उसकी शर्माती आंखों में है अदम्भ साहस भी क्योंकि उसने कभी नहीं माना कि शर्म का पर्यायवाची डर होता है उसकी सकुचाती आंखों में अधूरापन भी है
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समुद्र के ओर की खिड़की
मैंने तो उसे साफ़ कह दिया था बाक़ी जो मर्ज़ीं करता रह। यह मेरा पेशा है परन्तु मेरे होंठों पर केवल एक का ही अधिकार है। होंठों को अमर के बिना और कोई नहीं छू सकता।
Read More »हरा समन्दर
मैंने उनका घर कभी नहीं देखा था और आज तक नहीं देखा। फिर भी मन ही मन मैं उनके घर को अपना समझने लगी थी। मुझे लगता कि उनका घर मेरे द्वारा ही संचालित हो रहा है।
Read More »पुस्तक की क़ीमत
"जी, यहां मेरा मायका है।" युवती बिस्कुट खाते हुए बोली।पहली बार सुखनजीत को लगा कि वह धोखे में था क्योंकि उसे कहीं से भी युवती विवाहित नहीं लग रही थी। "आप शादीशुदा हैं?"
Read More »ब्लैंक चैॅक
कुछ दिनों बाद मेरी तक़दीर ने मेरे साथ एक और घिनौना मज़ाक किया। मुझे सीमा से सच्ची मुहब्बत हो गई, मैं मन ही मन में सीमा को सच्चे दिल से अपनी पत्नी स्वीकार करने लगा।
Read More »हाथी दांत
मैं अपने इस आदर्श नायक को ज़िन्दगी की किसी लड़ाई में कहीं हारते हुए नहीं देखना चाहता था, 'जो भी हो, जहां भी मेरी मदद की ज़रूरत हो करूंगा।'
Read More »नाज़ुक व प्यारा-सा रिश्ता दोस्ती
कोई इस रिश्ते की अहमियत को समझता है और कोई इसे फालतू बोझ समझता हुआ अपने से दूर कर देता है। पर एक बात है यारो! दोस्ती बड़े काम की चीज़ है।
Read More »दवा भी है संगीत
एक बार उस्ताद बड़े अली खान ने कहा था कि हिन्दुस्तान व पाकिस्तान के हर घर के एक-एक व्यक्ति को शास्त्रीय संगीत सिखा दिया जाए तो बंटवारे की कोई ज़रूरत ही नहीं।
Read More »योजना एक सीरियल बनाने की
मैं एक कॉमेडी सीरियल का निर्माण करने जा रहा हूं- ‘क्योंकि छाछ भी कभी दही थी।’ इसके लिए मुझे कलाकार चाहिए। यदि आप में से कोई
Read More »क्या यही प्यार है
युग-युगान्तर तक अपनी अलग पहचान बनाये रखी प्रेम, प्यार ने चाहे वह सीता जी-राम जी का हो या लैला-मजनूं के क़िस्से हों। पर अब सब कुछ बदल रहा है
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