काव्य

राजनीति का हलवा

आने वाले इलेक्शन की कुछ ऐसी ही तैयारी है रूठा कोई है, कोई मनाता और कहीं समझौता है देख रहे हैं दलबदलू किसको कहां पर मौक़ा है? कौन कहां पर हुआ है आऊट किस को मिल गया चौका है?

Read More »

जय हो

जय हो, जय हो, जय हो हिमगिरि और रेगिस्तान पूर्वांचल और दक्कनमान नदियां जिसकी शोभा बढ़ाएं ऐसा भारत का मैदान केरल से कश्मीर तक भारत के भूभाग की जय हो, जय हो, जय हो

Read More »

नव-वर्ष का संदेश

कारण क्या है मिल नहीं सकते हिन्दूू , मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सदियों से यह राग अलापें हम सब आपस में हैं भाई फिर कौन शौतान छिपा है हममें, जो ये दंगे करवाता है अब नहीं करनी क़त्लो-ग़ारत, यही संदेश लाता है ....................... साल नया जब आता है

Read More »

एक और नया साल

सुबह-सुबह (अक्सर) अख़बार पढ़ कर चौंक जाना। कश्मीर के कुछ बाशिंदे और रक्षा करते जवान का शहीद हो जाना। एक ग़रीब बच्चा हाथ पसारे किसी अधेली के इंतज़ार में।

Read More »

शब्द चितेरा

ग़र होता मैं शब्द-चितेरा, कोई बात न्यारी लिखता होरी की दुख गाथा लिखता, धनिया की लाचारी लिखता बाप-बेटे या भाई-भाई में, रिश्ते आख़िर बिखरे क्यों धन-बल-सत्ता की ख़ातिर, क्यों हो रही मारामारी लिखता

Read More »

क़लम

मैं क़लम नहीं गुनहगार हूं बन्दिशों में जकड़ी हुई तलवार हूं तने सफ़ेदपोश मुझ से नज़र छुपाते हैं मेरे पांव में धन-दौलत लुटाते हैं।

Read More »

सारी जनता है परेशान मीयां

नोटों की अदला-बदली में सारी जनता है परेशान मीयां बूढ़े-बूढ़ियां खड़े लाईनों में सारी जनता है परेशान मीयां आठ नवम्बर से नोट बन्दी का हो गया फरमान मीयां रातो-रात यह फ़ैसला सुनकर सारी जनता है परेशान मीयां

Read More »

पुलिस का डंडा चलता है

सूरज चढ़े ही खड़े लाईन में शाम का सूरज ढलता है नोट लेने गई भीड़ पर पुलिस का डंडा चलता है आम आदमी परेशान हो रहा नोट नहीं बदलता है मंत्री जी का बिना लाईन के झट से नोट बदलता है

Read More »

चार दीवारी

चार दीवारी की सोच दफ़न कर देती है नया कर पाने की उम्मीद कुएं के मेंढक की परछाई घुमाती रहती है सुइयों को उन्हीं घिसी पिटी राहों पर उसी थकी हारी चाल से क़दमों का वही सीमित-सा सफ़र

Read More »