेक्स के मामले में बदलाव आया है। पहले मैं कभी लड़कियों से सेक्स के मामले में बात करती थी तो वे इसे बेकार का विषय समझती थी परन्तु अब वे इसके बारे में ज़्यादा जानना चाहती हैं। किशोर अब अधिक खुले विचारों वाले हो गये हैं। अब तो कुछ ग्रामीण स्कूली छात्राएं भी शादी के पूूर्व सेक्स सम्बन्धों को अपराध नहीं मानतीं। अब भारतीय समाज में अविवाहिताओं के गर्भपात तथा अविवाहित माताओं की संख्या बढ़ रही है। वर्तमान में गर्भपात दर 40 लाख प्रतिवर्ष है। जिसका मुख्य कारण अज्ञानता है लोग आज भी इस विषय पर खुले दिल से बात करना नहीं चाहते। यौन ज्ञान वर्धक पत्रिकाओं के नाम पर नाक भौं सिकोड़ते हैं। जब बच्चेे शिक्षकों के पास जाते हैं तो शिक्षक भी इसे नकारते हैं। किशोरों की बहुत-सी जिज्ञासाएं व समस्याएं हैं, लेकिन कोई उनका समाधान नहीं करता। वे अपने मित्रों जो कि स्वयं ही इस बारे में अज्ञान हैं से मशवरा नहीं करना चाहते। अधिकतर जानकारी उन्हे टी.वी. तथा ब्लयू फ़िल्मों से प्राप्त होती है।

समाजवादियों का कहना है कि टी.वी. से जो जानकारी प्राप्त होती है वे इस प्रकार है जिस प्रकार कि अन्धा हाथी के बारे में सोचे कि वो कैसा होगा। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि बहुत-सी लड़कियां यौन रोगों और सेक्स की सही जानकारी से अनजान हैं। अज्ञानता के इस स्तर के कारण ही आजकल बच्चे भी एडस् के रोगी हो रहे हैं। 38.4  प्रतिशत विद्यार्थियों ने उस रेस्तरां में खाना खाने से मना कर दिया जहां एड्स का रोगी कार्य करता था। इससे एडस् के प्रति उनकी मिथ्या धारणा का पता चलता है। दूसरी तरफ़ एक वर्ग ऐसा भी है जो कि ऐश व मस्ती में विश्वास करता है। जिसमें 20 प्रतिशत युवा शामिल हैं। इनका कथन है कि एड्स के ख़तरे के बावजूद मौक़ा मिलने पर वे सेक्स सम्बन्ध स्थापित करने से नहीं चूकेंगे। मेरी स्टोप्स की एक सलाहकार श्रीमती एस.एन. गुप्ता बताती है कि लड़कियां ऐसी चीज़ों से बहुत व्याकुल होती हैं। एक घटक यह भी है कि किशोरावस्था का समय बढ़ रहा है श्रीमती नीलम सिंह जो कि जानी-मानी शिक्षाविद् हैं तथा फ़ेमिली लाइफ़ एण्ड एजुकेशन की प्रतिनिधि हैं का कहना है कि, “पहले सेक्स के बारे में जानकारी बहुत सीमित होती थी, तथा जवान होते ही शादी हो जाती थी जिसके बाद वह सेक्स का खुलकर प्रयोग करने लगते थे।” क्योंकि शादी के बाद सेक्स का प्रयोग करने की वह सामाजिक मान्यता प्राप्त कर चुके होते थे इसलिए उन्हें सामाजिक रूप से कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ती थी। लेकिन आजकल बच्चे जल्दी छोटी उम्र में सेक्स के बारे में जान जाते हैं। लड़कियों को कम उम्र में ही मासिक शुरू हो रहा है जबकि विवाह की उम्र बढ़ती जा रही है। वर्तमान में 15.3 प्रतिशत शादियां आफटर थर्टी हो रही हैं। इस स्थिति में जबकि वह सेक्स के बारे में जागरूक हो जाती हैं, और उसके बाद भी सेक्स उन्हें उपलब्ध नहीं होता है तो ऐसे में अनेकों समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय की बीस वर्षीय बीना का उदाहरण है। वह अपने बॉयफ्रेन्ड के प्यार में पड़ी। छ:माह की डेटिंग के बाद तथा अनेकों स्थानों पर साथ-साथ घूमने के बाद रवि ने उससे साफ़-साफ़ कह दिया कि उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहता है। जबकि बीना शादी से पूर्व इस तरह के सम्बन्धों के बिल्कुल विरुद्ध थी, किन्तु वह जानती थी कि यदि उसने ऐसा नहीं किया तो वह रवि को खो देगी, और रवि को कोई और गर्ल फ्रेन्ड मिल जायेगी। कुछ दिन उसके बहुत कशमकश में गुज़रे, क्योंकि वह रवि को दिल से चाहने लगी थी। लेकिन एक तो वह अभी गृहस्थी में नहीं फंसना चाहती थी, दूसरे वह विवाह पूर्व शारीरिक सम्बन्धों के दुष्परिणामों से अच्छी तरह वाक़िफ़ थी लेकिन आख़िरकार उसे रवि के साथ शादी पूर्व शारीरिक सम्बन्ध बनाने पड़े क्योंकि रवि उसके लिए स्पेशल था।

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि लड़कियां समझती हैं कि सेक्स की तीव्र इच्छा इसलिए होती है क्योंकि वह कम उम्र में ही सेक्स में सक्रिय हो गयी थीं। जबकि लन्दन में पढ़ी सुश्री शशी गुप्ता का कहना है कि सेक्स की तीव्र इच्छा कम उम्र में सेक्स में सक्रिय होने से ही नहीं होती बल्कि जिस हवा से हम सांस लेते हैं उससे भी तीव्र सेक्स इच्छा होती है यानी माहौल का भी योगदान रहता है। बंगलौर की रहने वाली 20 वर्षीय कम्प्यूटर छात्रा मनीषा की दोस्ती 25 वर्षीय एक विज्ञापन प्रतिनिधि से हो गई उन्होंने सेक्स का खूब आनन्द लिया। उसने बताया कि मेरी मां और दादी की शादी के बाद के यौन सम्बन्धों में इतना खुलापन नहीं आया होगा जितना कि हम दोनों के यौन सम्बन्धों में मात्र चार माह में आ गया था। हम दोनों की आवश्यकताएं व विचार समान थे लेकिन आज वह मुझसे दूर चला गया है। कारण उसका अपना प्रोफ़ेेशन है। मैं उसको लेकर बहुत ज़्यादा परेशान नहीं हूं। मैं जानती हूं कि अगर वह मुझे नहीं मिला तो भारत में पुरुषों की कमी नहीं। कोई न कोई साथी मुझे अवश्य मिल जायेगा।

वहीं विद्यासागर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हैल्थ एण्ड न्यूरोसाइंस के डॉ. जीतेन्द्र नागपाल कहते हैं कि इन दिनों बन रही फ़िल्मों और धारावाहिक यौन उत्तेजना बढ़ाते हैं जिसका भोले किशोरों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। किशोरावस्था में दिमाग़ यौन संबंधी प्रयोग के लिए वैज्ञानिक तौर पर तैयार होता है लेकिन यौन संबंधो को बनाए रखने के लिए उसमें भावानात्मक क्षमता का अभाव होता है। इस असंतुलन का नतीजा होता है अनचाहा गर्भ जिसकी वजह से देश में किशोरियों द्वारा गर्भपात कराने की दर बढ़ रही है। डॉ. नागपाल चेतावनी देते हैं कि अगर अगले कुछ वर्षों में यह स्थिति नहीं बदली तो भारत की संस्कृति भी अमरीका और यूरोप की तरह बन जाएगी। किशोरावस्था में गर्भपात के प्रभावों का ज़िक्र करते हुए डॉ. भट्टाचार्य कहते हैं कि इससे तो जीवन ही ख़तरे में पड़ जाता है। संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। गर्भपात कराने वाली 20 किशोरियों में से हर साल एक संक्रमण का शिकार हो जाती है। एच.आई.वी. पीड़ित युवाओं में आधी संख्या 25 वर्ष से कम आयु वालों की है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. क्यू.ए.भट्टाचार्य कहती हैं कि किशोरावस्था में गर्भपात से भविष्य में स्त्री रोगों की समस्या भी हो सकती है। एक पब्लिक स्कूल की प्राचार्य हरप्रीत कौर कहती है कि आज दुनिया में नो सेक्स की संभावना नहीं बची है तो क्यों न बच्चों को सुरक्षित सेक्स की जानकारी दी जाए। किशोर क्लीनिक भी खोले जाने चाहिए। जहां किशोर यौन समस्याओं के बारे में पूूछ सकें। इससे किशोरावस्था में गर्भपात पर अंकुश लगाया जा सकेगा। स्वस्थ समाज व खुली मानसिकता के लिए यौन शिक्षा भी अति आवश्यक है इससे भी अवैध यौन संबंधों व किशोरावस्था में गर्भपातों में कमी आयेगी।

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