-गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी

विज्ञान के आविष्कारों में मोबाइल फ़ोन चमत्कारी यंत्र है। मशीनी और कम्प्यूटरीकरण के आधुनिक संदर्भ में मोबाइल की महत्ता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हज़ारों, लाखों में नहीं करोड़ों स्त्री-पुरुष अपनी दिनचर्या में अपने-अपने प्रयोजन के लिये इसका प्रयोग करते हैं। मोबाइल फ़ोन ज़िन्दगी की आवश्यकता बन गया है। लोग एक दिन के लिये भूखे, प्यासे रह सकते हैं परन्तु मोबाइल के ख़राब हो जाने पर और बैटरी ख़त्म हो जाने पर झुंझला उठते हैं। यानि मोबाइल के इस्तेमाल के बिना नहीं रह सकते। मोबाइल सस्ते से सस्ता भी उपलब्ध है और महंगे से महंगा भी बाज़ार में आ गया है। सैल फ़ोन से लेकर समार्ट फ़ोन आदि कई क़िस्म के मोबाइल लोगों के हाथों में देखे गये हैं, जिनका प्रयोग वे समय-समय पर करते रहते हैं। आधुनिक फ़ोन में जीवन की बहुत अहम् सामग्री भरी हुई है जैसे वाट्सऐप, फेसबुक, कैमरा आदि। कम्युनिकेशन के लिये यह बड़ा आसान और सरल तरीक़ा है। मार्टिन कूूपर के इस आविष्कार ने सारी दुनिया मुट्ठी में कर ली है। सुख-दु:ख के संदेश मिनटों सेेकिन्डों में देश-विदेश में पहुंच जाते हैं, किसी डाकिये या अन्य व्यक्ति के माध्यम से पत्राचार की आवश्यकता नहीं पड़ती। मोबाइल फ़ोन पर ज़रूरी और महत्वपूर्ण मैसेज दिये जा सकते हैं। इंटरनेट की सुविधा से हर प्रकार का पुराने से पुराना और नवीनतम ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। नये-नये विषयों से जुड़कर जीवनोपयोगी सामग्री प्राप्त की जा सकती है, औद्योगीकरण और व्यापारिक मार्ग खोजे जा सकते हैं। छात्र-छात्राएं साइंस, इतिहास, भूगोल की नवीन उपलब्धियों से जुड़ सकते हैं। गणित, ज्योमैट्री, चित्रकला, संगीत और नृत्य की कला सीख सकते हैं। मेेडिसिन, औषधियों और योग की क्रियाओं से वाक़िफ़ हो सकते हैं। संसार की जिस कठिन समस्या का समाधान मस्तिष्क से बाहर लगता हो वह भी इंटरनेट में मौजूद होता है। खगोल, पाताल, सौरमंडल के ग्रह, उपग्रह, चांद-सितारे अब अछूते विषय नहीं रहे। पर्वत-पहाड़, सागर सब इंटरनेट की परिधि के अंदर है। कौन नहीं जानता कि इंटरनेट की दुनिया ने संसार को एक लड़ी में पिरो दिया है। मोबाइल की आमद ने मानव जीवन को सफलता के पहाड़ पर खड़ा कर दिया है।

जहां मोबाइल के इतने लाभ हैं वहां कुछ हानियां भी हैं। मोबाइल मुफ़्त में नहीं मिलता और फिर रिचार्ज के लिये भी पैसे लगते हैं। फ़िजूलख़र्ची बढ़ जाती है और आदमी की जेब हल्की हो जाती है। महंगे से महंगा फ़ोन लेने को लोग अपनी शान समझते हैं। इससे धन की बर्बादी होती है।

मोबाइल ने सामाजिक रिश्तों का सत्यानाश कर दिया है। कोई चिट्ठी-पत्र नहीं लिखता और न किसी रिश्तेदार को मिलने घर जाता है। मोबाइल पर ही टाटा बाय-बाय होता है। अब कोई दीवाली, नये साल के ग्रीटिंग कार्ड नहीं भेजता। मोबाइल का ज़्यादा प्रयोग दिमाग़ और आंखों पर असर डालता है जिससे कई प्रकार की बीमारियों का जन्म होता है।

चिड़ियां, चीलें सब इसकी तरंगो के कारण मर-खप गई हैं। बच्चे सारा दिन मोबाइल से चिपके रहते हैं जिससे पढ़ाई का नुक़सान होता है। छोटे से छोटा बच्चा भी कार्टून या इसमें जो गेमस होती है, उसमें लगा रहता है, जिससे उसकी सेहत का दिवाला निकल जाता है। युवक और युवतियां इसका नाजायज़ फ़ायदा उठाकर अपने-अपने प्रेम-प्रसंगो में उलझे रहते हैं और घरवालों की आंखों में धूल झोंकते हैं। घण्टों एक दूसरे से वार्तालाप करते रहते हैं। अपने आदर्श कर्त्तव्य और सदाचार को भूल कर प्रेम झूले पर सवार होकर उड़ते फिरते हैं। शर्म हया को त्याग कर प्रेम विवाह रचा लेते हैं और जिन मां-बाप ने बड़ी मशक्त से उनको पाला होता है उनको चपत लगाकर दूर चले जाते हैं। अत: कहा जा सकता है कि मोबाइल वरदान भी है और अभिशाप भी है। यह तो प्रयोग करने वाले पर निर्भर करता है कि वह इसे किस प्रयोजन के लिये प्रयोग करता है। दीपक रोशनी के लिये है यदि कोई इससे अपना घर जला ले तो दीपक का क्या दोष?

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