-गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी

यह जीवन परमात्मा की अनमोल कृति है, मानव का जीवन हमें वरदान के रूप में मिला है और यह शरीर एक पवित्र मन्दिर है जिसकी आन्तरिक और बाहरी सुन्दरता को बनाये रखने के लिये हमें कई प्रकार के प्रयत्न करने पड़ेेंगे। आन्तरिक पवित्रता के लिये शुद्ध आचरण तथा अन्तर्ध्यान द्वारा परम सत्ता से जुड़ाव रखना होगा। बाहरी सुन्दरता के लिये शरीर का हृष्ट-पुष्ट और निरोग रहना अति अनिवार्य है। जहां शरीर को स्वस्थ रहने के लिये सन्तुलित भोजन की आवश्यकता है वहीं शारीरिक व्यायाम और खेलें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के लिये जहां शिक्षा अपना विशेष स्थान रखती है वहां खेलें भी जीवन को उत्कृष्ट शृंखला में ले जाती हैं। कोई ज़माना था जब कहा जाता था “पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होवोगे ख़राब” परन्तु आधुनिक समाज में यह कहावत निरर्थक और बेजान हो गई है।

आज शिक्षा के मायने बदल गये हैं, किताबी डिग्रियां बेमानी हो गई हैं। कम्प्यूटरीकरण और आधुनिक टैक्नालॉजी ने साबित कर दिया है कि प्रेेक्टिकल नॉलेज की बड़ी अहमियत है। शिक्षा के माध्यम से भी नौकरी मिल सकती है, बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए.एस और पी.सी एस अधिकारी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर चुने जाते हैं। परन्तु खेलों का महत्त्व भी कम करके नहीं आंका जाता।

खेलें आधुनिक युग में व्यवसायिक दृष्टि से तो मूल्यवान हैं ही इनसे शरीर की वृद्धि और मानसिक और शारीरिक विकास भी होता है। आज शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का पूर्ण विकास करना है। जो खेलों के बिना सम्भव नहीं है। खेलें इनडोर और आउटडोर दो प्रकार की होती हैं, जिनमें बच्चों की छोटी खेलें सांप सीढ़ी, लुड्डो, ताश के पत्तों की गिनती, मनकों की गिनती, बिल्ली चूहे का खेल, मोगली शिकारी का खेल। बड़ों के लिये इनडोर खेलों के लिये शतरंज, लॉन टैनिस, जूूडो कराटे, मार्शल आर्ट, बॉक्सिंग आदि हो सकती हैं।

आउटडोर खेलों के लिये फुटबॉल, वालीबॉल, कबड्डी, हॉकी, बास्केटबॉल, क्रिकेट, हैंडबॉल, जैवलिन थ्रो, शॉट-पुट, तैराकी, दौड़ेें आदि हो सकती हैं। कुल मिलाकर देशी और विदेशी खेलों का चलन बढ़ रहा है।

विदेशी खेलों की बात की जाये तो आधुनिक जगत में क्रिकेट का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। दक्षिण अफ्रीका हो या ऑस्ट्रेलिया, श्री लंका हो या पाकिस्तान, भारत हो या इंग्लैैैैण्ड हर व्यक्ति क्रिकेट का दीवाना है। जब क्रिकेट का मैच होता है तो नागरिक रेडियो सैट और टेलीविज़न खोलकर खाना-पीना तक भूल जाते हैं। आज क्रिकेट का खेल इतना लोकप्रिय हो गया है, गली-नुक्कड़ में छोटे-छोटे लड़के क्रिकेट खेलते हुये मिलेंगे। हर खेल में महिला वर्ग ने भी चार चांद लगाये हैं, कोई खेल अब महिलाओं से अछूती नहीं रही।

क्रिकेट की खूबी यह है कि क्रिकेट के एक लाख कैपेसिटी वाले स्टेडियम में बैठकर हम आनन्द उठा सकते हैं। यूं तो विश्व कप हॉकी में भी काफ़ी भीड़ जमा होती है, परन्तु इस प्रतिस्पर्धा में क्रिकेट की कोई बराबरी नहीं कर सकता।

क्रिकेट का प्रारम्भ 16 वी. शताब्दी में इंग्लैण्ड में हुआ जब कि भारत में क्रिकेट का चलन 1918 में आरंभ हुआ। क्योंकि यह अंग्रेेज़ों का खेल है इसलिये यह दक्षिणी भारत जहां अंग्रेज़ों की संख्या अधिक थी वहां से शुरू होकर आज भारत के कोने-कोने में फैल गया है।

आज भारत के बड़े-बड़े शहरों में क्रिकेट के स्टेडियम दर्शनीय हैं। मुम्बई, दिल्ली, कानपुर, मोहाली, धर्मशाला, गुजरात, अहमदाबाद आदि नगरों में इन स्टेडियमों की धूम है। आज क्रिकेट का खेल टैस्ट क्रिकेट, वन डे क्रिकेट, ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट के रूप में खेला जाता है।

टैस्ट क्रिकेट हो या वन डे का मैच या फिर ट्वेंटी-ट्वेंटी भारत की टीम ने विश्व की हर टीम को धूल चटाई है और कई बार विश्व विजेता बनी है। यह खेलों का ही परिणाम है कि भारत ने क्रिकेट की दुनिया में बड़े-बड़े नाम पैदा किए जैसे – नवाब पटौदी, चन्द्रशेखर, प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर, गुुंडप्पा विश्वनाथ, वेंकट राघवन, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, सहवाग, अनिल कुम्बले, रवि शास्त्री, मनोज प्रभाकर, संजय मांजरेकर, गौतम गम्भीर, मुहम्मद अजहरुद्दीन, मुहम्मद कैफ, श्री कान्त, मदन लाल, करसन घावरी, सैयद मुश्ताक अली, बृजेश पटेल, संदीप पाटिल। खेलों ने ही क्रिकेट की दुनिया में एस.एस.धोनी, किरण मोरे, मोहिन्द्र अमर नाथ, सुरेन्द्र अमर नाथ, एकनाथ सोल्कर, ज़हीर खां, श्री नाथ, सौरव गांगुली, युवराज, वी.वी.एस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, नवजोत सिद्धू, अजय जडेजा जैसे खिलाड़ियों को पैदा किया है। अब विराट कोहली की टीम विश्व भर में तहलका मचा रही है। इन सभी क्रिकेेट खिलाड़ियों ने भारत का नाम सारे विश्व में चमकाया है। क्रिकेट बोर्ड बी.सी.सी.आई करोड़ों अरबों की कमाई कर रहा है। हमारे क्रिकेटर भी धन कुबेर बनते जा रहे हैं। व्यवसाय की दृष्टि से करोड़ों के बल्लेे तैयार हो रहे हैं। जिससे लोगों के आर्थिक विकास में वृद्धि हुई है।

क्रिकेट के अलावा भी खेलों का क्षेत्र विस्तार बहुत बड़ा है। कोई किसी भी खेल कबड्डी, फुटबॉल, हॉकी, बास्केटबॉल, कुश्ती, बॉक्सिंग, तीरंदाज़ी, बैडमिंटन में बाज़ी मार सकता है। 

गत वर्षों में भारत ने बैडमिंटन, टैनिस, बॉकसिंग, शूटिंग आदि खेलों में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपना नाम रौशन किया हैैै। अंतर्राष्ट्ररीय स्तर के भारतीय एथलीट्स में मिलखा सिंह और पी.टी उषा से लेकर हिमा दास तक कई नाम हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्ररीय खेलों में भारत का परचम फहराया है। गत वर्षों में भारतीय खिलाड़ी ख़ास कर लड़कियां भारतीय खेलों के मुक़ाम को बहुत आगे ले गई हैं जिस पर हम सब को गर्व है।

नौकरी पाने में भी खेलें सहायक हो सकती हैं, स्टेट लेेवल और नेशनल लेेवल पर खेलने वाले खिलाड़ियों को नौकरी के लिये अधिमान दिया जाता है। खिलाड़ियों के लिये आरक्षण की सुविधा भी विद्यमान है, अपना कैरियर और भविष्य बनाने के लिये बहुत सी खेलों में से किसी भी खेल में पारंगता पाकर अदभुत लाभ लिया जा सकता है। माना कि हर कोई खेलों में कैरियर नहीं बना सकता परन्तु उचित प्रशिक्षण और लगातार अभ्यास से कुछ खिलाड़ी सफल हो सकते हैं। क्रिकेट का भविष्य बहुत उज्जवल है। माना कि हर कोई सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली या मुहम्मद अजहरुद्दीन, धोनी नहीं हो सकता, परन्तु यदि व्यक्ति ठान ले तो कुछ भी असम्भव नहीं। एम.एस धोनी भी तो पिछड़े इलाके से निकलकर महान खिलाड़ी बना है। कोचों की सरपरस्ती में अच्छे-अच्छे स्पिनर और तेज़ गेंदबाज पैदा हो सकते हैं। बच्चों की जिस खेल में दिलचस्पी हो उसी में उनको खेलने का माकूल अवसर देना चाहिये यदि वे क्रिकेट में रुचि रखते हैं तो उन्हें इस फील्ड में उचित ट्रेनिंग संस्थानों में प्रवेश देना चाहिये। न जाने कब किसी की क़िस्मत चमक जाए परन्तु भाग्य पुरुषार्थी पुरुष का साथ देता है। इसलिये खेलों से जुड़कर जीवन को संवारा जा सकता है। अब सरकार भी खेलों को प्राथमिकता देकर बच्चों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि युवा नशे की गंदी आदतों के शिकार न हो जायें। खेलों में जो लड़के-लड़कियां ऐशियन गेम्ज़ या ओलंपिक खेलों में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक अर्जित करते हैं उनके लिए रोज़गार के दरवाज़े खुल जाते हैं और इन पर देश गर्व करता है।

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