लघुकथा

हौसला

ये क्या बुज़दिली है। आपको बिना क़सूर किए मरने की क्या ज़रूरत है। भाढ़ में जाए समाज और भाढ़ में जाएं रिश्तेदार, हमें धैर्य और हौसले से जंग जीतनी होगी।

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सरकारी नौकरी का करिश्मा

उसके ऑर्डरों पर साफ़ लिखा था दो वर्ष प्रोबेशनरी पीरियड बीत जाने के बाद पूरा वेतन तीस हज़ार मिलेगा। दीक्षा के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी। वह जाॅॅॅइन करे या न करे।

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आस्था में सेंध

पंडित ने कहा था यजमान आपके भाग्य का सितारा चमकने वाला है कुछ ही देर के बाद आपकी अपनी कोठी होगी और आपके पास अमुल्य धन सम्पदा होगी।

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 वृक्षों का क़त्लेआम

लिपिक ने सलाह देने से पूर्व मुख्याध्यापक से वृक्ष कटवाने का कारण पूछा - ‘सर, वृक्ष कटवाने की ज़रूरत कहां पड़ गई? वृक्षों के कारण तो विद्यालय हराभरा लग रहा है। छायादार वृक्ष हैं।’

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अहसास

अचानक उसका तबादला दूर-दराज़ किसी स्थान पर हो गया और इधर उसकी बीवी आपातकलीन स्थिति में। रामस्वरूप को समझ नहीं आ रहा था कि करे तो क्या करे

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सामना

तभी अगले स्टॉप पर एक सुंदर युवती बस में चढ़ी। उसने जगह की तलाश में इधर-उधर नज़रें फिराई।

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समझ

उस लड़की ने बिना विरोध के आत्म-समर्पण कर दिया था और उसकी रात … मगर बाद में वह बेहद हैरान हुआ जब वह लड़की हंसे ही जा रही थी।

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मूल्यांकन

उसके अन्दर लड़की के प्रति बेपनाह दया उमड़ने लगी- बेचारी किसी ठीक-ठाक घर परिवार में जन्मती तो स्कूल जाती। हंसती-खेलती...

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नारी की नियति

कहानी में फै़सला तुमने पाठकों पर छोड़ दिया। लेकिन तुम्हारे विचार में तुमने उसके शोषण के प्रति क्या निर्णय लिया? क्या उसकी कोई मदद...।

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