-मीरा हिंगोरानी

प्राचीनकाल से चली आ रही उबटन परम्परा आज भी चलन में है। आदिकाल में महारानियां अपनी दासियों से उबटन लगवाकर, कमनीय बनने का प्रयोग करती थीं। उबटन से त्वचा में लचक व आकर्षण बना रहता है। खुश्की व जलन से भी निजात मिलती है। अत: सौंदर्य निखारने में आज भी उबटन की अहम् भूमिका है। आईये देखें सही समय पर किये गये उबटन के लाभ:- 

  • यूं तो सही ढंग से लगाया गया उबटन, त्वचा के रोम छिद्रों को खोलने में सहायक है। इससे मांसपेशियां भी कसती हैं व पसीने की दुर्गंध से बचाव होता है।
  • साधारणतया महिलाएं दूध में बेसन, चोकर या फिर चावल का आटा व हल्दी मिलाकर, उबटन लगाती हैं। उबटन लगाते समय मौसम का ध्यान रखना ज़रूरी है।
  • गर्मी के झुलसाते मौसम में, चंदन-खस पाउडर को दही में मिलाकर, उबटन लगाएं। शरीर को ठंडक व राहत मिलेगी।
  • शीतकाल की सर्द व शुष्क हवाओं से बचने के लिए आप सरसों, तिल, केसर या बादाम को पीसकर, मलाई में मिलाकर लगाएं, त्वचा फटने से बची रहेगी।
  • बरसात के भीगे व उमस भरे मौसम में चिपचिपाहट मिटाने के लिए आप संतरे का छिलका-पाउडर, हल्दी चंदन-पाउडर या नीम व तुलसी आदि को कच्चे दूध में मिश्रण बनाकर लगा सकती हैं। चेहरा आभायुक्त होगा व चित्त भी प्रसन्न रहेगा।
  • बसंत ऋतु में तेज़ खुश्क हवाओं से बचने के लिए जौ के आटे को व गुलाब की पंखुड़ियों को रात में दूध में भिगो दें। अब इस घोल को सुबह-चेहरे पर लगाएं। सूखने पर धो दें। इस तरह पौष्टिक तत्त्वों से आपकी त्वचा ढकी रहेगी, और तेज़ हवाओं से भी बचाव होगा।

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