-सिमरन

कंगना राणावत 23 मार्च 1986 को जन्मी भारतीय सिनेमा की अति संवेदनशील एकट्रेस है। अलग तरह के रोल करके बहुत अलग दिखने वाली इस हीरोइन ने सबसे अलग अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया है। कंगना को स्पष्टवादिता के बारे में जाना जाता है। बेबाकी से अपनी हर बात को रख पाने में मशहूर कंगना हमेशा विवादों में घिरी रहती है। वो अपनी शर्तों पे जीती है और विवादों से प्रभावित नहीं होती। चुलबुली और मासूम हंसी बिखेरते हुए कंगना मासूमियत से सराबोर लगती हैं लेकिन जब हर सवाल का सटीक जवाब देती है तो बहुत परिपक्व नज़र आती है।

कंगना राणावत अपनी एक्टिंग के बारे में बताते हुए कहती हैं कि उसे खुद अपनी पहली फ़िल्म देख कर हैरानी हुई थी कि वो कितनी अच्छी एक्टिंग कर सकती है। कंगना का एक्टिंग की लाइन में आने का कभी सपना नहीं रहा न ही इस लाइन से वाक़िफ़ियत। घटना क्रम ऐसा बना कि उसका इस लाइन में प्रवेश हो गया। वो कहती हैं कि कई बच्चे बचपन से स्कूल में गाते हैं या एक्टिंग करते हैं हम उनको बॉर्न यानी जन्मजात सिंगर या जन्मजात एक्टर कहते है। मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं था। लेकिन आज अपने मुक़ाम को देखते हुए और अपनी एक्टिंग देख कर मुझे लगता है कि मैं बॉर्न यानी जन्मजात एक्टर थी। वो अपनी एक्टिंग के प्रति बेहद आश्वस्त नज़र आती है।

कंगना शुरू से बाग़ी प्रवृत्ति की थी। इसीलिए उनके अपने परिवार से मतभेद रहे। पिता उसके एक्टिंग कैरियर में जाने के ख़िलाफ़ थे। लेकिन उनकी सफलता के बाद अब पिता की शिकायतें दूर हो गई हैं। अब वो काफ़ी अच्छा महसूस करते हैं। कंगना अपनी सफलता का श्रेय अपनी सख़्त मेहनत को देती है। लेकिन वो कहती हैं कि इसका मतलब यह नहीं कि केवल मेहनत, मेहनत और मेहनत। आपकी दिशा सही होनी चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि किधर जाना है क्या करना है। आपका फोकस सही दिशा में होना चाहिए। कंगना बेहद तीव्र बुद्धि की मालिक है। ये वह बार-बार साबित करती है। वो बताती हैं कि वो अपने हर रोल के लिए अच्छे से रिसर्च करती हैं अपने को पूरी तरह से परिवर्तित करती हैं वो करेक्टर को पहन लेती है यानी पूरी तरह उसमें ढल जाती हैं। वो अपनी सफलता का एक कारण अपनी आलोचना को भी मानती हैं। छोटी जगह से आने के कारण बोलने के लहज़े को लेकर उसकी वेशभूषा और बालों को लेकर उसकी आलोचना हुई और इस आलोचना ने उसे अपने को बदलने के लिए और सख़्त मेहनत के लिए सदा प्रेरित किया। वो आलोचना को बुरा नहीं मानती, उसके सकारात्मक पक्ष को देखती हैं और अपनी आकर्षक छवि और सफलता का श्रेय आलोचकों को देती हैं।

कंगना ने शुरू से चुनौतीपूर्ण रोल किए हैं। पहली फ़िल्म से ही उनके काम की बेहद सराहना होती रही है। लेकिन एक के बाद एक लगातार तीन फ़िल्मों में एक तरह के रोल करने से उसको लगभग इस तरह की एक्टिंग में बंधा माना जाने लगा। बेहद भावनात्मक रोल वैसे भी थका देने वाले थे। इसलिए कंगना अब इस इम्प्रेशन से आज़ाद होना चाहती थी। तब तनु और मनु बिल्कुल अलग तरह की फ़िल्म करके कंगना ने साबित किया कि वो हर प्रकार की एक्टिंग करने में सक्षम है। वो इस फ़िल्म को गेम चेंजिंग की तरह मानती है। तनु के रोल के बारे में बात करते हुए कहती है कि तनु का स्वभाव उससे मिलता होने के बावजूद उससे अलग है। तनु उसकी तरह बाग़ी प्रवृत्ति की है, अपनी शर्तों पर जीने वाली है, ज़िद्दी है, आत्मविश्वास से भरपूर है, तेेज़ दिमाग़ है। लेकिन वो कोई मुक़ाम हासिल नहीं करती। उसकी प्राप्ति कुछ नहीं है। कंगना कहती है कि आप लोग हैरान होंगे लेकिन पहले वाली फ़िल्मों से ज़्यादा उसे तनु का रोल मुश्किल लगा। क्यूं कि तनु साधारण करेक्टर नहीं है।

अपनी पहली फ़िल्म की एक्टिंग के बारे में भी वो बताती हैं कि मुझे रोल समझने में और आत्मसात करने में कठिनाई हुई। वो बताती है कि उसे एक्टिंग के बारे में बिल्कुल नहीं पता था, एक्टिंग करते वक़्त ये भी नहीं समझ पाती थी कि कैमरा किधर है और देखना किधर है। पर फ़िल्म देखने के बाद उसे बहुत अच्छा लगा। उसके रोल की बहुत सराहना हुई। कंगना की जो फ़िल्में अच्छी नहीं चली उनमें भी कंगना की एक्टिंग की सराहना हुई है ये कंगना की खूबी रही है।

कंगना को सबसे ज़्यादा स्टाइलिश हीरोइन्ज़ में से एक माना जाता है। उसे स्टाइल आइकन माना जाता है। फ़िल्मों में वह अपनी ड्रेस के बारे में बताते हुए कहती हैं कि वो इसमें दख़लंदाज़ी नहीं करती। वो चाहती है कि हर फ़िल्म में उसका स्टाइल अलग हो। बहुत-सी हीरोइन्ज़ जो उनको ज़्यादा सूट करता है उसी में बंध जाती है लेकिन कंगना ऐसा नहीं चाहती। लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखती है कि अलग होने के बावजूद किसी प्रकार कम न लगे, थोड़ी भी कम सुन्दर न दिखे। लेकिन ज़्यादा दख़ल नहीं देती।

आम तौर पर उसके स्टाइल बेहतर होने का कारण बताती है कि वो इस बारे में बेहद सतर्क हैं। इस दुनियां में आने वाली बाक़ी एक्ट्रेसिज़ अधिकतर या तो सुपर मॉडल हैं, मिस व्लर्ड हैं या फ़िल्मी दुनियां से हैं। छोटे कसबे से होने के कारण कंगना सचेत रहती हैं कि अपने को बेहतर प्रस्तुत कर सके। शुरू से लेकर अब तक उसने अपने व्यक्तित्व को बहुत निखारा है, बहुत बदल चुकी है। इस पर भी उन्होंने बहुत काम किया है। इसका कारण भी बताती हैं कि उसकी इच्छा है कि वो यहां फिट हो वो एक घटना के घट जाने की तरह नहीं होना चाहती।

कंगना मानती हैं कि लड़कियों के साथ भेदभाव हर जगह होता है। बचपन की बात बताते हुए कहती है कि लड़की होने के नाते एक अनवांटिड चाइल्ड थी और बहुत बाग़ी थी इस बात को लेकर। अगर उसके भाई को पिस्तौल और उसको गुड़िया मिलती थी तो वो विरोध करती थी। वो मानती है कि बाक़ी समाज की तरह फ़िल्म इंडस्ट्री में भी भेदभाव होता है। औरत को ग्लैमर गुड़ियों की तरह देखा जाता है उनको एक वस्तु माना जाता है। हम भी उसी तरह होने का ढोंग करने लगते हैं। आज समय है कि यह सब बदलना चाहिए। हमें अपनी पहचान अलग बनानी चाहिए। औरत कोई वस्तु नहीं है। कंगना इस बात से बहुत खुश हैं कि आज महिला उत्थान की बातें होती हैं। आज लड़कियां शिक्षित हो रही हैं। उनके साथ अगर कुछ बुरा होता है तो वे यह जानती हैं कि कुछ बुरा हो रहा है। कंगना इस परिवर्तन को बहुत सकारात्मक मानती हैं।

कंगना हर बात का बेबाकी से जवाब देती हैं। यह बात चाहे उन्हें विवादों में ले जाती है पर उसका स्वच्छ व्यक्तित्व स्पष्ट दिखाई पड़ता है। वो स्पष्ट ही नहीं परिपक्व जवाब देती हैं। टाइम पास के विष्य में पूछे जाने पर वो मुस्कुराते हुए कहती हैं कि इस उम्र में उनके लिए टाइम पास बहुत हल्का शब्द है। वो कहती हैं कि किसी रिश्ते के लिए दूसरे को जानना, समझना ज़रूरी होता है। इसके लिए डेटिंग को वो बुरा नहीं मानती। इसी प्रकार लिव इन रिलेशनशिप के बारे में भी उनके विचार स्पष्ट हैं। वो कहती हैं कि किसी भी रिश्ते में जाने पर हम आगे के लिए पहले से नहीं जानते। अगर कोई इस तरह रिश्ते में जाता है और बाद में सबकुछ ठीक से नहीं चलता है तो ठीक है। यह सब का व्यक्तिगत चुनाव है। यदि कोई इस तरह के रिश्ते में जाता है तो ठीक है।

कास्टिंग काउच के बारे में भी कंगना सटीक जवाब देती हैं। वो कहती हैं कि ऐसा फ़िल्म इंडस्ट्री में नहीं होता। छोटी फ़िल्मों के लिए यह सब होता होगा। हालांकि ऐसा आश्वासन नहीं दिया जा सकता कि कहीं कुछ ऐसा नहीं होता लेकिन यह बात तय है कि यदि कोई प्रलोभन देता है तो वो सही रोल देने में सक्षम नहीं है। वो लड़कियों को सचेत करती हैं कि ऐसे प्रलोभन देने वाले आपको कभी सही मुक़ाम नहीं दिला सकते।

कंगना फ़िल्म इंडस्ट्री में बाहर से आए लोगों के साथ भेदभाद के बारे में भी बात करती हैं। वो मानती हैं कि दूसरे लोगों के साथ भेदभाव होता है। शुरू के दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि उसका टाइम का पाबंद होना मशहूर है। एक बार उसके लेट होने पर उसको बहुत शर्मिंदा किया गया। जो बातें कही गई उनकी कोई ज़रूरत नहीं थी। उसका कहना है कि मुझे विश्वास है फ़िल्मी दुनियां के लोगों के साथ ऐसा नहीं होता। आगे वो स्पष्ट करती हैं कि फ़िल्मी दुनियां का मतलब सिर्फ़ फ़िल्मी परिवारों से नहीं। किसी का ब्यॉयफ्रेंड या कोई गॉडफादर फ़िल्मी होने से भी वो इस दुनियां से सम्बन्धित होते हैं। उनको ऐसी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता।

हालांकि कंगना सकारात्मक आलोचना को बहुत सही नज़र से देखती है लेकिन अफ़वाहों और बेहूदा टिप्पणियों को सही न मानते हुए भी वो नज़र-अंदाज़ करती है। वो कहती है कि लोगों के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल होता है कि किसी की इतनी छोटी उम्र भी है, वो सुन्दर भी है, वो प्रतिभावान भी है और वो स्टुपिड भी नहीं है। लेकिन कई लोगों को यह सब भगवान द्वारा दिया जाता है। वो कहती है कि उसने यह साबित किया है।

वो बेहूदा टिप्पणियों के बारे में बात करते हुए कहती है कि ये हज़ारों वर्षों से औरतों के ख़िलाफ़ हथियार की तरह प्रयोग की जाती हैं। यदि किसी महिला की सफलता से जलन हो तो उसको डायन कह दो, वेश्या कह दो, बदचलन कह दो। और यदि वो हद से अधिक सफल हो जाए तो उसे साइकोपैथ यानी मनोरोगी कह दो। वो कहती है कि इस तरह की बातें उसे प्रभावित नहीं करती। वो कहती है कि मैंने इस तरह के रोल किए हैं मैंने मनोरोगियों के बारे में और वेश्याओं के बारे में रिसर्च की थी। मैंने उनको बहुत क़रीब से देखा है। इसलिए इस तरह के शब्दों से मैं विचलित नहीं होती। वो कहती हैं कि यह बातें मुझे अपमानित करने के लिए बोली गई हैं पर इनका अब कोई फ़ायदा नहीं है। वो आज के समय में इनको आउटडेटिड मानती हैं। वो समाज की इन टिप्पणियों के बारे में सोचती नहीं। ऐसे समाज को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ जाती है।

कंगना अपने रिश्तों के कारण भी विवादों में रही है। उनके ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उस पर अपने ब्यॉयफ्रेंड को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। रितिक रोशन के साथ तो उसकी लड़ाई कोर्ट तक पहुंच गई। कंगना बताती है कि उसने केवल एक बार एक आदमी को पीटा था जिसने पहले उसे मारा था। उसने ऐसा अपने बचाव में किया था। इसके अलावा उसने कभी ऐसा नहीं किया। उसका मानना है कि लड़कियों को कभी मारपीट का सहारा लेना भी नहीं चाहिए क्यूं कि बाद में उनको खुद को ही भुगतना पड़ता है। भगवान ने उन्हें ऐसा ही बनाया है। वो कहती हैं कि मैं अपने नाज़ुक शरीर पर, कोमल हाथों पर और तेज़ दिमाग़ पर गौरवान्वित हूं। और मैं अपने हाथों की बजाए तेज़ दिमाग़ का प्रयोग करना पसंद करती हूं। मैं अपना बदला तेज़ दिमाग़ से लेती हूं। मेरी सफलता ही सबके मुंह बंद करती है। मुझे इन बातों के जवाब देने की कोई आवश्यकता नहीं है।

कंगना अपने आप को फ़ाइटर मानती है। वो बचपन से ही बाग़ी प्रवृत्ति की, ज़िद्दी और तेज़ दिमाग़ थी। वो मानती है कि वो शुरू से ही बेहद मज़बूत थी। वो कभी शर्मिंदा नहीं होती। वो कहती है कि वो जानबूझ कर बाग़ी नहीं होती पर कुछ न कुछ ऐसा घटता रहता है जो उसको फाइट करने को, संघर्ष करने को मजबूर करता है। वो मानती हैं कि संघर्ष की ताक़त हम सब में मौजूद होती है। मुझ में थोड़ी ज़्यादा है।

कंगना मानती है कि वो हमेशा मज़बूत नहीं रह पाती। सब की तरह उस पर भी कई बार भावनाएं हावी हो जाती हैं। कई बार तो महसूस करती हैं कि उसको अलग-थलग किया गया, उसको टारगेट किया गया। उसको भी किन्हीं पलों में बुरा महसूस होता है। लेकिन फिर कुछ अच्छा घट जाता है और फिर वह अपनी स्पिरिट में वापिस लौट आती हैं।

कंगना को किसी बात को लेकर कोई पछतावा नहीं है। वो मानती है कि छोटे क़सबे से आकर इतनी सफलता अर्जित करना, यह कोई साधारण सफ़र नहीं है। उसके सफ़र में अच्छा बुरा सब चलता रहा है लेकिन आज वो जिस मुक़ाम पर है इससे बेहतर होने का और तो कोई बेहतर तरीक़ा हो ही नहीं सकता था। वो अपने मन की सुनते हुए चलती रही और बिना किसी गॉडफादर के अपना मुक़ाम बना लिया। कंगना इस वक़्त फ़िल्म इंडस्ट्री में सबसे ऊंची कीमत वसूल करने वाली एकमात्र हीरोइन हैं। ज़ाहिर है वो अपनी सफलता पर गौरवान्वित है और उनको किसी बात का कोई अफ़सोस नहीं है। वो बुरे दौर की बात करते हुए कहती है कि यह सब ठीक है क्यूंकि उसकी कहानी कोई फेयरी टेल (परी कथा) नहीं है। और वैसे भी परी कथा में भी विलेन तो होता ही है।

कंगना कहती है कि ऐसा नहीं है कि उसे सब लोग बुरे ही मिले हैं। बहुत से लोगों से उसे प्रोत्साहन भी मिला है। और सबसे बड़ी बात वो अपने सफ़र से, अपने मुक़ाम से बहुत खुश है। वो अपनी मेहनत के बारे में बात करते हुए कहती है कि वो चाहती है कि वो लोगों के लिए प्रेरणा बनें। वो एक घटना के घट जाने की तरह फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी। इसलिए उसकी सफलता उसके लिए बहुत मायने रखती है।

कंगना ने अनेकों अवॉर्डज़ हासिल करके अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। उसे तीन राष्ट्रीय फ़िल्म अवॉर्डज़ मिले हैं।

1.बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का 2008 में फ़िल्म फ़ैशन के लिए।

2.बेस्ट एक्ट्रेस का 2014 में फ़िल्म क्वीन के लिए।

3.बेस्ट एक्ट्रेस का 2015 में तनु वेडज़ मनु रिटर्नज़ के लिए।

इसके अलावा इसको चार फ़िल्मफेयर अवॉर्डज़ भी मिले हैं।

1.बेस्ट फीमेल डेब्यू का 2006 में गैंगस्टर के लिए।

2.बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का 2008 में फ़ैशन के लिए।

3.बेस्ट एक्ट्रेस का 2014 में क्वीन के लिए।

4.बेस्ट एक्ट्रेस का आलोचकों की कैटेगरी में 2015 में तनु वेडज़ मनु रिटर्नज़ के लिए।

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