-दीपक कुमार गर्ग

पत्‍नि‍यां हमेशा यह कामना रखती हैं कि पति उनके साथ हमेशा ईमानदार बना रहे। सदा सच बोले, कभी भी झूठ न बोले। परन्तु कड़वा सच सुनने की पत्‍नि‍यों की आदत नहीं होती। पतियों के लिए ज़रूरी है कि पत्‍नि‍यों के साथ नासमझी करके अपने घर को युद्ध का मैदान न बनाएं। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। मैं आपको संतुलन बनाने के कुछ सुझाव दे रहा हूं। मैंने सच बोलने की कोशिश की है।

हर एक पत्‍नी हमेशा यह जानने में लगी रहती है कि उसका पति उसकी मुठ्ठी में है या नहीं? इसके लिए उसके दिमाग़ में हर वक़्त खुराफ़ाती विचार घूमते रहते हैं। परन्तु पति बेचारे उसकी खुराफ़ात को समझने की जगह उसके जाल में फंस कर अपना नुक़सान कर बैठते हैं।

हमारे बीच में कोई तीसरा तो नहीं – इस संसार में कोई भी पत्‍नी ऐसी नहीं है जो चाहती हो कि उसकी कोई सौतन हो। ऐसी कल्पना तक उसको डरा देती है। हर पत्‍नी घुमा फिरा कर बातों-बातों में यह जानने की कोशिश में लगी रहती है कि उसके पति का किसी दूसरी औरत के साथ संबंध तो नहीं या वह किसी अन्य औरत को तो नहीं चाहता है। हमारी पतियों को सलाह है कि आप कभी भूलकर भी अपनी किसी नई या पुरानी प्रेमिका का ज़िक्र अपनी पत्‍नी से न करें। यदि आपने कभी भूलकर अपनी किसी सहपाठी लड़की, या पड़ोसन आदि का ज़िक्र अपनी पत्‍नी के सामने कर दिया, बेशक आपका कोई प्रेम संबंध न हो परन्तु पत्‍नी की सी.आई.डी. तो शुरू हो ही जाएगी। वह हमेशा इस बात में लगी रहेगी कि उस लड़की या औरत के साथ उसके पति का संबंध किस प्रकार का था। ज़रूर प्रेम संबंध रहा होगा। वह पति को उकसाएगी उसका ऐसा मूड बनाने की कोशिश करेगी कि वह किसी न किसी बहाने उसे बताए कि उस लड़की या औरत के साथ उसका क्या संबंध था। आपकी किसी भी बात पर विश्‍वास तो फिर भी नहीं आएगा। इसके साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि आप कभी भी अपनी पत्‍नी के आगे उसकी किसी सहेली या बहन की तारीफ़ करने की ग़लती ना करें, बेशक आप अपनी पत्‍नी को कितना ही प्यार करते हो परन्तु लड़ाई होने पर आपको ताने मारने से नहीं चूकेगी कि तुम्हें तो मैं पसंद ही नहीं हूं, आपको तो उस जैसी बीवी चाहिए थी। उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं है। वह तो मेरे पैर की जूती के बराबर भी नहीं है। मेरी बहन पर बुरी नज़र रखते हो तुम्हें शर्म नहीं आती। एक से मन नहीं भरा। यक़ीन मानिए शादी के बाद तारीफ़ के शब्द केवल अपनी पत्‍नी के लिए ही संभाल कर रखें। वरना आपके पास अपनी पत्‍नी की बातों का जवाब देने के लिए कोई शब्द नहीं बचेगा।

आप अपनी कमाई का क्या करते हो, आपकी आमदनी क्या है, आपके बैंक खाते में कितने पैसे हैं। बेशक आप सबकुछ सच-सच बता देवें फिर भी हमेशा आपकी पत्‍नी यही जानने में लगी रहेगी कि आपने अपनी आमदनी के बारे में उसे धोखे में तो नहीं रखा हुआ है। आप अपनी ऊपर की कमाई उसकी किसी सौतन पर तो नहीं ख़र्च कर रहे हो। पत्‍नियों की तो यह आदत होती है कि वे किसी न किसी बहाने अपने पति की जेब चैक करती रहती हैं। यदि कोई सयाना पति अपनी सारी कमाई अपनी पत्‍नी को पकड़ा दे फिर भी यदि पति को किसी गुप्‍त ख़र्च के लिए पैसों की ज़रूरत पड़ जाए तो वह पति के आगे सवालों की झड़ी लगा देती है। इस स्थिति से बचने के लिए उसे दो खाते खोलने चाहिए एक संयुक्‍त खाता पत्‍नी के साथ और दूसरा निजी खाता केवल अपने नाम पर, जिसकी पत्‍नी को हवा तक न लगने दो।

कोई पत्‍नी यह नहीं चाहती कि आप की अपने परिवार के किसी और सदस्य माता-पिता या बहन-भाई के प्रति कोई ज़िम्मेदारी हो। आप कोशिश यही करिए कि आप अपनी इस ज़िम्मेदारी को गुप्‍त-रूप से ही निभाएं। क्योंकि यदि आपने अपनी पत्‍नी के सामने अपने परिवार के सदस्य की कोई ज़िम्मेदारी पूरी कर दी तो बस शुरू हो जाएगी – यह सब कुछ करने के लिए पता नहीं इनके पास पैसे कहां से आ जाते हैं, बस इनको मेरी तो ज़रूरत ही नहीं है। मैं कोई चीज़ मांगू तो जब 100 बार कहूं तो एक बार आती है। मां बहन एक बार मुंह से निकालें तो चीज़ पहले आ जाती है। मेरा तो ख़्याल ही नहीं है। यह सोच-सोच कर पत्‍नि‍यां अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं।

ध्यान दें आपकी मां आपकी पत्‍नी की सास है इसलिए उसको पूरा हक़ है कि वह अपनी सास के बारे में कोई अच्छा बुरा उसको खरी-खोटी सुनाए। वह आपके साथ ही आपकी मां को लेकर कलह करने का हक़ रखती है। पर क्या हिम्मत आपकी कि आप उसकी मां के बारे में कुछ कह सको या उस पर कोई टिप्पणी कर सको। जब आप अपने ससुराल जाते हो तब अक्सर ही दामाद अपनी सास से दूरी बनाकर रखते हैं क्योंकि अपनी सास की परछाई तो उनके पास मौजूद है तो क्या एक कम है। पर यदि कभी किसी मौक़े पर पति ने अपनी किसी सलिहाज के साथ कोई दुख-सुख की बात कर ली या कोई हंसी मज़ाक कर लिया तो शुरू हो जाती हैं या अंदर ही अंदर सोच-सोच कर पागल हो जाती हैं कि मेरी भाभी के आगे किस तरह अच्छा बनता फिरता है। उसको खुश करके मेरे मायके का कोई राज़ जानना चाहता है। मेरी सुंदर भाभी को देखकर पगला गया है। मेरे भाई के साथ इसका क्या मुक़ाबला। मुझे परेशान करने के लिए किस तरह मेरी भाभी से हंस-हंस कर बोलते हैं। मेरी मां के पास दो मिनट बैठ जाता क्या वह उसकी कुछ नहीं लगती। अपनी मां के साथ तो देखो कितनी बातें करता है। एक मैं ही हूं जो इसकी मां को मम्मी-मम्मी कहती फिरती हूं। किस प्रकार इसकी ज़ुबान चलती है जब अपनी मां के पास मेरी चुग़ली करनी होती है। मुझे देखकर तो इसके माता-पिता को जैसे करंट लग जाता है। जैसे कुछ बातचीत ही नहीं कर रहे हैं।

पत्‍नियां अपने पति को आजमाने के लिए उसके आगे जानबूझ कर अपनी मां के बारे में कोई टिप्पणी करें तो पति को चाहिए कि कभी भी उसकी हां में हां मिलने की ग़लती न करें। वरना शुरू हो जाएंगी। मैं तो देखना चाहती थी, कि आपको बहाना चाहिए, मेरी मां के बारे में अच्छा-बुरा कहने का। न तो आप बोलने की स्थिति में रहोगे न ही चुप रहोगे। इसके विपरीत यदि आपने अपनी पत्‍नी को अपनी मां की कोई भी बुराई या कमज़ोरी बता दी तो साथ ही साथ सौ बुराइयां आपके सामने आ जाएंगी। जैसे समय बीतता जाता है। फिगर में अंतर पैदा होना क़ुदरत के हाथ में है। अक्सर ही पत्‍नियां विवाह के बाद या बच्चा हो जाने के बाद मोटी हो जाती हैं फिर भी जानबूझ कर पति से सवाल करती हैं कि देखो जी मैं मोटी तो नहीं हो गई। समझदार पति वह होता है जो टुन-टुन को भी यक़ीन दिला देता है कि वह ऐश्‍वर्या राय है। कोई भी पत्‍नी अपने पति की नज़र में सुंदर ही बने रहना चाहती है। यदि आपने उसको कह दिया कि तेरी फिगर में अब वो दम नहीं रहा तो बस अगले दिन से आप पर शक शुरू कि आपका उसकी किसी सौतन के साथ इश्क-विश्क तो नहीं चल रहा। एक विद्वान ने इसका एक तरीक़ा बताया है। बाज़ार से एक सुंदर ड्रेस ले आओ जिसका साईज़ छोटा हो। अपनी पत्‍नी की तारीफ़ में कहो कि तू तो अपनी उम्र बढ़ने के साथ-साथ और भी सेक्सी होती जा रही है। यह ड्रेस पहनकर तो तू ऐश्‍वर्या राय को भी मात दे देगी। बस आपको कहने की ज़रूरत नहीं है ऐश्‍वर्या आपके सामने होगी। यदि आपकी पत्‍नी काम के बारे में पूछना चाहती है कि मैंने ठीक किया या ग़लत या उसको कोई काम नहीं आता। परन्तु पत्‍नी कभी भी यह नहीं चाहेगी कि आप उसके काम में कोई ग़लती निकाल कर उसको सिखाने की कोशिश करो। मैंने आपका भाषण सुनने के लिए सवाल नहीं किया। या तुमको क्या आता है। अपने आप को तो संभाल नहीं सकते। आपके पूरे ख़ानदान को मेरी ग़लतियां ढूंढने के अलावा कोई काम नहीं है। जब तुमने ग़लती की तो मैं तो कुछ बोली ही नहीं। यदि आपकी पत्‍नी बहुत सुंदर है, पढ़ी लिखी है तो कहेगी यदि काम ही करवाना था तो कोई काम वाली ले आते उससे करा लेते शादी, किसी नौकरानी से करनी थी। या ऐसी ही और दस बातें सुनने के लिए हो जाएंगी। नहीं तो अंदर ही अंदर पत्‍नी यह बातें सोचकर घुटती रहेगी। 

उसके हर सवाल के जवाब में यही कहो कि बस बहुत बढ़िया। ऐसा स्वाद तो पहले कभी भी नहीं आया। आपके काम में ग़लतियां ढूंढना आपकी पत्‍नी का जन्म सिद्ध अधिकार है। जब आता है बखेड़ा डाल देता है। कपड़े उतार कर देखो कैसे फेंक देता है। रसोई में घुस जाए तो घंटे लग जाते हैं रसोई को साफ़ करने में। मेरी किस्मत में यही लिखा है। मेरी किस्मत ही फूट गई। मैं तो कोई बात ही नहीं करती। जो मैं कुछ करूं तो कहेंगे। यह घर है होटल नहीं। फिर तू किस लिए है। मैं तो इनको कुछ कह ही नहीं सकती। कुछ कह दूं तो वही बात है कि आ बैल मुझे मार। क्या मैंने झूठ बोला? नैप्टयून के पाठक मुझे बताएंगे।

4 comments

  1. nice and funny

  2. बहुत ही उम्दा और ज्ञानबर्धक लेख …पढ़कर आनंद आ गया …. गर्ग जी को प्रकाशन हेतु बधाई …!

  3. बहुत ही उम्दा लेख ….पढ़कर आनंद आ गया ….गर्ग जी को प्रकाशन हेतु बधाई …..!

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