नारी अपने रूप-सौन्दर्य को निखारने के लिए जहां तरह-तरह के सौंदर्य-प्रसाधनों, कपड़ों व जेवरों का प्रयोग करती है वहीं अपनी नाज़ुक कलाइयों को रंग-बिरंगी चूड़ियों से सजाना भी नहीं भूलती है। प्राचीन काल से ही भारतीय स्त्रियों को चूड़ियों से बेहद लगाव रहा है। शायद ही कोई ऐसी स्त्री है जिसे चूड़ियों से प्यार न हो। भारत के हर प्रान्त, हर कोने में महिलाओं में चूड़ियां पहनने की परम्परा है। छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर नवयुवतियों और बड़ी–बूढ़ियों तक को रंग-बिरंगी चूड़ियां भा जाती हैं। अमीर-ग़रीब सभी अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार महंगी-सस्ती चूड़ियां पहनती हैं । नित नए बदलते फैशन के अनुसार आज चूड़ियों के रंग-रूप व डिज़ाइनों में भी बदलाव आया है। प्राचीन काल में जहां केवल कांच की चूड़ियों का ही प्रचलन था वहीं अब तरह-तरह की चूड़ियां बाज़ार में नज़र आने लगी हैं। धातु, कांच, लाख, पीतल, मेटल आदि से बनी तरह-तरह की रंग-बिरंगी चूड़ियां आजकल हर दुकान पर देखी जा सकती हैं। सोने-चांदी की अलग-अलग डिज़ाईन की चूड़ियां एक वर्ग-विशेष तक ही सीमित हैं जबकि अन्य प्रकार की चूड़ियां सभी वर्गों में प्रचलित हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार की चूड़ियां अलग-अलग जगह बनती हैं। कांच की चूड़ियां जहां फिरोज़ाबाद में बनती हैं वहीं लाख की चूड़ियों के लिए जयपुर प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद को तो चूड़ियों के शहर के कारण ‘सुहाग पिटारी’ भी कहते हैं। पीतल पर सोने का पानी चढ़ाकर चूड़ियां बनाने के लिए ग्वालियर शहर प्रसिद्ध है। विवाहित स्त्रियां जहां कांच की चूड़ियां पहनना पसन्द करती हैं, वहीं स्कूल कॉलेज जाने वाली आधुनिक लड़कियां लाख, पीतल, मेटल या काली धातु से बनी चूड़ियां पहनना पसन्द करती हैं।
चूड़ियां केवल हिन्दू धर्म में ही नहीं पहनी जाती वरना कई मुस्लिम परिवारों में भी शादी ब्याह के मौके़ पर चूड़ियां पहनना ज़रूरी समझा जाता है। दक्षिण भारत में सोने-चांदी की चूड़ियां प्रचलित हैं जबकि राजस्थान में हाथी–दांत की बनी चूड़ियां पहनी जाती हैं जो पूरी बाजू तक भरी होती हैं। पंजाब में दुलहन एक विशेष प्रकार की चूड़ी पहनती है जिसे ‘चूड़ा’ कहा जाता है जो हाथी-दांत या कभी-कभी प्लास्टिक का बना होता है।
एक ओर जहां चूड़ियों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर इन्हें बनाने वालों की दशा निरन्तर दयनीय होती जा रही है। उनकी दशा में कोई सुधार नहीं हुआ है। चूड़ियां बनाने के लिए वे जिस हिसाब से मेहनत करते हैं उस हिसाब से उन्हें प्रतिफल नहीं मिल पाता है। अपनी जवानी को आग की भटि्ठयों में झुलसाकर वे दूसरों के सौंदर्य का सामान उपलब्ध कराते हैं। अत: सरकार को चाहिए कि नारी के सौंदर्य में चार चांद लगाने वाले इस उद्योग को सहायता व प्रोत्साहन प्रदान करें ताकि यह उद्योग आर्थिक संकट से उबर सके और नारी के जीवन का अहम हिस्सा, इन खनखनाती चूड़ियों को लुप्त होने से बचाया जा सके।
Thanks to the excellent guide
I spent a lot of time to locate something like this
Thanks to the terrific guide
This is actually useful, thanks.
I enjoy the article
Thanks for the terrific post
I enjoy the article
It works really well for me
It works very well for me
This is really useful, thanks.
Thank you for the wonderful article
It works quite well for me
I spent a great deal of time to find something like this
Thanks, it’s very informative
Thanks for the great article
I like the article
Thanks, it is very informative