काव्य

रास्ता

होश संभलते ही शुरू हो गया चलना ज़िन्दगी के रास्ते की ओर, बिन परवाह किए, गरम हवाओं की, सरद थेपड़ों की बर्फीले टीलों की

Read More »

रंगेहिना

मैं ने कब अपनी वफ़ाओं का सिला मांगा था? एक हल्का-सा तबस्सुम ही तेरा मांगा था। क्या ख़बर थी मेरी नींदें ही उजड़ जाएंगी मैं ने खोए हुए ख़्वाबों का पता मांगा था।

Read More »

अधूरी ग़ज़ल

खाबों के हंसी ताजमहल बनाए किसने थे, ज़र्द पत्ते गिरे डाली से उठाए किसने थे। किसने भरी थी हामी निगाहे-बेक़रार की, ठोकर पसंद थी किसे पुरसुकून प्यार की।

Read More »

बर्फ और पहाड़ की कविता

ऊंचे देवदारों की फुनगियों पर फिर सफे़द फाहे चमकने लगे हैं सफे़द चादार में लिपटे पहाड़ फिर दमकने लगे हैं। पगडंडियों पर पैरों की फच फच से उभर आये हैं गहरे काले निशान

Read More »

तेरा वजूद

खूबसूरत ख़्वाबों की ताबीर सा तेरा वजूद आंखों में लिए मैं जीवन के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलती रही और लड़ती रही युद्ध हर पल, हर क्षण

Read More »

नारी

न पूज्य बनो न पुजारी हो तुम नारी ही रहो, बस नारी हो तुम। सजधज न कुन्तल बिखराओ यह नयन चपल मत मटकाओ। फ़ैशन की होड़ को रोको तुम इस अंधी दौड़ को रोको तुम।

Read More »

सिलसिला

कितनी बार टूटकर बिखरते हैं हम कितनी बार बिखर कर सिमटते हैं हम कि ये सिलसिला एक दिन नहीं दो दिन नहीं ताउम्र चलता है

Read More »

तेरा चेहरा

दिल लुभाता है, बड़ा भाता है तेरा चेहरा। दिल में समाया है, समाया ही जाता है तेरा चेहरा।

Read More »

लफ़्जे ब्यां

एक भौंरा गुलबदन को चूम कर फिर उड़ गया। एक भौंरा था जो ज़िद्दी गुलबदन पर अड़ गया।। हम भला रोने लगे क्यों इक मुसाफिर था गया। वो तो झोंका था हवा का आंख में कुछ पड़ गया।।

Read More »