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ईर्ष्याः एक मनोचिकित्सकीय अध्ययन

जब मन में ईर्ष्या या डाह पैदा होती है तो क्रोध आता है, कभी मन रोने को होता है, अपने या प्रतिद्वंद्वी के प्रति अशुभ विचार उत्पन्न होने लगते हैं, कमज़ोरी-सी महसूस होती है,

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अंतिम सांझ का दर्द

वह हर दिन निकलने वाले सूर्य के साथ दरवाज़े पर टकटकी लगाए एक आशा भरी निगाह लिए अपने बेटों का इंतज़ार करती। उसे हर आने वाले कल पर भरोसा था। उसे हर आने वाले कल पर भरोसा था।

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गुलाब की पंखुडी से होंठ

यूं तो होंठों की बनावट नैसर्गिक होती है लेकिन होंठों को यूं सजाया और संवारा जा सकता है कि यह सराहे जाएं। बहुत से पुरुषों ने माना है कि सबसे पहले स्त्री के होंठों ने ही उन्हें आकर्षित किया।

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हे पद तुझे सलाम

दरवाज़े के आगे तो बहुत कुछ है उल्लू! धेले में बिकता कानून है, दुराचार में डूबी राजनीति है, हर जगह मरता सच है, खून के प्यासे रिश्ते हैं।

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धर्म और राजनीति

धर्म को अगर राजनीति से जोड़ कर देखा जाए तो चहूं ओर राजनीति का बोलबाला ही नज़र आता है और आज की राजनीति का कोई धर्म नज़र नहीं आता।

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एक लौ

इन सब प्रकार की कुंठा, डर, संशय, वैमनस्य, त्रासदी, दिशाहीनता और विभिन्न मतभेदों को समाप्त करने में एक व्यक्तित्व अभी भी सक्षम है। कौन?

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कर्ज़ है हम सबके ऊपर

बक़ौल कुलप्रीत दुनियां का हर आदमी कर्ज़ में डूबा है। भारत देश कर्ज़ में डूबा है।सबसे धनी देश अमेरिका पर भी बहुत से लोगों का कर्ज़ है। हर भारतीय कर्ज़ के बोझ में पैदा होता है।

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भारद्वाज गुरू जी

वह कुछ सकपकाया, 'आप अकेली.... और मेरा रुकना....। कुछ अच्छा नहीं लगता। हम चले जाएंगे।' चम्पा अधीर हो उठी। अपनी पहचान को पुख़्ता करने के लिए इतना समय और बात काफ़ी थी।

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