-बलबीर बाली   

गत दिनों हम एक स्थानीय होटल में गए क्योंकि हम वहां आमंत्रित थे, अपने प्रिय मित्र की बर्थ डे पार्टी पर। वह काफ़ी धनाढ्य परिवार से संबंधित था इसलिए होटल में सारा प्रबन्ध उच्च स्तरीय था। होटल के सभागार में पहुंचे तो वहां का सारा माहौल ही बदला हुआ था, हमें कुछ पल के लिए यूं लगा कि हम किसी फ़िल्म की शूटिंग में शामिल हैं और दृश्य किसी डांस पार्टी का चल रहा है। हमारे मित्र द्वारा आयोजित पार्टी केवल युवाओं की पार्टी थी। कोई अंग्रेज़ी धुन बज रही थी और सभी अपनी सुध-बुध खोए नृत्य में मग्न थे, क्या लड़के और क्या लड़कियां। फ़ैशन के नाम पर लड़कों के तन पर जीन्स टी-शर्ट व सामान्य पैन्ट कमीज़ थी जबकि लड़कियों के मामले में शायद फ़ैशन उल्टा हो गया था। लड़कियों के पहनावे में जीन्स टी-शर्ट के साथ-साथ मिनी भी शामिल थी। हमें कुछ माहौल अपने स्तर का नहीं लग रहा था। इसीलिए हम अपने मित्र को ढूंढने लगे ताकि बधाई देकर तुरंत निकला जा सके। अंग्रेज़ी धुन के शोर ने दिमाग़ भारी कर दिया था। जल्द ही हमारी नज़र ने मित्र को ढूंढ लिया और हमने उसे आवाज़ दी तो उसने भी हमें देख लिया। वह तुरंत ही हमारे पास आ गया। बताना ज़रूरी है कि वो भी नृत्य में मग्न था, एक लड़की के साथ। इस कारण वह भी उसके साथ ही हमारी तरफ़ आ गई। हमने अपनी औपचारिकता निभाई तथा साथ ही उससे इजाज़त मांगी तो हमारा मित्र हम से खफ़ा हो गया और कहने लगा, ‘यार मैंने इतनी बड़ी पार्टी दी तुम्हारे लिए और तुम ही चल दिए। मैंने तुम्हें अपने दोस्तों से मिलाना था। अरे यार! रुको थोड़ी देर’ उसने हमसे कहा। उस लड़की ने भी हमें रुकने के लिए कहा तो हम ‘न’ नहीं कर पाए। और वह फिर नृत्य करने लगे। हम यह सब देख रहे थे, एक टेबल पर बैठ कर। कुछ देर नाच गाना चलता रहा। तत्पश्चात् बिजली गुल हो गई, वैसे ही कमरे में अंधेरा काफ़ी था। एक साथ कई आवाज़ें हुई तो फिर बिजली आ गई। अचानक हुई इस हलचल ने मानों सबको गहरी निद्रा से जगा दिया हो। सभी का उल्लास थम चुका था। सभी को जैसे होश आया कि इस होटल के बाहर और भी दुनिया है, यद्यपि बिजली आ चुकी थी परंतु एक-एक करके उसके सभी दोस्तों ने विदा ले ली, अपने कुछ गिने-चुने दोस्तों के साथ वह हमारे पास आया और हमसे उनका परिचय करवाया। आशा अनुसार सभी रईसज़ादे थे, सभी का व्यवहार यूं प्रतीत हो रहा था जैसे किसी व्यक्ति की वास्तविकता कुछ और हो, तथा वह व्यवहार कुछ और कर रहा हो। जी हां, सभी थे तो भारतीय, परंतु पश्चिमी सभ्यता के रंग में ही रंगे थे, हमने अपने मित्र से यह कहते हुए विदा लेनी चाही, ‘एन्जॉय योर सेल्फ, बाद में मिलेंगे’। उसने जैसे हमारी दुखती रग को पकड़ते हुए कहा, ‘क्यों हमारे मॉडर्न दोस्त पसंद नहीं आए?’ हम एक पल के लिए ठिठक गए।

कहते हैं न जैसे, यदि कोई किसी को छेड़े तो उसमें बर्दाश्त की क्षमता भी होनी चाहिए, हम उससे कह बैठे, देखो यार बुरा नहीं मानना, परंतु मॉडर्न से क्या समझते हो, तर्क-वितर्क का ऐसा सिलसिला चला कि माहौल गर्मा उठा। चाहे वह आधुनिकता के संदर्भ में खुला व्यवहार, आज़ादी आदि का तर्क प्रस्तुत करते रहे, परंतु अन्तत: उन्होंने माना कि आधुनिकता की राह पर चलते-चलते वह आधुनिकता की वास्तविकता से भटक चुके हैं, चलना तो चाहते हैं आधुनिकता की राह पर परंतु वास्तविकता भूल चुके हैं।

क्या है आधुनिकता? जो युवाओं को आकर्षित करती है। आधुनिकता विभिन्न प्रकारों की होती है जैसे- आधुनिक व्यवहार, आधुनिक विचार, आधुनिक जीवन शैली, आदि। परंतु आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता का दूसरा अर्थ अपने जीवन में किसी का हस्तक्षेप न होना मानती है वह एक ऐसा जीवन चाहती है, जिसकी डोर उनके हाथों में हो और वह उसे जिस दिशा की ओर  मोड़ना चाहें मोड़ सकें। आज की युवा पीढ़ी चाहे आधुनिक यानि मॉडर्न हो या न हो परंतु वह मॉडर्न दिखना ज़रूर चाहती है। क्यों सत्य कहा न हमने? ऐसी कई पार्टियां हर रोज़ होती हैं, जो आज ‘हाई स्टैन्डर्ड’ सिम्बल बन गया है और कहने में कोई संकोच नहीं कि हम आधुनिकता का संबंध सीधा पश्चिमी सभ्यता से जोड़ते हैं और मॉडर्न दिखने की धुन में पश्चिमी संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं। हम यह क्यों भूल जाते हैं कि हम भारतीय हैं।

वास्तव में हमें आवश्यकता है आधुनिकता की, क्योंकि बहुत कुछ करना चाहते हैं हम, जो उस रूढ़िवादी समाज में संभव नहीं परंतु हमें आवश्यकता है युवाओं के उठाए क़दमों पर गहरी निगरानी रखने की, ताकि वह कोई अनुचित क़दम न उठा पाएं। मॉडर्न के नाम पर केवल कपड़ों से मॉडर्न होने की ज़रूरत नहीं, यदि हमें मॉडर्न बनना है, आधुनिक बनना है तो हमें आधुनिक विचार अपनाने चाहिएं। जिससे हम नवीनता को धारण कर सकें। यदि हम विचारों से आधुनिक अर्थात् मॉडर्न हो गए तो हम समझते हैं कि हम बहुत आगे निकल जाएंगे, परंतु एक कटु सत्य यह भी है कि हम भारतीय हैं। हमारे समाज में भी कई गुण हैं जो इन्सान बनने के लिए बहुत आवश्यक हैं, हमें उन्हें भी आधुनिकता के साथ-साथ धारण करना चाहिए। हम यह नहीं कहते कि हमें आधुनिक अर्थात् यह युवा अच्छे नहीं लगते। हमें युवा तो बेहद अच्छे लगते हैं परंतु आधुनिकता के छलावे में छले युवा अच्छे नहीं लगते, वह क्या मॉडर्न बनेंगे जो इसका तात्पर्य ही नहीं समझते। महज़ किसी एक संस्कृति से प्रभावित होना अच्छा नहीं। आधुनिकता में ढले उस प्रत्येक व्यक्तित्व को संपूर्ण विश्व के जन आदर से देखेंगे जिसमें आदर, प्रेम, सहृदयता शामिल होगी। आज भारत को ऐसी ही आधुनिक युवा पीढ़ी की आवश्यकता है जो अपने शानदार व्यक्तित्व व अदभुत प्रतिभा से सम्पूर्ण विश्व में भारत का नाम रौशन कर सके।

‘बहुत हो चुकी ये उपदेशात्मक बातें,’ हमने कहा, आशा है आप समझ चुके होंगे। आज के लिए इतना ही काफ़ी है। हमने विचार प्रवाह को बाधित करते हुए कहा, सभी व्यक्ति अपने-अपने स्थान पर जड़ हो चुके थे। हमने उन्हें फिर नॉर्मल करने के उद्देश्य से कहा, ‘छोड़ो यार, एन्जॉय योर सेल्फ।’ हमारे द्वारा अपने मित्र के कंधों पर रखे हाथ ने मानों उसके भीतर तक आघात किया, ‘हुं’ कहता हुआ वह उठ खड़ा हुआ। उसके सभी मित्र भी खड़े हो गए, हमने कहा चलते हैं यार, सॉरी हमने तुम्हारी महफ़िल का रंग बिगाड़ दिया। जब हम यह कह कर चलने लगे तो उसके दो मित्रों ने हमें पीछे से आवाज़ लगाई। ज़रा रुकिए, महफ़िल का रंग बिगड़ा नहीं बल्कि अब तो रंग आया है, वास्तव में आपके दोस्त ने हमसे आपके बारे में जो कहा था वो सत्य निकला।

हम एक बार स्वयं को, व एक बार अपने मित्र को देख रहे थे, जो कि अपने दोस्तों के साथ खड़ा मुस्कुरा रहा था।

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