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मन्दी के शिकार हैं पटियाला के परांदा, पटियाला सलवार के बाज़ार

रजवाड़ा शाही की छटा बिखेरता यह शहर सांस्कृतिक विरासत पैग, पगड़ी, पटियाला सलवार, पटियाला परांदा, पटियाला जूती और रेशमी नालों के लिये दुनिया में आकर्षण का केन्द्र रहा है।

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बर्फ और पहाड़ की कविता

ऊंचे देवदारों की फुनगियों पर फिर सफे़द फाहे चमकने लगे हैं सफे़द चादार में लिपटे पहाड़ फिर दमकने लगे हैं। पगडंडियों पर पैरों की फच फच से उभर आये हैं गहरे काले निशान

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भारतीय महिला : कहां से कहां तक?

भारतीय नारी ने अब करवट तो बदली है। वह अपनी सदियों की गुलामी मिटा देना चाहती हैं। यह कसक और बेचैनी एक शुभ लक्षण हैं। आधुनिक नारी भी निर्माण की प्रक्रिया के बीच खड़ी है।

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 बुढ़िया पुराण निरा अंधविश्वास नहीं

‘बुढ़िया पुराण’ केवल गर्भवती महिला को ही नसीहत नहीं देता, यह परिवार के अन्य सदस्यों को भी नेक सलाह देता है। इसका कहना है कि गर्भवती को हर प्रकार संतुष्ट व प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिये।

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पोस्ट स्क्रिप्ट

‘वह देश भी इसी देश जैसा है। वहां भी लोग मक़बरे में रहते हैं,’ मित्ती हंसी, उसकी हंसी में बहुत कांटे थे। वह बोली, ‘जानते हो? ... हमारी ही तरह वे लोग भी नहीं जानते कि जहां वे रहते हैं वो घर नहीं। बस अपनी तरह वे भी रह ही लेते हैं।

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आज के दौर का सच्चा प्यार

प्यार एक अहसास, एक जज़बात, एक भावना है। सुनने में छोटा-सा लगने वाला यह शब्द वास्तव में इतना विशाल है कि इसमें पूरा ब्रह्माण्ड समा सकता है, पूरी धरती इस पर टिकी है, हर कण-कण में यह समाया है।

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हंसना एक सहज व्यायाम भी

हंसना सेहत के लिए ज़रूरी है। यह आसानी से किया जाने वाला व्यायाम भी है। एक कहावत है- ठहाका मार कर हंसिए और दीर्घजीवी बनिए। यानी ठहाका मार कर हंसने वालों की आयु लम्बी होती है।

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तेरा वजूद

खूबसूरत ख़्वाबों की ताबीर सा तेरा वजूद आंखों में लिए मैं जीवन के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलती रही और लड़ती रही युद्ध हर पल, हर क्षण

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प्यार का नया अंदाज़

सूचना क्रांति के इस युग ने इश्क़, प्यार, मुहब्बत और प्रेम के इन समानार्थी शब्दों के इज़हार के मायने भी बदल दिए हैं। प्रेम जैसी संवेदनशील, कोमल भावनाओं का आदान-प्रदान करने के तरीक़ों में बेहद बदलाव हुए हैं।

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