मैं सृष्टि, संतुलन इतिहास निर्मात्री सब कुछ हूं फिर भी चीरहरण और अग्नि परीक्षा
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आसमां पर पांव हम धरते रहे
कब सहर हो और कब दीदार हो, रात सौ-सौ बार हम मरते रहे। रात हो बरसात हो कुछ बात हो, क्या-क्या आरज़ू करते रहे।
Read More »बाकी सवाल
रात के इस पहर के बाद, रात और कितनी बाकी है। वक़्त के इस पड़ाव के बाद, ज़िदगी और कितनी बाकी है।
Read More »पुनर्स्थापना
खुजराहो के किसी मंदिर की भित्ति से चुरा कर एक ऋषि ने मंत्र-सिद्ध कर तुम्हें साकार कर दिया मेरे लिए
Read More »नये अशआर
लांघ कर जिस दम रिवायत की हदों को आएगी देख लेना फिर वो बस्ती भर में पत्थर खाएगी चांद तारे मुंह छिपा लेंगे घटा की ओट में कोई गोरी अपनी छत पर ज़ुल्फ़ जब लहराएगी
Read More »थोड़ी ही देर सही
थोड़ी ही देर सही मौसम खुशगवार हुआ तो था। थोड़ी ही देर सही तुझको प्यार हुआ तो था। कहां गया वह पौधा जिसे लगाने पर बूटा-बूटा चमन का
Read More »पानी से मत बहो
पानी-से मत बहो पूर्व-निर्मित सड़को पर। नई पगडंडियां विकसित करो। आलोचना का गरल तो मिलेगा इस राह में
Read More »आस्था में सेंध
पंडित ने कहा था यजमान आपके भाग्य का सितारा चमकने वाला है कुछ ही देर के बाद आपकी अपनी कोठी होगी और आपके पास अमुल्य धन सम्पदा होगी।
Read More »बाबरी मस्जिद या मन्दिर राम का
बाबरी मस्जिद या मन्दिर राम का। पेट खाली के लिए किस काम का।। पी रहे जो खून मुफ़लिस का यहां।
Read More »लिख दो
तुम्हारे नाम लिख दिए हैं वे खूबसूरत नज़ारे भी जो अभी देखने बाक़ी हैं उन फूलों की खुशबू भी जो अभी खिलने बाक़ी हैं उन झरनों की झंकार भी
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