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एक था रावण

छुआ तक नहीं, हे री सीता, पाई सज़ा! हर साल, खुलेआम, रावण-दहन तमाशा, जनता देखती, ताली पीटती।

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एहसास

सौंप कर अपने दिल का टुकड़ा तुम्हें, मैं निश्चिन्त हो गई, पर कैसे? उग गये मेरे हदय पटल पर एक की जगह दो पौधे जिन्हें साथ-साथ बढ़ता, लहराता देखना चाहती।

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पोटली

बड़े नाज़ों से पाल पोस मैंने पकड़ा दी अपने प्राणों की डोर किसी अनजान पथिक को, देना चाहती हूं समस्त संसार की खुशियां

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नारी सशक्तिकरण कैसे हो ?

कोई उसकी पुकार सुनने वाला नहीं है। प्रशासन क्यूं बेबस हो जाता है, कानून क्यूं घुटने टेक देता है, पुलिस क्यूं ख़ामोश रहती है पता नहीं।

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गर्भवती महिलाओं को बिल्लियों से ख़तरा

बिल्लियां गर्भवती महिलाओं के लिए ख़तरनाक साबित हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं ने यदि बिल्लियां पाल रखी हैं तो उनको ध्यान रखना चाहिए कि बिल्लियां उनसे दूर ही रहें।

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नये अशआर

लांघ कर जिस दम रिवायत की हदों को आएगी देख लेना फिर वो बस्ती भर में पत्थर खाएगी चांद तारे मुंह छिपा लेंगे घटा की ओट में कोई गोरी अपनी छत पर ज़ुल्फ़ जब लहराएगी

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