झुर्रियां उभर आना प्राकृतिक क्रिया है और इसे पूर्णरूपेण रोका भी नहीं जा सकता है लेकिन सौंदर्य उपचार को अपनाकर इसकी रफ़्तार को कम किया जा सकता है
Read More »Author Archives: saropama
सही समय पर करें कैरियर का चुनाव
कैरियर का मुद्दा सीधे जीवन से जुड़ा है। अगर आप अपनी रुचि का ही कैरियर बनाते हैं तो आपका काम में मन लगेगा साथ ही आप उस क्षेत्र में बेहतर प्रगति कर सकते हैं।
Read More »युवाओं में आकर्षण का केन्द्र बनी आधुनिकता
क्या है आधुनिकता? जो युवाओं को आकर्षित करती है। आधुनिकता विभिन्न प्रकारों की होती है जैसे- आधुनिक व्यवहार, आधुनिक विचार, आधुनिक जीवन शैली, आदि।
Read More »लड़का ही क्यों लड़की क्यों नहीं
हमारे संविधान में सभी को चाहे वह लड़का है या लड़की, स्त्री है या पुरुष एक जैसे अधिकार तथा हक़ दिए हैं। लेकिन हम यदि अपने अंदर झांक कर देखें
Read More »अब तू डट जा नारी
द्रौपदी के बदले हुए तेवरों में ललकार थी, चुनौती थी, एक भयंकर गर्जना थी जो सिंहनी की भांति गर्ज उठी, “वह अपने बालों को गांठ नहीं लगायेगी
Read More »क़लम की व्यथा कलम की ज़ुबानी
मैं कल तक इसी मनुष्य की उंगलियों की गु़लाम थी। इसी के ईशारों पर नाचती रही। अतः जैसा यह नचाता रहा, वैसे मैं नाचती रही।
Read More »गणेश न मिले रे पूजन को गणेश
‘गणेश जी। आप यहाँ। मैं आप को मारा-मारा फिरता हुआ कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ रहा था। कम से कम मन्दिर में तो रहा करो नाथ।‘मन्दिर में? तुम रहने दो तब न।’
Read More »यूं बेवजह उदास क्यूं!
उदासी दूर करने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने वर्तमान हालातों में फेर-बदल करें। परिवर्तन ज़िंदगी का नियम है। ज़िंदगी के ख़ास तरीक़े में चलते-चलते हम थक जाते हैं
Read More »नए वर्ष का प्रवेश द्वार
जी हां, सबकी रग-रग में बस चुका, मैं हूं भ्रष्टाचार। नववर्ष में भी बढ़ेगा अभी मेरा परिवार। झट से खोलो द्वारपाल, मेरे लिए नववर्ष का द्वार।’
Read More »भारतीय सिनेमा के हास्य अभिनेता
हंसी-मज़ाक के बिना ज़िंदगी का कोई मोल नहीं। ये हंसी ही ज़िंदगी के सभी पलों को सच्चा जीवन प्रदान करती है और बड़े से बड़े मुश्किल लम्हों को सहन करने की शक्ति देती है। जहां हंसना बेहद आसान है वहीं किसी को हंसाना उतना ही कठिन। पर भारतीय सिनेमा में हास्य अभिनेताओं की कोई कमी नहीं है जो इस तरह ...
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